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4 July 2025 Current Affairs Questions

 4 July 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।

  • A1. चीन और भारत की नौसेनाएं: शक्ति प्रदर्शन और साझेदारी
  • A2.  डस्टलिक-VI: भारत-उज्बेकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास
  • A3. भारत की AI और तकनीकी प्रगति: एक नज़र 
  • A4. दुनिया में मातृ मृत्यु: चुनौतियाँ और भारत की सफलता
  • A5. पहलगाम हमला: भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और 'ऑपरेशन टिक्का'
  • A6. पवन और सौर ऊर्जा में भारत ने जर्मनी को पछाड़ा: एम्बर रिपोर्ट

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m


क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।



A1.
चीन और भारत की नौसेनाएं: शक्ति प्रदर्शन और साझेदारी
Strategic Drills: A Glimpse into Naval Power

 

हाल ही में, प्रशांत महासागर क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण नौसैनिक अभ्यास देखे गए, जिन्होंने वैश्विक रक्षा रणनीति में चीन और भारत की भूमिका को उजागर किया। जहाँ चीन ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, वहीं भारत ने साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा दिया।

 

चीन का 'स्ट्रेट थंडर-2025A' अभ्यास

उद्देश्य और स्थान: चीन की सेना (PLA) ने ताइवान स्ट्रेट के मध्य और दक्षिणी हिस्सों, और पूर्वी चीन सागर में दो दिवसीय 'स्ट्रेट थंडर-2025A' नामक लाइव-फायर अभ्यास किया।

अभ्यास का लक्ष्य: यह अभ्यास ताइवान पर लक्षित था। इसमें ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों और ऊर्जा स्थलों पर "लाइव-फायर" ड्रिल और नकली हमले शामिल थे, जो चीन की "एक चीन" नीति के प्रति उसकी आक्रामकता को दर्शाता है। यह अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने और ताइवान पर दबाव बनाने का एक तरीका है।

 

भारत-न्यूजीलैंड 'पासेक्स' अभ्यास

उद्देश्य और स्थान: 4 अप्रैल, 2025 को भारतीय नौसेना के अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तरकश ने अदन की खाड़ी में रॉयल न्यूज़ीलैंड नौसेना के एन्ज़क-क्लास फ्रिगेट ते काहा (Te Kaha) के साथ 'पासेज एक्सरसाइज' (PASSEX) में भाग लिया।

सहयोग का महत्व: यह अभ्यास न्यूजीलैंड के नेतृत्व वाले संयुक्त ऑपरेशन 'एएनजेडएसी टाइगर' के अंत को चिह्नित करता है, जिसमें आईएनएस तरकश ने भी हिस्सा लिया था।

लाभ: 'पासेक्स' अभ्यास दोनों नौसेनाओं को अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, समुद्री सहयोग को मजबूत करने और आपसी संचालन क्षमता (Interoperability) को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। यह दिखाता है कि भारत किस तरह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को महत्व देता है।

 

 

A2.
डस्टलिक-VI: भारत-उज्बेकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास
Dustlik-VI: India-Uzbekistan Joint Military Exercise

डस्टलिक (Dustlik), जिसका अर्थ "दोस्ती" है, भारत और उज्बेकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण संयुक्त सैन्य अभ्यास है। यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग और तालमेल को मजबूत करने का प्रतीक है।

 

यह अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों (Counter-Terrorism Operations) और पर्वतीय तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में शांति स्थापना के लिए संयुक्त रूप से रणनीति बनाने पर केंद्रित है।

 

मुख्य बातें

 

अभ्यास का संस्करण: 'डस्टलिक' अभ्यास का छठा संस्करण (Dustlik-VI) 2025 में आयोजित हुआ।

आयोजन स्थल: इस बार अभ्यास भारत के पुणे (महाराष्ट्र) में स्थित विदेशी प्रशिक्षण नोड, आँध में हुआ।

आयोजन की तिथि: यह अभ्यास 16 से 28 अप्रैल, 2025 तक चला।

भारतीय दल का प्रतिनिधित्व: इस अभ्यास में, भारतीय सेना की राजपूत रेजीमेंट की एक बटालियन ने हिस्सा लिया, जबकि पिछले कुछ संस्करणों में जाट रेजीमेंट ने भी भाग लिया था। इसमें 60 सैन्यकर्मी शामिल थे।

उद्देश्य: अभ्यास का मुख्य उद्देश्य संयुक्त बहु-डोमेन उप-पारंपरिक संचालन (Joint multi-domain sub-conventional operations) के तहत आपसी सहयोग और समझ को बढ़ाना था।

पिछला संस्करण: 'डस्टलिक-V' का पिछला संस्करण अप्रैल 2024 में उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में आयोजित हुआ था।

 

A3.
भारत की AI और तकनीकी प्रगति: एक नज़र
A Look at India's Progress in AI and Technology

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) द्वारा जारी 'प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2024' ने भारत की तकनीकी प्रगति पर प्रकाश डाला है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत ने फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज (अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों) को अपनाने और उनके लिए तैयारी करने में महत्वपूर्ण सुधार किया है।

 

फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज इंडेक्स, 2024: भारत का प्रदर्शन

 

फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज इंडेक्स, 2024 में भारत ने 170 देशों में 36वाँ स्थान हासिल किया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 2022 में भारत 48वें स्थान पर था। यह सुधार देश की तकनीकी क्षमता और नवाचार के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 

इस सफलता के प्रमुख कारण:

 

अनुसंधान एवं विकास (R&D): भारत ने R&D में अपनी मजबूत स्थिति बरकरार रखते हुए दुनिया में तीसरा स्थान हासिल किया है।

औद्योगिक क्षमता: देश की औद्योगिक क्षमता में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिससे भारत दुनिया में 10वें स्थान पर पहुँच गया है।

 

हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की गुंजाइश है:

 

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT): भारत इस क्षेत्र में 99वें स्थान पर है।

कौशल: तकनीकी कौशल के मामले में भारत 113वें स्थान पर है।

वित्त: तकनीकी विकास के लिए वित्त उपलब्धता के मामले में भारत 70वें स्थान पर है।

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में भारत की बढ़ती भूमिका

 

रिपोर्ट में AI जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। यह बताया गया है कि AI वैश्विक स्तर पर 40% से अधिक नौकरियों को प्रभावित कर सकता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

 

AI में निजी निवेश के मामले में:

 

भारत 1.4 बिलियन डॉलर के निजी निवेश के साथ दुनिया में 10वें स्थान पर है।

यह निवेश भारत में AI स्टार्टअप्स और AI आधारित नवाचारों के लिए अनुकूल माहौल को दर्शाता है।

अमेरिका67 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ इस क्षेत्र में सबसे आगे है, जो वैश्विक AI निजी निवेश का लगभग 70% है।

चीन7.8 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर है।

 


A4.
दुनिया में मातृ मृत्यु: चुनौतियाँ और भारत की सफलता
Saving Mothers: Global Challenges and India's Success

 

संयुक्त राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, "ट्रेंड्स इन मैटरनल मोर्टलिटी: 2000-2023", ने मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक परिदृश्य को उजागर किया है। यह रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में अभी भी मातृ मृत्यु एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, लेकिन साथ ही कुछ देशों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता भी हासिल की है, जिनमें भारत सबसे आगे है।

वैश्विक परिदृश्य:

गिरावट के बावजूद खतरा: वर्ष 2000 से 2023 के बीच वैश्विक मातृ मृत्यु दर (MMR) में लगभग 40% की कमी आई है। यह एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन आज भी लाखों माताएं गर्भावस्था या प्रसव के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं।

उच्चतम योगदानकर्ता: रिपोर्ट के अनुसार, मातृ मृत्यु में सबसे बड़ा योगदान नाइजीरिया (28.7%) का है। इसके बाद भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (दोनों 7.2%) और पाकिस्तान (4.1%) का स्थान है।

अफ्रीका में सबसे बड़ी चुनौती: दुनिया की लगभग 70% मातृ मृत्यु उप-सहारा अफ्रीका में होती हैं। इस क्षेत्र में MMR सबसे अधिक है, जो स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा की गंभीर कमी को दर्शाता है।

 

भारत की कहानी - असाधारण प्रगति:

वैश्विक रैंकिंग: वर्ष 2023 में कुल 19,000 मातृ मृत्यु के साथ भारत वैश्विक मातृ मृत्यु में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता था। यह एक चिंताजनक आंकड़ा है, लेकिन हमें समग्रता में देखना होगा।

• MMR में बड़ी गिरावट: भारत ने मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) में अभूतपूर्व कमी दर्ज की है।

वर्ष 2000 में MMR 384 था।

यह घटकर वर्ष 2020 में 103 हो गया।

और वर्ष 2023 में यह और भी कम होकर 80 हो गया।

दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: वर्ष 1990 के बाद से भारत में मातृ मृत्यु में 86% की उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो वैश्विक औसत गिरावट (48%) से लगभग दोगुनी है। यह इस बात का प्रमाण है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और अन्य सरकारी योजनाओं ने मिलकर मातृ स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

क्षेत्रीय असमानताएँ:

हालाँकि, यह प्रगति देशव्यापी समान नहीं है।

सफल राज्य: केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने 70 से कम का MMR हासिल कर लिया है, जो दर्शाता है कि नीतियों और बुनियादी ढांचे से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

पिछड़े राज्य: इसके विपरीत, असम (195), मध्य प्रदेश (173), उत्तर प्रदेश (167) और बिहार (118) जैसे राज्यों में MMR राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। यह मातृ स्वास्थ्य देखभाल में क्षेत्रीय असमानताओं को उजागर करता है और इन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को दर्शाता है।

 

 

A5.
पहलगाम हमला: भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और 'ऑपरेशन टिक्का'
Pahalgam Attack: India's Strong Response and 'Operation Tikka'

 

हाल ही में, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में स्थित पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। इस हमले में निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जिससे 27 लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। यह एक कायराना हरकत थी जिसका भारत ने कड़ा जवाब दिया।

 

'ऑपरेशन टिक्का': आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब

 

पहलगाम हमले के ठीक एक दिन बाद, 23 अप्रैल 2025 को, भारतीय सेना ने एक महत्वपूर्ण जवाबी कार्रवाई की। जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला ज़िले में नियंत्रण रेखा (LOC) पर 'ऑपरेशन टिक्का' के दौरान, सेना के सतर्क जवानों ने उरी नाला के सरजीवन इलाके में घुसपैठ कर रहे दो आतंकवादियों को मार गिराया।

 

यह कार्रवाई उन घुसपैठियों के लिए एक स्पष्ट संदेश थी, जो सीमा पार से देश में अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। भारतीय सेना हमेशा की तरह, देश की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

 

केंद्र सरकार की 5 प्रमुख प्रतिक्रियाएँ

 

पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) की एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कुछ कड़े और ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। इन फैसलों का उद्देश्य आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों पर दबाव बनाना था।

 

1.  सिंधु जल संधि का निलंबन: भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया। यह निर्णय तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को स्थायी और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त नहीं कर देता।

2.  अटारी चेकपोस्ट बंद: अटारी एकीकृत चेकपोस्ट (ICP) को तुरंत बंद कर दिया गया। केवल वे लोग जिन्होंने वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार की थी, उन्हें 1 मई 2025 से पहले भारत लौटने की अनुमति दी गई।

3.  SPES वीज़ा रद्द: पाकिस्तान के नागरिकों के लिए 'सार्क वीज़ा छूट' योजना समाप्त कर दी गई। इसके अलावा, पहले जारी किए गए सभी SPES (Special Purpose Entry Scheme) वीज़ा तुरंत रद्द कर दिए गए। भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया।

4.  पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया: नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में मौजूद रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति (Persona Non Grata) घोषित किया गया। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया।

5.  भारतीय सैन्य सलाहकारों की वापसी: इसके जवाब में, भारत ने भी इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुला लिया, जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और तनावपूर्ण हो गए।

 


A6.
पवन और सौर ऊर्जा में भारत ने जर्मनी को पछाड़ा: एम्बर रिपोर्ट
India Overtakes Germany in Wind and Solar: The Ember Report

वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक 'एम्बर' (Ember) की एक हालिया रिपोर्ट ने भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को उजागर किया है। भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। आइए, इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं को समझते हैं:

जर्मनी को पछाड़ा: भारत ने पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है और अब चीन (पहला) और अमेरिका (दूसरा) के बाद तीसरे स्थान पर है।

तेजी से बढ़ा उत्पादन: भारत की पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता पाँच वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है। यह वृद्धि देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बिजली मांग: 2024 में भारत की बिजली की मांग में 5% की वृद्धि हुई, जो पिछले दशक की औसत वृद्धि दर के अनुरूप है। विश्व में बिजली की मांग में यह तीसरी सबसे बड़ी वृद्धि थी।

स्वच्छ ऊर्जा का बढ़ता योगदान: पिछले साल, भारत की कुल बिजली उत्पादन का 22% हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से आया। इसमें पवन और सौर ऊर्जा का योगदान 10% और जलविद्युत (Hydroelectric) का योगदान 8% रहा।

कोयले पर निर्भरता: भले ही भारत नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, फिर भी देश का कोयला आधारित बिजली उत्पादन भी लगातार बढ़ रहा है। 2024 में यह 1,534 TWh तक पहुँच गया, जो 2012 के उत्पादन का लगभग दोगुना है। 2018 से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता भी है।

प्रति व्यक्ति कम उत्सर्जन: कोयले के बढ़ते उपयोग के बावजूद, भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत से काफी कम है। यह दर्शाता है कि भारत में जनसंख्या बहुत अधिक होने के बावजूद, प्रत्येक व्यक्ति का कार्बन फुटप्रिंट वैश्विक मानकों की तुलना में अभी भी कम है।

 

 


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नोट: ये बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) वर्तमान घटनाओं पर आधारित हैं। कृपया ध्यान दें कि समय के साथ घटनाओं और जानकारी में बदलाव हो सकता है।



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