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16 March 2025 | Answers and Explanations

16 March 2025 | Answers and Explanations


1.

उत्तर: b) 30 दिसंबर, 2024

व्याख्या: लेख में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इसरो ने स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को लॉन्च किया था।

2.

उत्तर: b) 2

व्याख्या: लेख के अनुसार, स्पैडेक्स मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) शामिल हैं।

3.

उत्तर: c) पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा (LEO)

व्याख्या: लेख में बताया गया है कि दोनों अंतरिक्ष यानों को 55 डिग्री के झुकाव पर 470 किमी की पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा (LEO) में स्थापित किया गया था।

4.

उत्तर: d) चौथा

व्याख्या: लेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारत अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग करने वाला रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है।

5.

उत्तर: c) कक्षीय डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन

व्याख्या: लेख के अनुसार, स्पैडेक्स मिशन इसरो का एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसका उद्देश्य कक्षीय डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।

6.

उत्तर: b) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

स्पष्टीकरण: 24 जनवरी, 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली 'संजय' (BSS) को हरी झंडी दिखाई।

7.

 

उत्तर: b) भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)

 

स्पष्टीकरण: संजय को भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा स्वदेशी और संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

8.

उत्तर: b) युद्धक्षेत्र की निगरानी और सूचना एकत्र करना

स्पष्टीकरण: यह प्रणाली विशाल भूमि सीमाओं की निगरानी करेगी, घुसपैठ को रोकेगी, अद्वितीय सटीकता के साथ स्थितियों का आकलन करेगी और खुफिया, निगरानी और टोही में एक बल गुणक साबित होगी।

9.

उत्तर: c) जमीनी और हवाई दोनों सेंसर

स्पष्टीकरण: संजय एक स्वचालित प्रणाली है जो सभी जमीनी और हवाई युद्धक्षेत्र सेंसर से इनपुट को एकीकृत करती है।

10.

उत्तर: c) महाभारत के संजय

स्पष्टीकरण: 'संजय' प्रणाली का नाम महाभारत के संजय के नाम पर रखा गया है, जिनके पास दिव्य दृष्टि थी और वे युद्ध के मैदान में क्या हो रहा था, इसे देखने में सक्षम थे।

11.

उत्तर: c) 29 जनवरी, 2025

व्याख्या: जैसा कि लेख में बताया गया है, इसरो ने अपना 100वाँ मिशन 29 जनवरी, 2025 को लॉन्च किया था।

12.

उत्तर: b) GSLV-F15

व्याख्या: लेख के अनुसार, इसरो का 100वाँ मिशन GSLV-F15 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।

13.

उत्तर: c) NavIC

व्याख्या: लेख में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि NVS-02, NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) का हिस्सा है, जो भारत का अपना क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है।

15.

उत्तर: b) रुबिडियम-87

व्याख्या: लेख में उल्लेख किया गया है कि NVS-02 के पेलोड में रुबिडियम-87 से निर्मित एक परमाणु घड़ी लगी है।

16.

उत्तर: b) 10 अगस्त, 1979

व्याख्या: अतिरिक्त जानकारी में दिया गया है कि इसरो ने 10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा से पहले सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) मिशन लॉन्च किया था।

16.

उत्तर: b) 21 जनवरी, 2025

स्पष्टीकरण: लेख के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 21 जनवरी, 2025 को तिरुवनंतपुरम में 'कवचम' प्रणाली का उद्घाटन किया।

17.

उत्तर: b) केरल चेतावनी संकट और जोखिम प्रबंधन प्रणाली

स्पष्टीकरण: लेख में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 'कवचम' का पूर्ण रूप केरल चेतावनी संकट और जोखिम प्रबंधन प्रणाली (Kerala Warnings Crisis and Hazards Management System) है।

18.

उत्तर: b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और विश्व बैंक

स्पष्टीकरण: लेख में उल्लेख किया गया है कि इस प्रणाली को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और विश्व बैंक के सहयोग से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने विकसित किया है।

19.

उत्तर: b) 126

स्पष्टीकरण: लेख के अनुसार, पूरी प्रणाली में 126 सायरन स्ट्रोब लाइट इकाइयों का एक नेटवर्क शामिल है।

20.

उत्तर: b) भारी बारिश, तेज हवाओं और समुद्री लहरें

स्पष्टीकरण: लेख में बताया गया है कि यह प्रणाली भारी बारिश, तेज हवाओं और समुद्री लहरों जैसी गंभीर मौसम की घटनाओं के लिए समय पर चेतावनी देगी।

21.

उत्तर: b) डोनाल्ड जे. केसलर

व्याख्या: केसलर सिंड्रोम का प्रस्ताव 1978 में नासा के वैज्ञानिक डोनाल्ड जे. केसलर द्वारा दिया गया था।

22.

उत्तर: b) अंतरिक्ष मलबा

व्याख्या: केसलर सिंड्रोम अंतरिक्ष में मलबे के संचय और उसके संभावित खतरों से संबंधित है।

23.

उत्तर: d) ज्वालामुखी विस्फोट

व्याख्या: ज्वालामुखी विस्फोट पृथ्वी पर होता है, जबकि अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी की कक्षा में होता है।

24.

उत्तर: b) उपग्रहों को नुकसान और अंतरिक्ष यात्रा में बाधा

व्याख्या: केसलर सिंड्रोम के कारण अंतरिक्ष में मलबे की मात्रा इतनी बढ़ सकती है कि उपग्रहों को नुकसान पहुँच सकता है और अंतरिक्ष यात्रा भी असंभव हो सकती है।

25.

उत्तर: d) उपरोक्त सभी

व्याख्या: अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिए निष्क्रिय उपग्रहों को कक्षा से हटाना, अंतरिक्ष मलबे की निगरानी करना और अंतरिक्ष मलबे को हटाने की तकनीक विकसित करना सभी महत्वपूर्ण कदम हैं।

26.

उत्तर: c) उच्च ऊर्जा वाले न्यूट्रिनो का पता लगाना

स्पष्टीकरण: KM3NeT परियोजना विशेष रूप से न्यूट्रिनो नामक उप-परमाणु कणों का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो ब्रह्मांड की गहराइयों से आते हैं।

27.

उत्तर: c) भूमध्य सागर

स्पष्टीकरण: KM3NeT परियोजना भूमध्य सागर के तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की जा रही है: फ्रांस, इटली और ग्रीस के तट पर।

28.

उत्तर: c) चेरेंकोव विकिरण

स्पष्टीकरण: जब न्यूट्रिनो पानी के अणुओं से टकराते हैं, तो वे चेरेंकोव विकिरण नामक प्रकाश की एक नीली चमक पैदा करते हैं, जिसे KM3NeT के संवेदनशील सेंसरों द्वारा पता लगाया जाता है।

29.

उत्तर: b) दक्षिणी ध्रुव

स्पष्टीकरण: आइसक्यूब न्यूट्रिनो वेधशाला अंटार्कटिका में स्थित है, जो पृथ्वी का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है।

30.  

उत्तर: d) उपरोक्त सभी

स्पष्टीकरण: KM3NeT का उद्देश्य ब्रह्मांड की कुछ सबसे रहस्यमय और ऊर्जावान घटनाओं, जैसे कि डार्क मैटर, सुपरनोवा और सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक के बारे में जानकारी प्रदान करना है।

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