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19 August 2025 Current Affairs Questions

 19 August 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।

  • A1. भारतीय नौसेना की नई शक्ति: मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन
  • A2.  संयुक्त अभ्यास: गोल्डन ड्रैगन-2025
  • A3.  न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट 2025: जानें कौन है सबसे आगे
  • A4. एसआरएस रिपोर्ट 2021: स्वास्थ्य संकेतकों में ऐतिहासिक सुधार
  • A5. ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
  • A6. यूएस स्पेशल 301 रिपोर्ट 2025: भारत की IP चुनौती

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m



क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।


A1.
भारतीय नौसेना की नई शक्ति: मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन
Indian Navy's New Power: Multi-Influence Ground Mine

हाल ही में, भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह उपलब्धि भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को एक नया आयाम देती है।

आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारी:

स्वदेशी गौरव: यह माइन पूरी तरह से भारत में ही डिज़ाइन और विकसित की गई है। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका विकास DRDO की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), विशाखापत्तनम ने अन्य DRDO प्रयोगशालाओं के सहयोग से किया है।

 क्या है MIGM?

     उन्नत तकनीक: MIGM एक अत्याधुनिक पानी के भीतर इस्तेमाल होने वाली नौसैनिक माइन है। इसे पारंपरिक माइन्स की तुलना में कहीं अधिक उन्नत माना जाता है।

     लक्ष्य और उपयोग: इसे ख़ास तौर पर आधुनिक 'स्टील्थ जहाजों' और 'पनडुब्बियों' का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये जहाज और पनडुब्बियां आसानी से पकड़ में नहीं आते, इसलिए उनके खिलाफ यह माइन एक प्रभावी हथियार साबित होगी।

     'मल्टी-इन्फ्लुएंस' का मतलब: इसका नाम 'मल्टी-इन्फ्लुएंस' इसलिए है क्योंकि यह केवल एक तरह के संकेत (जैसे ध्वनि) पर ही नहीं, बल्कि कई तरह के भौतिक प्रभावों (जैसे चुंबकीय, दबाव और ध्वनिक सिग्नेचर) के आधार पर लक्ष्य का पता लगा सकती है। यह इसे पारंपरिक माइन्स से अधिक स्मार्ट और घातक बनाती है।

 समुद्री युद्ध में महत्व:

     डिटेरेंस (निरोधक): इस तरह की उन्नत माइन्स दुश्मन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करती हैं। वे उन्हें किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक सकती हैं, जिससे एक मजबूत निरोधक क्षमता बनती है।

     जलक्षेत्र की सुरक्षा: MIGM हमारे महत्वपूर्ण समुद्री जलमार्गों, बंदरगाहों और रणनीतिक तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

     कम लागत, ज़्यादा असर: माइनफील्ड्स (माइन बिछाए गए क्षेत्र) तैयार करना विमानवाहक पोत या पनडुब्बियों के बेड़े की तुलना में कम खर्चीला होता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक हो सकता है।

 अतिरिक्त जानकारी:

     माइन वारफेयर (माइन युद्ध): नौसैनिक युद्ध में माइन्स का उपयोग सदियों से हो रहा है। ये चुपचाप पानी के नीचे रहकर दुश्मन के जहाजों और पनडुब्बियों को निशाना बनाती हैं। इन्हें "पानी के नीचे के बारूदी सुरंग" भी कहा जा सकता है।

     'स्टील्थ' तकनीक: स्टील्थ तकनीक जहाजों को रडार, सोनार और अन्य पहचान प्रणालियों से छिपाने में मदद करती है। MIGM जैसी उन्नत माइन इन स्टील्थ जहाजों द्वारा छोड़े गए सूक्ष्म संकेतों को पहचान कर उन्हें निष्क्रिय कर सकती हैं।

 

 

A2.
संयुक्त अभ्यास: गोल्डन ड्रैगन-2025
Joint Exercise: Golden Dragon-2025

क्या आपने कभी सोचा है कि दो देश मिलकर अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन कैसे करते हैं? इसी का एक शानदार उदाहरण है 'गोल्डन ड्रैगन-2025' सैन्य अभ्यास, जो कंबोडिया और चीन के बीच सुरक्षा और सहयोग को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभ्यास सिर्फ एक सैन्य ड्रिल नहीं, बल्कि दोनों देशों के गहरे होते रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है।

अभ्यास की मुख्य विशेषताएं:

 नाम: 'गोल्डन ड्रैगन-2025' (Golden Dragon-2025)

 प्रतिभागी देश: कंबोडिया और चीन। यह एक द्विपक्षीय (Bilateral) अभ्यास है।

 उद्देश्य: सैन्य सहयोग, रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना, और भूमि, समुद्र और वायु संचालन में समन्वय स्थापित करना।

 संस्करण: 2025 का संस्करण। यह दोनों देशों के बीच आयोजित होने वाला अब तक का सबसे बड़ा गोल्डन ड्रैगन अभ्यास है।

 आयोजन स्थल: कंबोडिया के दक्षिणी तट पर स्थित सिहानोकविले (Sihanoukville) के रीम नेवल बेस (Ream Naval Base) पर।

 शुरुआत: इस अभ्यास की शुरुआत पहली बार वर्ष 2016 के अंत में हुई थी, और तब से यह एक वार्षिक आयोजन बन गया है।

अतिरिक्त जानकारी:

यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों के बीच भू-राजनीतिक (Geopolitical) तनाव बढ़ रहा है। गोल्डन ड्रैगन जैसे संयुक्त अभ्यास केवल देशों की सैन्य तैयारियों को बढ़ाते हैं, बल्कि आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी अभियानों और मानवीय सहायता जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा देते हैं। कंबोडिया और चीन के बीच इस तरह के अभ्यास चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (Belt and Road Initiative - BRI) और दक्षिण-पूर्व एशिया में उसकी बढ़ती रणनीतिक पहुंच के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

 

 

 

A3.
न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट 2025: जानें कौन है सबसे आगे
New World Wealth Report 2025: Who's on Top?

हेनले एंड पार्टनर्स और न्यू वर्ल्ड वेल्थ द्वारा जारी 'न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट' का चौथा संस्करण दुनिया के सबसे महंगे और धनी शहरों के बारे में दिलचस्प जानकारी प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट वैश्विक धन और रियल एस्टेट बाजार की वर्तमान स्थिति को दर्शाती है। आइए, इस रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं:

दुनिया के सबसे महंगे शहर (प्रति वर्ग मीटर रियल एस्टेट मूल्य के आधार पर):

 मोनाको: मोनाको विश्व का सबसे महंगा शहर है। अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल और आकर्षक टैक्स पॉलिसी के लिए जाना जाने वाला यह शहर दुनिया के सबसे अमीर लोगों का पसंदीदा ठिकाना है।

 न्यूयॉर्क शहर: दूसरे स्थान पर न्यूयॉर्क है। यह शहर दुनिया का एक प्रमुख वित्तीय केंद्र है, जो इसे सबसे महंगा बनाता है।

 हॉन्ग कॉन्ग: लगभग $26,300 प्रति वर्ग मीटर की कीमत के साथ हॉन्ग कॉन्ग तीसरे स्थान पर है। यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय केंद्र है।

 लंदन: लगभग $24,000 प्रति वर्ग मीटर की कीमत के साथ लंदन चौथे स्थान पर है। यह शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ एक प्रमुख वैश्विक केंद्र भी है।

दुनिया के सबसे धनी शहर (उच्च-निवल-मूल्य वाले व्यक्तियों की संख्या के आधार पर):

 न्यूयॉर्क शहर: 2025 में 384,500 उच्च-निवल-मूल्य वाले व्यक्तियों (High-Net-Worth Individuals - HNWIs) के साथ न्यूयॉर्क शहर दुनिया के सबसे धनी शहरों में पहले स्थान पर है। एक HNWIs वह व्यक्ति होता है जिसकी निवल संपत्ति $1 मिलियन (लगभग ₹8.3 करोड़) या उससे अधिक होती है।

 टोक्यो और सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र: रिपोर्ट के अनुसार, टोक्यो और सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र भी शीर्ष धनी शहरों में शामिल हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनके महत्व को दर्शाते हैं।

दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते धन केंद्र:

यह रिपोर्ट कुछ ऐसे शहरों पर भी प्रकाश डालती है, जहाँ धन में तेजी से वृद्धि हो रही है। इन शहरों में शामिल हैं:

 स्कॉट्सडेल, यूएस: 125% की वृद्धि के साथ यह शहर सबसे तेजी से बढ़ते केंद्रों में से एक है।

 वेस्ट पाम बीच, यूएस: यहाँ धन में 112% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

 बेंगलुरु, भारत: भारत की "सिलिकॉन वैली" के रूप में प्रसिद्ध बेंगलुरु ने 120% की वृद्धि दर्ज की है। यह शहर भारत में प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप इकोसिस्टम का केंद्र है, जिसने यहाँ धन में अभूतपूर्व वृद्धि की है।

अतिरिक्त जानकारी:

यह रिपोर्ट केवल शहरों की रैंकिंग बताती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वैश्विक धन किस तरह से बढ़ रहा है और किन क्षेत्रों में इसका प्रवाह हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका और एशिया के शहर इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बेंगलुरु का इस सूची में शामिल होना भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और तकनीकी नवाचार के महत्व को दर्शाता है।

 

 

 

A4.
एसआरएस रिपोर्ट 2021: स्वास्थ्य संकेतकों में ऐतिहासिक सुधार
SRS Report 2021: Historic Improvements in Health Indicators

07 मई, 2025 को जारी हुई सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) रिपोर्ट 2021 के आँकड़े यह साबित करते हैं कि देश ने शिशु मृत्यु दर (IMR), मातृ मृत्यु दर (MMR) और बाल मृत्यु दर (CMR) में शानदार गिरावट दर्ज की है। यह रिपोर्ट भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी की गई है और यह हमारे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की मजबूती का प्रमाण है।

प्रमुख उपलब्धियाँ: एक नज़र में

 मातृ मृत्यु दर (MMR):

     2014-16 में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2019-21 में 93 हो गई है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसका मतलब है कि मातृत्व के दौरान माताओं की जान बचाने में हम और अधिक सफल हो रहे हैं। यह दर सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के करीब पहुँच रही है।

 शिशु मृत्यु दर (IMR):

     प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 39 से घटकर 27 हो गई है। इसका सीधा मतलब है कि अब अधिक बच्चे अपना पहला जन्मदिन देख पाते हैं।

 नवजात शिशु मृत्यु दर (NMR):

     प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 26 से घटकर 19 हो गई है। नवजात शिशु मृत्यु, जो जन्म के पहले 28 दिनों में होती है, उसमें यह सुधार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अक्सर जन्म के समय की जटिलताओं से जुड़ी होती है।

 पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर:

     यह प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर 31 हो गई है। यह बताता है कि बच्चों को शुरुआती वर्षों में होने वाली बीमारियों और कुपोषण से बचाने में हम बेहतर काम कर रहे हैं।

 जन्म के समय लिंगानुपात:

     इसमें भी सुधार हुआ है! 2014-16 में प्रति 1000 पुरुष बच्चों पर 899 से बढ़कर 2019-21 में 913 हो गया है। यह 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे सरकारी अभियानों के प्रभाव को दर्शाता है।

 कुल प्रजनन दर (TFR):

     TFR 2.3 से घटकर 2.01 हो गई है। TFR का 2.1 से कम होना जनसंख्या स्थिरता का संकेत है, जिसे 'रिप्लेसमेंट लेवल फर्टिलिटी' भी कहते हैं। यह दर्शाता है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर अब धीरे-धीरे स्थिर हो रही है।

राज्यों का प्रदर्शन: कौन रहा सबसे आगे?

यह सुधार केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राज्यों में भी दिखाई देता है। कुछ राज्यों ने तो अपने लक्ष्यों को समय से पहले ही हासिल कर लिया है।

 मातृ मृत्यु दर (MMR) के SDGs लक्ष्य (1 लाख पर <70) को हासिल करने वाले राज्य:

     केरल (20), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (45), आंध्र प्रदेश (46), तमिलनाडु (49), झारखंड (51), गुजरात (53), और कर्नाटक (63)

 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के SDGs लक्ष्य (1000 पर <25) को प्राप्त करने वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश:

     केरल (8), दिल्ली (14), तमिलनाडु (14), जम्मू और कश्मीर (16), महाराष्ट्र (16), पश्चिम बंगाल (20), कर्नाटक (21), पंजाब (22), तेलंगाना (22), हिमाचल प्रदेश (23), आंध्र प्रदेश (24), और गुजरात (24)

 नवजात मृत्यु दर के SDGs लक्ष्य (1000 पर <12) को प्राप्त करने वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश:

     केरल (4), दिल्ली (8), तमिलनाडु (9), महाराष्ट्र (11), जम्मू और कश्मीर (12), और हिमाचल प्रदेश (12)

 

 

A5.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
Operation Sindoor: India's Retaliatory Strike

6-7 मई, 2025 की रात... पूरा देश गहरी नींद में था, लेकिन भारतीय सशस्त्र बल अपनी सबसे बड़ी और निर्णायक कार्रवाइयों में से एक को अंजाम दे रहे थे। यह था 'ऑपरेशन सिंदूर' यह ऑपरेशन पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (POIK) में छिपे आतंकवादी ठिकानों को तबाह करने के लिए चलाया गया एक बड़ा हवाई हमला था।

यह हमला कोई अचानक की गई कार्रवाई नहीं थी, बल्कि 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले का बदला था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया गया था। भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी धरती पर होने वाले किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा।

ऑपरेशन सिंदूर की मुख्य बातें:

 एक संयुक्त ऑपरेशन: यह भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और भारतीय नौसेना का एक संयुक्त और सुनियोजित अभियान था।

 उच्च स्तरीय निगरानी: ऑपरेशन की पूरी निगरानी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, जो इसकी गंभीरता और महत्व को दर्शाता है।

 प्रसार माध्यम (मीडिया) की ब्रीफिंग: ऑपरेशन के बारे में जानकारी देने के लिए विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारत सरकार की ओर से ब्रीफिंग का नेतृत्व किया। यह पहली बार था जब किसी सैन्य ऑपरेशन के बारे में दो महिला अधिकारियों ने मीडिया को जानकारी दी, जो एक ऐतिहासिक क्षण था।

 लक्ष्य और परिणाम: भारतीय वायु सेना के राफेल जेट ने पाकिस्तानी पंजाब में 4 और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POJK) में 5 आतंकवादी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।

 निशाने पर कौन? ये लक्ष्य तीन प्रमुख आतंकवादी समूहों - जैश--मोहम्मद, लश्कर--तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के थे, जो सीमा पार से भारत में घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

 आधुनिक हथियारों का उपयोग: इस ऑपरेशन में भारत ने अपने अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। राफेल लड़ाकू विमानों के अलावा, स्कैल्प क्रूज मिसाइल (Storm Shadow) और हैमर (HAMMER) बम का भी इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, लोइटरिंग म्यूनिशन, जिसे कामीकेज़ ड्रोन या आत्मघाती ड्रोन भी कहते हैं, का प्रयोग किया गया, जो सटीक लक्ष्यों को भेदने में अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

इस्तेमाल किए गए हथियार:

 स्कैल्प या स्टॉर्म शैडो मिसाइल: यह एक डीप-स्ट्राइक मिसाइल है जिसे यूरोपीय बहुराष्ट्रीय समूह MBDA ने विकसित किया है। इसकी रेंज 250-400 किमी है, जो इसे दुश्मन के इलाके में दूर तक हमला करने में सक्षम बनाती है।

 HAMMER (Highly Agile Modular Munition Extended Range): फ्रांस की कंपनी SAFRAN द्वारा विकसित यह एक स्मार्ट बम है। यह अपनी सटीकता और कम दूरी के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

ऑपरेशन के बाद की स्थिति:

10 मई, 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सीजफायर पर सहमति बनी, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों बाद इसका उल्लंघन कर दिया। इसके बाद, भारतीय सेना को सख्त और ठोस कदम उठाने के आदेश दिए गए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं करेगा।

यह ऑपरेशन भारत के पिछले सैन्य अभियानों की शृंखला में एक और महत्वपूर्ण कड़ी है, जो पाकिस्तान की ओर से होने वाली आतंकी गतिविधियों के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दर्शाती है।

पाकिस्तान के विरुद्ध भारत के अन्य प्रमुख ऑपरेशन्स:

 ऑपरेशन रिडल (1965): भारत-पाक युद्ध (1965) के दौरान चलाया गया।

 ऑपरेशन कैक्टस लिली (1971): भारत-पाक युद्ध (1971) के दौरान, विशेषकर नौसेना द्वारा।

 ऑपरेशन मेघदूत (1984): सियाचिन ग्लेशियर पर कब्ज़ा करने के लिए।

 ऑपरेशन विजय (1999): कारगिल युद्ध के दौरान, घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए।

 ऑपरेशन सफेद सागर (1999): कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीय वायु सेना द्वारा चलाया गया हवाई ऑपरेशन।

 सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी हमले के जवाब में।

 ऑपरेशन बंदर (2019): बालाकोट हवाई हमले का गुप्त कोड नाम।

 

 

 

A6.
यूएस स्पेशल 301 रिपोर्ट 2025: भारत की IP चुनौती
US Special 301 Report 2025: India's IP Challenge

क्या आपने कभी सोचा है कि जब कोई देश बौद्धिक संपदा (Intellectual Property - IP) के अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाता, तो उसका क्या असर होता है? अमेरिका की 'स्पेशल 301 रिपोर्ट' इसी विषय पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो दुनिया भर के देशों में बौद्धिक संपदा अधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन करती है। हाल ही में, 2025 की रिपोर्ट जारी हुई है, और इसमें भारत को 'प्राथमिकता निगरानी सूची' (Priority Watch List) में रखा गया है।

स्पेशल 301 रिपोर्ट क्या है?

'स्पेशल 301 रिपोर्ट' अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) द्वारा हर साल जारी की जाने वाली एक वार्षिक रिपोर्ट है। इसका उद्देश्य उन देशों की पहचान करना है जो अमेरिकी कंपनियों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों की पर्याप्त और प्रभावी सुरक्षा और प्रवर्तन प्रदान नहीं करते। यह रिपोर्ट अमेरिकी व्यापार अधिनियम, 1974 के 'धारा 301' के तहत तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट में, देशों को उनकी IP सुरक्षा के स्तर के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में रखा जाता है।

भारत को प्राथमिकता निगरानी सूची में क्यों रखा गया है?

यूएस स्पेशल 301 रिपोर्ट, 2025 के अनुसार, भारत को प्राथमिकता निगरानी सूची में बरकरार रखा गया है क्योंकि यह अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं के लिए IP अधिकारों की पर्याप्त और प्रभावी सुरक्षा और प्रवर्तन सुनिश्चित करने में विफल रहा है। इस श्रेणी में शामिल होने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

 कमजोर IP प्रवर्तन: भारत में पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क जैसे IP अधिकारों का प्रभावी प्रवर्तन एक बड़ी चुनौती है।

 फार्मास्यूटिकल पेटेंट मुद्दे: अमेरिका का मानना है कि भारत की पेटेंट व्यवस्था में कुछ प्रावधान हैं जो अमेरिकी फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए चिंता का विषय हैं।

 डिजिटल पाइरेसी: भारत में ऑनलाइन पाइरेसी और कॉपीराइट उल्लंघन के मामले काफी आम हैं, जिससे अमेरिकी फिल्म, संगीत और सॉफ्टवेयर उद्योगों को नुकसान होता है।

कौन-कौन से देश हैं इस सूची में?

2025 की रिपोर्ट में, कई देशों को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है:

प्राथमिकता निगरानी सूची (Priority Watch List):

 चीन

 भारत

 इंडोनेशिया

 मेक्सिको

 अर्जेंटीना

 चिली

 रूस

 वेनेजुएला

निगरानी सूची (Watch List):

 अल्जीरिया

 मिस्र

 बारबाडोस

 बेलारूस

 पैराग्वे

 तुर्की

 बोलीविया

 ब्राजील

 बुल्गारिया

 कनाडा

 कोलंबिया

 इक्वाडोर

 ग्वाटेमाला

 पाकिस्तान

 पेरू

 थाईलैंड

 त्रिनिदाद और टोबैगो

 वियतनाम

इस रिपोर्ट का क्या महत्व है?

यह रिपोर्ट सीधे तौर पर किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाती, लेकिन यह एक चेतावनी के रूप में कार्य करती है। यह अमेरिका और संबंधित देश के बीच व्यापार संबंधों में तनाव पैदा कर सकती है। भारत जैसे देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी IP सुरक्षा और प्रवर्तन प्रणाली को मजबूत करें ताकि वैश्विक व्यापार में उनकी स्थिति बेहतर हो सके।

 

उपरोक्त घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न के लिए यहां क्लिक करें ।

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