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13 May 2025 Current Affairs Questions

 13 May 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे

  • A1. नई ईरानी मिसाइलें: एतेमाद और ग़दर-380
  • A2. गहराई में भारत: मत्स्य-6000 का अद्भुत सफर  
  • A3.  लेजर का कहर: हेलिओस
  • A4. आइंस्टीन वलय: ब्रह्मांड का अद्भुत छल्ला
  • A5. हरी इलायची के नए रिश्तेदार
  • A6.अंतरिक्ष में कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण: चीन की बड़ी सफलता

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m


क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
नई ईरानी मिसाइलें: एतेमाद और ग़दर-380
New Iranian Missiles: Etemad and Ghadir-380

हाल ही में, ईरान ने दो नई मिसाइलों का प्रदर्शन और परीक्षण किया है: एतेमाद और ग़दर-380.

एतेमाद:

    यह ईरानी रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक नई बैलिस्टिक मिसाइल है।

    फ़ारसी भाषा में 'एतेमाद' का अर्थ 'विश्वास' होता है।

    इसकी अधिकतम मारक क्षमता 1,700 किलोमीटर (लगभग 1,056 मील) है।

    यह 16 मीटर लंबी और इसका व्यास 1.25 मीटर है।

    एतेमाद एक सटीक-निर्देशित वारहेड से लैस है, जिसका अर्थ है कि यह अपने लक्ष्य को बहुत सटीकता से भेद सकती है।

ग़दर-380:

    इसका परीक्षण ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्स (आईआरजीसी) द्वारा ईरान में एक अज्ञात स्थान पर किया गया।

    यह एक एंटी-वॉरशिप नौसैनिक क्रूज मिसाइल है, जिसका अर्थ है इसे युद्धपोतों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    इसकी मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर (लगभग 600 मील) है।

    यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि दी गई जानकारी में इस मिसाइल का नाम 'सदर-380' बताया गया है, जबकि शीर्षक में 'ग़दर-380' का उल्लेख है। संभवतः, नाम 'ग़दर-380' है। 'ग़दर' शब्द का फ़ारसी में अर्थ 'शक्ति' या 'सामर्थ्य' हो सकता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1.  हाल ही में ईरान द्वारा प्रदर्शित बैलिस्टिक मिसाइल का क्या नाम है?

    a. ग़दर-380

    b. सदर-380

    c. एतेमाद

    d. क़ासिम

 Answer and Explanation

2.  'एतेमाद' मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता कितनी है?

    a. 1,000 किलोमीटर

    b. 600 मील

    c. 1,700 किलोमीटर

    d. 2,000 मील

 Answer and Explanation

3.  'ग़दर-380' मिसाइल का परीक्षण किस संगठन द्वारा किया गया?

    a. ईरानी वायु सेना

    b. ईरानी नौसेना

    c. ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्स (आईआरजीसी)

    d. ईरानी रक्षा मंत्रालय

 Answer and Explanation

4.  'ग़दर-380' किस प्रकार की मिसाइल है?

    a. बैलिस्टिक मिसाइल

    b. सतह-से-हवा मिसाइल

    c. एंटी-टैंक मिसाइल

    d. एंटी-वॉरशिप नौसैनिक क्रूज मिसाइल

 Answer and Explanation

5.  फ़ारसी भाषा में 'एतेमाद' शब्द का क्या अर्थ है?

    a. शक्ति

    b. विश्वास

    c. सुरक्षा

    d. विजय

  Answer and Explanation

 

A2.
गहराई में भारत: मत्स्य-6000 का अद्भुत सफर
India to the Deep: The Amazing Journey of Matsya-6000

भारत की चौथी पीढ़ी की गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी, मत्स्य-6000, गहरे समुद्र में खोज करने के लिए तैयार हो रही है।

इसने हाल ही में कट्टुपल्ली बंदरगाह पर कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। यह बंदरगाह चेन्नई, तमिलनाडु के पास स्थित है।

सफल परीक्षणों के बाद, अब यह 2025 के अंत तक 500 मीटर की गहराई पर उथले पानी में अपना प्रदर्शन दिखाएगी।

मत्स्य-6000 ने अपनी सभी प्रणालियों के तरीके से काम करने के लिए 500 मीटर की परिचालन सीमा पर एकीकृत शुष्क परीक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला को सफलतापूर्वक पार किया है।

इस पनडुब्बी को डीप ओशन मिशन के तहत विकसित किया जा रहा है, जो भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इस मिशन का नेतृत्व कर रहा है और उसने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई को मत्स्य-6000 के डिजाइन और विकास की जिम्मेदारी सौंपी है।

यह अत्याधुनिक पनडुब्बी एक कॉम्पैक्ट 2.1 मीटर व्यास वाले गोलाकार पतवार के भीतर तीन लोगों को ले जा सकती है। यह भारत की महासागर अन्वेषण क्षमताओं में एक बड़ा कदम है।

मत्स्य-6000 का मुख्य उद्देश्य 6,000 मीटर की गहराई तक तीन वैज्ञानिकों को विभिन्न वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ ले जाना है ताकि गहरे समुद्र के रहस्यों को खोजा जा सके।

यह पनडुब्बी स्व-चालित है, जिसका अर्थ है कि यह बिना किसी बाहरी सहायता के पानी के भीतर चल सकती है।

समुद्रयान परियोजना, जिसके तहत मत्स्य-6000 विकसित की जा रही है, भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर देगी जिनके पास मानवयुक्त पनडुब्बी बनाने की क्षमता है।

गहरे समुद्र में खनिज संसाधनों, जैव विविधता और भूवैज्ञानिक संरचनाओं का अध्ययन करने में मत्स्य-6000 महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इस मिशन से समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में नए अनुसंधान और खोजों को बढ़ावा मिलेगा।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

6. मत्स्य-6000 क्या है?

a) एक नई मछली की प्रजाति

b) भारत की चौथी पीढ़ी की गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी

c) चेन्नई का एक बंदरगाह

d) एक वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान

 Answer and Explanation

7. मत्स्य-6000 ने हाल ही में कहाँ परीक्षण पूरे किए हैं?

a) विशाखापत्तनम बंदरगाह

b) कोच्चि शिपयार्ड

c) कट्टुपल्ली बंदरगाह

d) मुंबई तट

 Answer and Explanation

8. मत्स्य-6000 वर्ष 2025 के अंत तक कितनी गहराई पर प्रदर्शन करेगी?

a) 6,000 मीटर

b) 1,000 मीटर

c) 500 मीटर

d) 200 मीटर

 Answer and Explanation

9. डीप ओशन मिशन किस मंत्रालय की पहल है?

a) रक्षा मंत्रालय

b) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय

c) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय

d) विदेश मंत्रालय

 Answer and Explanation

10. मत्स्य-6000 कितने लोगों को गहरे समुद्र में ले जा सकती है?

a) दो

b) तीन

c) चार

d) पाँच

 Answer and Explanation

 

A3.
लेजर का कहर: हेलिओस
Laser Fury: HELIOS

अमेरिकी नौसेना का पराक्रम: अमेरिकी नौसेना ने हाल ही में अपने युद्धपोत यूएसएस प्रीबल (USS Preble) से एक शक्तिशाली लेजर हथियार, जिसे "हेलिओस" (HELIOS) कहा जाता है, का सफल परीक्षण किया है।

ड्रोन के खिलाफ अचूक: इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह देखना था कि हेलिओस मानव रहित हवाई वाहनों (Unmanned Aerial Vehicles - UAVs) यानी ड्रोन को कितनी प्रभावी ढंग से मार गिरा सकता है।

हेलिओस का पूरा नाम: HELIOS का पूरा नाम है "हाई एनर्जी लेजर विद इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल डेज़लर एंड सर्विलांस" (High Energy Laser with Integrated Optical-dazzler and Surveillance) यह केवल दुश्मन के ड्रोन को नष्ट कर सकता है, बल्कि उन्हें अंधा भी कर सकता है और उनकी निगरानी भी कर सकता है।

लॉकहीड मार्टिन की देन: इस अत्याधुनिक लेजर हथियार को प्रसिद्ध रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने विकसित किया है। इसे 2022 में अमेरिकी नौसेना को सौंपा गया था।

शक्तिशाली लेजर: हेलिओस 60+ किलोवाट (kW) श्रेणी का लेजर है। यह इतनी शक्ति रखता है कि दुश्मन के छोटे जहाजों और ड्रोन को आसानी से निशाना बना सके।

भविष्य की क्षमता: हेलिओस की सबसे खास बात यह है कि इसे इस तरह से बनाया गया है कि भविष्य में इसकी शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। अनुमान है कि यह 120 किलोवाट से 150 किलोवाट तक की क्षमता तक पहुँच सकता है, जिससे यह और भी खतरनाक हथियार बन जाएगा।

लेजर हथियारों का महत्व: लेजर हथियार भविष्य के युद्धों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इनकी गति बहुत तेज होती है, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया करने का मौका नहीं मिलता। साथ ही, पारंपरिक हथियारों की तुलना में इनकी लागत प्रति शॉट कम होती है।

भारत भी पीछे नहीं: आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत भी लेजर हथियार तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है और इस क्षेत्र में अपनी क्षमताएं विकसित कर रहा है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

11. अमेरिकी नौसेना ने किस युद्धपोत से "हेलिओस" लेजर हथियार का परीक्षण किया?

a. यूएसएस निमित्ज़ (USS Nimitz)

b. यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise)

c. यूएसएस प्रीबल (USS Preble)

d. यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड (USS Gerald R. Ford)

 Answer and Explanation

12. हेलिओस का मुख्य उद्देश्य किस प्रकार के लक्ष्यों के विरुद्ध इसकी क्षमता का परीक्षण करना था?

a. दुश्मन के टैंक

b. मानव रहित हवाई वाहन (ड्रोन)

c. दुश्मन के युद्धपोत

d. इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें

 Answer and Explanation

13. लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित हेलिओस लेजर हथियार किस वर्ष अमेरिकी नौसेना को सौंपा गया था?

a. 2020

b. 2021

c. 2022

d. 2023

 Answer and Explanation

14. वर्तमान में हेलिओस लेजर हथियार की शक्ति क्षमता किस श्रेणी में है?

a. 30+ किलोवाट

b. 45+ किलोवाट

c. 60+ किलोवाट

d. 90+ किलोवाट

 Answer and Explanation

15. भविष्य में हेलिओस लेजर हथियार की संभावित अधिकतम शक्ति क्षमता कितनी हो सकती है?

a. 100 किलोवाट

b. 120 किलोवाट से 150 किलोवाट

c. 180 किलोवाट

d. 200 किलोवाट से अधिक

 Answer and Explanation

 

 

A4.
आइंस्टीन वलय: ब्रह्मांड का अद्भुत छल्ला
Einstein Rings: Cosmic Rings of Wonder

हाल ही में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन ने एक दुर्लभ आइंस्टीन वलय की खोज की है। यह वलय पृथ्वी से लगभग 590 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा NGC 6505 के चारों ओर दिखाई देता है।

एक प्रकाश वर्ष वह दूरी होती है जिसे प्रकाश एक वर्ष में तय करता है। यह लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर है।

आइंस्टीन वलय वास्तव में प्रकाश का एक गोलाकार छल्ला होता है, जो किसी विशाल खगोलीय पिंड, जैसे कि डार्क मैटर, एक अकेली आकाशगंगा, या आकाशगंगाओं के समूह के गुरुत्वाकर्षण के कारण बनता है।

यह घटना गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के कारण होती है। कल्पना कीजिए कि एक बहुत भारी वस्तु (जैसे आकाशगंगा NGC 6505) अंतरिक्ष में एक विशाल लेंस की तरह काम करती है। जब इस भारी वस्तु के पीछे से आने वाला प्रकाश गुजरता है, तो गुरुत्वाकर्षण उस प्रकाश को मोड़ देता है और उसे आवर्धित (magnify) कर देता है।

एक पूर्ण आइंस्टीन वलय तभी दिखाई देता है जब पर्यवेक्षक (जैसे यूक्लिड टेलीस्कोप), गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग करने वाली वस्तु (NGC 6505), और पृष्ठभूमि में स्थित आकाशगंगा लगभग एक सीधी रेखा में संरेखित होते हैं। यह संरेखण एक पूर्ण गोलाकार वलय बनाता है।

आइंस्टीन वलय खगोल भौतिकी में वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इनकी मदद से:

·      डार्क मैटर का अध्ययन: आइंस्टीन वलयों का आकार और विरूपण डार्क मैटर के वितरण के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो ब्रह्मांड का एक रहस्यमय और अदृश्य हिस्सा है।

·      डार्क एनर्जी का अध्ययन: ये वलय ब्रह्मांड के विस्तार की दर को समझने में मदद कर सकते हैं, जो डार्क एनर्जी से प्रभावित होती है।

·      दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन: गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग दूर की धुंधली आकाशगंगाओं को आवर्धित करके उन्हें अधिक स्पष्ट रूप से देखने में मदद करती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत (General Theory of Relativity) में गुरुत्वाकर्षण द्वारा प्रकाश के मोड़ने की भविष्यवाणी की थी। आइंस्टीन वलय इस सिद्धांत का एक शानदार प्रमाण हैं।

NGC 6505 के चारों ओर खोजा गया यह वलय वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की संरचना और विकास के बारे में और अधिक जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

15.  हाल ही में किस अंतरिक्ष दूरबीन ने आइंस्टीन वलय की खोज की है?

    a. केप्लर दूरबीन

    b. हबल अंतरिक्ष दूरबीन

    c. यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन

    d. जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन

 Answer and Explanation

16.  एक प्रकाश वर्ष लगभग कितने किलोमीटर के बराबर होता है?

    a. 9.46 मिलियन

    b. 9.46 बिलियन

    c. 9.46 ट्रिलियन

    d. 9.46 क्वाड्रिलियन

 Answer and Explanation

17.  आइंस्टीन वलय किस खगोलीय घटना के कारण बनता है?

    a. तारों का विस्फोट

    b. ग्रहों का संरेखण

    c. गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग

    d. ब्लैक होल का निर्माण

  Answer and Explanation

18.  पूर्ण आइंस्टीन वलय कब दिखाई देता है?

    a. जब पर्यवेक्षक और गुरुत्वाकर्षण लेंस लंबवत हों

    b. जब पृष्ठभूमि आकाशगंगा गुरुत्वाकर्षण लेंस के पीछे हो

    c. जब पर्यवेक्षक, गुरुत्वाकर्षण लेंस और पृष्ठभूमि आकाशगंगा लगभग एक सीध में हों

    d. जब गुरुत्वाकर्षण लेंस बहुत छोटा हो

 Answer and Explanation

19.  आइंस्टीन वलय वैज्ञानिकों को किस अध्ययन में मदद करते हैं?

    a. केवल तारों के जीवन चक्र का अध्ययन

    b. केवल ग्रहों की संरचना का अध्ययन

    c. डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन

    d. केवल ब्लैक होल के गुणों का अध्ययन

 Answer and Explanation

 

A5.
हरी इलायची के नए रिश्तेदार
Green Cardamom's New Kin

अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने हरी इलायची (एलेटेरिया कार्डामोमम) की छह नई करीबी प्रजातियों की खोज की है।

इन छह में से चार प्रजातियों को पहले अल्पिनिया नामक एक अलग जीनस में रखा गया था।

शेष दो प्रजातियाँ हाल ही में केरल के पश्चिमी घाट क्षेत्रों में पहचानी और वर्णित की गई हैं।

इन दो नई प्रजातियों के नाम हैं:

·      एलेटेरिया फेसिफ़ेरा (Elettaria fascifera): यह प्रजाति केरल के इडुक्की जिले के पेरियार टाइगर रिजर्व में पाई गई है।

·      एलेटेरिया ट्यूलिपिफेरा (Elettaria tulipifera): यह प्रजाति तिरुवनंतपुरम जिले की अगस्त्यमलाई पहाड़ियों और इडुक्की के मुन्नार में मिली है। इसका वर्णन डॉ. साबू और सिंगापुर बॉटनिक गार्डन के हर्बेरियम के जना लियोंग-स्कोर्निकोवा ने किया है।

पुनर्वर्गीकरण के बाद, अब एलेटेरिया जीनस में कुल सात प्रजातियाँ हैं, जिनमें स्वयं एलेटेरिया कार्डामोमम भी शामिल है।

जिन चार प्रजातियों को पहले अल्पिनिया जीनस में रखा गया था, वे हैं:

·      . एन्सल (E. ensal)

·      . फ्लोरिबुंडा (E. floribunda)

·      . इनवोल्यूक्रेटा (E. involucrata)

·      . रूफर्सेस (E. rufercens)

इस अंतर्राष्ट्रीय शोध टीम में डेनमार्क, भारत, कोलंबिया, चेक गणराज्य, सिंगापुर, श्रीलंका और यू.के. के वैज्ञानिक शामिल थे। भारत से, केएससीएसटीई-मालाबार बॉटनिकल गार्डन और इंस्टीट्यूट फॉर प्लांट साइंसेज, कोझिकोड के मामिल साबू इस टीम का हिस्सा थे।

शोध पत्र में हरी इलायची को केसर और वेनिला के बाद दुनिया का तीसरा सबसे मूल्यवान मसाला पौधा बताया गया है, जिसका बहुत अधिक आर्थिक महत्व है।

एलेटेरिया कार्डामोमम के बीज कैप्सूल ही व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल होने वाली हरी इलायची प्रदान करते हैं।

एलेटेरिया जीनस का नाम इस मसाले के पुराने मलयालम नाम 'एलेटारी' पर आधारित है, जिसका उपयोग हेंड्रिक वैन रीड ने 17वीं शताब्दी के अपने वनस्पति ग्रंथ 'हॉर्टस मालाबारिकस' में किया था।

केरल की दो नई प्रजातियों में से, एलेटेरिया फेसिफ़ेरा को निम्नलिखित विशेषताओं से पहचाना जा सकता है:

·      आधार पर पत्तियाँ (बेसल पत्तियाँ)

·      सीधे फूल वाले अंकुर, जो पत्तेदार अंकुरों से अलग होते हैं।

·      बैंगनी-लाल निशानों के साथ शुद्ध सफेद लेबेलम (फूल का एक भाग)

बहुविकल्पीय प्रश्न:

21. हरी इलायची की कितनी नई करीबी प्रजातियों की खोज अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने की है?

a) दो

b) चार

c) छह

d) आठ

 Answer and Explanation

22. इनमें से कौन सी प्रजाति पहले अल्पिनिया जीनस में रखी गई थी?

a) एलेटेरिया फेसिफ़ेरा

b) एलेटेरिया ट्यूलिपिफेरा

c) . एन्सल

d) एलेटेरिया कार्डामोमम

 Answer and Explanation

23. एलेटेरिया ट्यूलिपिफेरा मुख्य रूप से भारत के किस क्षेत्र में पाई जाती है?

a) पश्चिमी राजस्थान

b) पूर्वी हिमालय

c) पश्चिमी घाट, केरल

d) कोरोमंडल तट

 Answer and Explanation

24. केसर और वेनिला के बाद दुनिया का तीसरा सबसे मूल्यवान मसाला पौधा कौन सा है ?

a) लौंग

b) दालचीनी

c) हरी इलायची

d) जायफल

 Answer and Explanation

25. 'एलेटेरिया' जीनस का नाम किस भाषा के शब्द पर आधारित है जिसका उपयोग 17वीं शताब्दी में हेंड्रिक वैन रीड ने किया था?

a) संस्कृत

b) तमिल

c) मलयालम

d) तेलुगु

 Answer and Explanation

 

 

A6.
अंतरिक्ष में कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण: चीन की बड़ी सफलता
Artificial Photosynthesis in Space: China's Breakthrough

चीन के तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर शेनझोउ-19 चालक दल ने पहली बार 'कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण' तकनीक का उपयोग करके रॉकेट ईंधन के लिए ऑक्सीजन और सामग्री बनाई है।

यह तकनीक का पहला इन-ऑर्बिट प्रदर्शन था, जो वर्ष 2030 से पहले चालक दल द्वारा चंद्रमा पर उतरने सहित भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण है।

चाइना मैन्ड स्पेस (CMS) वेबसाइट के अनुसार, एक दराज के आकार के उपकरण के अंदर 12 प्रयोग किए गए।

वैज्ञानिकों ने कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ऑक्सीजन में बदलने के लिए अर्धचालक उत्प्रेरक (semiconductor catalyst) का उपयोग किया।

शोधकर्ता हाइड्रोकार्बन एथिलीन ($C_2H_4$) का उत्पादन करने में भी सफल रहे, जिसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है। एथिलीन एक महत्वपूर्ण पेट्रोकेमिकल है जिसका उपयोग प्लास्टिक और अन्य रसायनों के उत्पादन में भी होता है।

इस तकनीक पर शोधकर्ताओं ने 2015 में "बाह्य कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण" (extra-terrestrial artificial photosynthesis) के विचार पर काम करना शुरू किया था।

अतिरिक्त जानकारी:

कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण (Artificial Photosynthesis): यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण की नकल करती है, जिसमें सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को कार्बोहाइड्रेट और ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाता है। कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण का उद्देश्य सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में कुशलतापूर्वक परिवर्तित करना है।

अंतरिक्ष में महत्व: अंतरिक्ष मिशनों के लिए, विशेष रूप से लंबी अवधि के मिशनों के लिए, आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण है। पृथ्वी से ऑक्सीजन और ईंधन ले जाना महंगा और सीमित होता है। अंतरिक्ष में ही ऑक्सीजन और ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता मिशन की लागत को कम कर सकती है और अन्वेषण की संभावनाओं को बढ़ा सकती है।

अर्धचालक उत्प्रेरक (Semiconductor Catalyst): ये ऐसे पदार्थ होते हैं जो प्रकाश को अवशोषित करके रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं। इस प्रयोग में, उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ऑक्सीजन और अन्य उपयोगी पदार्थों में बदलने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया।

भविष्य की संभावनाएँ: यह सफलता अंतरिक्ष में जीवन समर्थन प्रणाली और इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन (ISRU) के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भविष्य में, इस तकनीक का उपयोग चंद्रमा या मंगल ग्रह पर बस्तियों के लिए आवश्यक संसाधन उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न :

26.  चीन के किस अंतरिक्ष स्टेशन पर कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण का प्रदर्शन किया गया?

    a.  तियानहे

    b.  तियांगोंग

    c.  शेनझोउ

    d.  चांग'

 Answer and Explanation

27.  शेनझोउ-19 चालक दल ने कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण का पहला इन-ऑर्बिट प्रदर्शन कब किया, जिसका लक्ष्य किस वर्ष से पहले चंद्रमा पर उतरना है?

    a.  2025 से पहले

    b.  2028 से पहले

    c.  2030 से पहले

    d.  2035 से पहले

  Answer and Explanation

28.  कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में किन मुख्य पदार्थों का उपयोग किया गया?

    a.  नाइट्रोजन और हाइड्रोजन

    b.  ऑक्सीजन और हीलियम

    c.  कार्बन डाइऑक्साइड और पानी

    d.  मीथेन और अमोनिया

 Answer and Explanation

29.  कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोकार्बन कौन सा है जिसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है?

    a.  मीथेन

    b.  प्रोपेन

    c.  एथिलीन

    d.  ब्यूटेन

 Answer and Explanation

30.  शोधकर्ताओं ने "बाह्य कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण" के विचार पर कब काम करना शुरू किया था?

    a.  2010 में

    b.  2015 में

    c.  2020 में

    d.  वर्तमान में

  Answer and Explanation

 



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नोट: ये बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) वर्तमान घटनाओं पर आधारित हैं। कृपया ध्यान दें कि समय के साथ घटनाओं और जानकारी में बदलाव हो सकता है।



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