6 July 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।
- A1. नक्सल मुक्त भारत: संकल्प और प्रगति
- A2. शिमला समझौता: शांति की एक अधूरी कहानी
- A3. शिमला समझौता: शांति की एक अधूरी कहानी
- A4. बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट सुविधा: एक बड़ा बदलाव!
- A5. वारी एनर्जी की 5.4 GW गीगाफैक्ट्री: आत्मनिर्भर भारत का नया सूरज!
- A6.सूर्य देवभूमि चैलेंज: हिमालयी पराक्रम की गाथा
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।
A1.
नक्सल मुक्त भारत:
संकल्प और प्रगति
India's
Anti-Naxal Drive: Progress and Commitment
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, भारत सरकार 31 मार्च, 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने के अपने लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। यह एक महत्वाकांक्षी लेकिन प्राप्त करने योग्य लक्ष्य है, क्योंकि सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
घटते प्रभावित जिले:
• पहले देश में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या 38 थी।
• "सबसे अधिक प्रभावित" जिलों की संख्या 12 से घटकर केवल 6 रह गई है।
• "चिंता के जिलों" की संख्या 9 से घटकर 6 हो गई है।
• "अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों" की संख्या 17 से घटकर 6 हो गई है।
वर्तमान में सबसे अधिक प्रभावित 6 जिले:
छत्तीसगढ़: बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा (4 जिले)
झारखंड: पश्चिमी सिंहभूम (1 जिला)
महाराष्ट्र: गढ़चिरौली (1 जिला)
वर्तमान में "चिंता के 6 जिले" (जिन्हें गहन संसाधनों और ध्यान की आवश्यकता है):
आंध्र प्रदेश: अल्लूरी सीताराम राजू
मध्य प्रदेश: बालाघाट
ओडिशा: कालाहांडी, कंधमाल, मलकानगिरी
तेलंगाना: भद्राद्री कोठागुडेम
वर्तमान में "अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 6 जिले" (कम हद तक नक्सली गतिविधि):
छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा, गरियाबंद, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
झारखंड: लातेहार
ओडिशा: नुआपाड़ा
तेलंगाना: मुलुगु
सरकार की रणनीति:
दृढ़ दृष्टिकोण: सरकार नक्सलवाद के प्रति दृढ़ नीति अपना रही है, जिसका उद्देश्य हिंसा को समाप्त करना है।
सर्वव्यापी विकास: साथ ही, सरकार प्रभावित क्षेत्रों में सर्वव्यापी विकास सुनिश्चित कर रही है ताकि स्थानीय आबादी को मुख्यधारा में लाया जा सके और नक्सलवाद की जड़ों को कमजोर किया जा सके।
विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) योजना: केंद्र सरकार प्रभावित जिलों को उनके पुनरुद्धार और विकास में सहायता के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह योजना बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
"रेड कॉरिडोर" और उसका सिकुड़ना:
नक्सल आंदोलन "रेड कॉरिडोर" में सबसे अधिक सक्रिय था, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और बिहार सहित कई भारतीय राज्यों के हिस्सों में फैला हुआ है।
सरकार के निरंतर प्रयासों और प्रभावी रणनीति के कारण, यह "रेड कॉरिडोर" अब सिकुड़ रहा है, जिससे नक्सली गतिविधियों का भौगोलिक विस्तार कम हो रहा है।
अतिरिक्त जानकारी:
नक्सलवाद, जिसे माओवादी उग्रवाद भी कहा जाता है, भारत में दशकों से एक गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती रहा है। इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई थी, जहाँ से इसका नाम पड़ा। यह आंदोलन मुख्य रूप से आदिवासी और ग्रामीण गरीबों के शोषण के विरोध में शुरू हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक हिंसक सशस्त्र संघर्ष में बदल गया। सरकार की दोहरी रणनीति - सुरक्षा बलों के माध्यम से सख्त कार्रवाई और विकास कार्यों के माध्यम से स्थानीय लोगों को सशक्त बनाना - इस समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर, सरकार इन क्षेत्रों के लोगों को सशक्त बना रही है, जिससे उन्हें नक्सलवादी विचारधारा से दूर रहने में मदद मिल रही है।
A2.
शिमला समझौता: शांति की एक अधूरी कहानी
The
Shimla Agreement: An Unfinished Chapter of Peace
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से जटिल रहे हैं, और इन संबंधों में 2 जुलाई, 1972 को हस्ताक्षरित 'शिमला समझौता' एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुए इस समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे।
समझौते के पीछे की पृष्ठभूमि:
यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) का निर्माण हुआ। युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और स्थायी शांति स्थापित करने के उद्देश्य से यह समझौता किया गया था।
शिमला समझौते की मुख्य बातें:
द्विपक्षीय वार्ता: समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच भविष्य के सभी विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करना था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से बचना था।
नियंत्रण रेखा (LoC): यह सहमति बनी कि 17 दिसंबर, 1971 को युद्धविराम के परिणामस्वरूप बनी नियंत्रण रेखा (LoC) को दोनों देशों द्वारा सम्मान दिया जाएगा और इसे बदलने का कोई एकतरफा प्रयास नहीं किया जाएगा। यह LoC तब से भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक सीमा के रूप में कार्य करती है।
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व: दोनों देशों ने एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का संकल्प लिया।
संबंधों का सामान्यीकरण: समझौते में संचार, यात्रा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य करने की बात भी शामिल थी।
A3.
भारत का नया यूनिकॉर्न: Juspay की उड़ान!
India's
New Unicorn: Juspay Takes Flight!
बेंगलुरु की तकनीकी दुनिया से एक बड़ी खबर है! साल 2025 का भारत का पहला यूनिकॉर्न हमें मिल गया है, और यह कोई और नहीं बल्कि Juspay है! यह भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अब $1 बिलियन (लगभग ₹8,300 करोड़) से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर चुकी है, जिससे यह प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई है।
Juspay की यह सफलता क्यों महत्वपूर्ण है?
बड़ा निवेश: Juspay ने अपने सीरीज़ D फंडिंग राउंड में $60 मिलियन (लगभग ₹500 करोड़) जुटाए हैं।
प्रमुख निवेशक: इस निवेश दौर का नेतृत्व Kedaara Capital ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशक SoftBank और Accel ने भी अपनी भागीदारी जारी रखी। यह बड़े निवेशकों का विश्वास दर्शाता है।
स्थापना: Juspay की स्थापना वर्ष 2012 में विमल कुमार और शीतल लालवानी द्वारा की गई थी।
मुख्य पेशकश: Juspay पेमेंट ऑर्केस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर का एक अग्रणी प्रदाता है। इसका मतलब है कि यह व्यवसायों को विभिन्न भुगतान गेटवे और विकल्पों को एक साथ कुशलता से प्रबंधित करने में मदद करता है, जिससे ग्राहकों के लिए भुगतान प्रक्रिया आसान और सुरक्षित हो जाती है।
भारत के डिजिटल भुगतान में योगदान: Juspay भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कई बड़े भारतीय व्यवसायों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए भुगतान प्रक्रियाओं को शक्ति प्रदान करता है।
A4.
बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट सुविधा: एक बड़ा बदलाव!
Transshipment
Facility to Bangladesh: A Significant Change!
हाल ही में भारत सरकार ने 08 अप्रैल, 2025 से बांग्लादेश को प्रदान की गई एक विशेष ट्रांसशिपमेंट (पुनः लदान) सुविधा को वापस ले लिया है। आइए, इस बदलाव को विस्तार से समझते हैं:
क्या था यह सुविधा?
जून
2020 में, भारत सरकार ने बांग्लादेश को एक ट्रांसशिपमेंट ट्रांजिट सुविधा प्रदान की थी।
इस सुविधा के तहत, बांग्लादेश भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों का उपयोग करके तीसरे देशों को अपना माल निर्यात कर सकता था। यह बांग्लादेश के लिए लॉजिस्टिक्स को आसान बनाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम था।
सुविधा वापसी का समय और संदर्भ:
यह सुविधा 08 अप्रैल, 2025 से प्रभावी रूप से वापस ले ली गई है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सुविधा जून 2020 में शेख हसीना सरकार के सत्ता में रहने के दौरान ही बांग्लादेश को दी गई थी, जो दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक थी।
WTO नियम और पारगमन की स्वतंत्रता:
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुसार, सभी सदस्य देशों को भूमि से घिरे देशों (landlocked countries) से आने-जाने वाले माल के लिए "पारगमन की स्वतंत्रता" (freedom of transit) की अनुमति देना आवश्यक है।
यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश एक भूमि से घिरा हुआ देश नहीं है, बल्कि एक तटीय देश है जिसकी अपनी बंदरगाह सुविधाएँ हैं (जैसे चटगाँव बंदरगाह)। इसलिए, भारत द्वारा दी गई यह ट्रांसशिपमेंट सुविधा WTO के "भूमि से घिरे देशों" वाले नियम से सीधे संबंधित नहीं थी, बल्कि यह भारत की ओर से एक सद्भावनापूर्ण और आर्थिक सहयोग का कदम था।
इस बदलाव के संभावित निहितार्थ:
इस निर्णय से बांग्लादेश को तीसरे देशों को निर्यात करने के लिए वैकल्पिक लॉजिस्टिक्स मार्गों और व्यवस्थाओं की तलाश करनी पड़ सकती है।
यह भविष्य में दोनों देशों के बीच व्यापार और परिवहन समझौतों की समीक्षा का कारण बन सकता है।
A5.
वारी एनर्जी की 5.4 GW गीगाफैक्ट्री: आत्मनिर्भर भारत का नया सूरज!
WAAREE
Energies' 5.4 GW Giga-factory: Powering India's Self-Reliance!
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने हाल ही में गुजरात के चिखली में वारी एनर्जी की अत्याधुनिक 5.4 गीगावाट (GW) सौर सेल गीगाफैक्ट्री/विनिर्माण सुविधा का उद्घाटन किया। यह भारत के सौर ऊर्जा परिदृश्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और देश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर: यह संयंत्र भारत का सबसे बड़ा अत्याधुनिक सौर सेल उत्पादन संयंत्र है। इसका उद्घाटन घरेलू सौर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा और सौर उपकरणों के आयात पर हमारी निर्भरता को काफी कम करेगा।
वैश्विक मंच पर भारत: वारी एनर्जी द्वारा गुजरात में स्थापित यह नई सुविधा उच्च गुणवत्ता वाले सौर मॉड्यूल का उत्पादन करेगी। यह भारत को दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
क्षमता और प्रभाव: 5.4 GW की यह गीगाफैक्ट्री भारत की कुल सौर सेल उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी। यह लाखों घरों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
रोजगार सृजन: ऐसे बड़े विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना से स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
A6.
सूर्य देवभूमि चैलेंज: हिमालयी पराक्रम की गाथा
Suryadevbhumi
Challenge: A Himalayan Test of Endurance
भारतीय सेना और उत्तराखंड सरकार ने मिलकर एक असाधारण अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट, सूर्य देवभूमि चैलेंज का सफल आयोजन किया। 18 से 20 अप्रैल, 2025 तक हिमालय के ऊंचे और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में आयोजित इस चुनौती ने प्रतिभागियों की शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता और भावनात्मक शक्ति की पराकाष्ठा का परीक्षण किया।
इस रोमांचक आयोजन में देश भर से लगभग 150 एथलीट, साहसी और धीरज के शौकीन शामिल हुए। इनमें 77 सेना के जवान और 73 नागरिक, जिनमें सात महिला एथलीट भी शामिल थीं, ने अपनी सीमाओं को चुनौती दी। लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीवास्तव ने बताया कि यह आयोजन प्रतिभागियों को उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ों में खुद को परखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
मुख्य बातें:
आयोजक: भारतीय सेना और उत्तराखंड सरकार
आयोजन का नाम: सूर्य देवभूमि चैलेंज
तिथि: 18-20 अप्रैल,
2025
स्थान: उत्तराखंड के उच्च ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र
उद्देश्य: प्रतिभागियों की शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक लचीलापन और भावनात्मक शक्ति का परीक्षण करना।
प्रतिभागी: लगभग 150
एथलीट (77 सेना के जवान, 73 नागरिक, जिनमें 7 महिला एथलीट शामिल थीं)।
विशेषता: यह एक अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट था, जो प्रतिभागियों को उनकी चरम सीमा तक धकेलने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
उपरोक्त घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न यहां क्लिक करें ।
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