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12 August 2025 Current Affairs Questions

12 August 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।

  • A1. भारत-नेपाल: स्वास्थ्य सहयोग की एक नई मिसाल
  • A2.  अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय: लीबिया के अपराधों की जाँच का जिम्मा
  • A3.  गोवा का अनोखा उत्सव: श्री लैराई जात्रा
  • A4. मणिपुर का गौरव: शिरुई लिली महोत्सव
  • A5. सारनाथ से वियतनाम तक: संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस 2025
  • A6. उत्तराखंड की संस्कृति का प्रतिबिंब: रम्माण उत्सव

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m



क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
भारत-नेपाल: स्वास्थ्य सहयोग की एक नई मिसाल
India-Nepal: A New Paradigm of Health Cooperation

हाल ही में, भारत सरकार ने अपने पड़ोसी देश नेपाल को 2 मिलियन डॉलर की महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान करके इस दोस्ती को एक नई ऊँचाई दी है। यह सहायता विशेष रूप से थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग से पीड़ित रोगियों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी।

मुख्य बातें:

बड़ी सहायता: भारत सरकार ने नेपाल को 2 मिलियन डॉलर की चिकित्सा सहायता भेजी है।

रोगों पर ध्यान: इस सहायता का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग से ग्रस्त मरीजों का इलाज और प्रबंधन है। ये दोनों ही गंभीर आनुवंशिक रक्त रोग हैं, जिनका समय पर इलाज होने पर जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है।

दवाओं और टीकों की खेप: पहली खेप में कई महत्वपूर्ण टीके और दवाइयाँ शामिल हैं, जो विभिन्न संक्रामक रोगों से लड़ने में मदद करेंगी।

पहली खेप में शामिल टीके:

    इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (3100 यूनिट)

    साल्मोनेला वैक्सीन (1550 यूनिट)

    मेनिन्गोकोकस वैक्सीन (3100 यूनिट)

    हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (4640 यूनिट)

    स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया वैक्सीन (4640 यूनिट)

दोस्ती की मिसाल: यह कदम केवल नेपाल के स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को भी बढ़ाएगा। भारत हमेशा से 'पड़ोसी पहले' की नीति पर चलते हुए अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए तत्पर रहा है।

अतिरिक्त जानकारी:

थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग: ये दोनों ही रक्त में हीमोग्लोबिन से संबंधित विकार हैं। थैलेसीमिया में शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता, जबकि सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार की हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा आती है। इन रोगों के प्रबंधन में नियमित रक्त आधान और विशेष दवाइयों की आवश्यकता होती है।

टीकों का महत्व: इस सहायता में शामिल टीके इन्फ्लुएंजा, टाइफाइड (साल्मोनेला), दिमागी बुखार (मेनिन्गोकोकस), और निमोनिया (स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया) जैसे रोगों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों के लिए आवश्यक होते हैं।

 

 

 

A2.
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय: लीबिया के अपराधों की जाँच का जिम्मा
The International Criminal Court: Investigating Alleged Crimes in Libya

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने लीबिया में कथित अपराधों की जाँच के लिए अधिकार क्षेत्र प्राप्त किया है। यह घोषणा लीबिया सरकार द्वारा की गई है, जिसमें 2011 से 2027 के अंत तक होने वाले अपराधों के लिए ICC के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार किया गया है।

मुख्य बिंदु:

रोम संविधि के तहत स्वीकृति: लीबिया ने रोम संविधि के अनुच्छेद 12(3) के तहत एक औपचारिक घोषणा प्रस्तुत की है, जिससे ICC को जाँच करने की अनुमति मिलती है।

जाँच की अवधि: लीबिया सरकार को उम्मीद है कि जाँच चरण 2026 की शुरुआत तक पूरा हो जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हस्तक्षेप: 26 फरवरी 2011 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने संकल्प 1970 के माध्यम से ICC अभियोक्ता को लीबिया की स्थिति का संज्ञान लेने का निर्देश दिया था।

ICC की स्थापना: 17 जुलाई 1998 को 120 देशों द्वारा रोम संविधि को अपनाने के बाद 1 जुलाई 2002 को ICC की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है।

क्षेत्रीय कार्यालय: ICC के 6 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो विभिन्न देशों में स्थित हैं, जिनमें कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (किंशासा और बुनिया), युगांडा (कंपाला), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (बैंगुई), केन्या (नैरोबी), और आइवरी कोस्ट (आबिदजान) शामिल हैं।

रोचक तथ्य:

रोम संविधि: यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की स्थापना करती है।

ICC का कार्य: यह नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और आक्रामकता के अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है।

ICC और ICJ में अंतर: अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करता है।

 

A3.
गोवा का अनोखा उत्सव: श्री लैराई जात्रा
Goa's Unique Celebration: The Shirgao Zatra

गोवा, अपनी सुनहरी रेत और नीले समुद्र के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके भीतर एक समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत भी छिपी हुई है। ऐसा ही एक अविस्मरणीय पर्व है 'श्री लैराई जात्रा', जिसे 'शिरगाओ जात्रा' के नाम से भी जाना जाता है। यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गोवा की लोक संस्कृति और गहरी आस्था का प्रतीक है।

प्रमुख बिंदु:

स्थल और देवी: यह वार्षिक उत्सव उत्तरी गोवा के बिचोलिम तालुका में स्थित शिरगाओ गाँव में आयोजित होता है। यह महोत्सव गाँव की मुख्य देवी, श्री लैराई देवी के सम्मान में मनाया जाता है।

त्योहार की तारीख: पारंपरिक समय के अनुसार, यह त्योहार हर साल मई महीने के आसपास होता है। आपके दिए गए जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 में, शिरगाओ जात्रा 02 मई को हुई थी।

अद्वितीय अनुष्ठान: अग्नि-गमन: इस महोत्सव का सबसे खास और रोमांचक हिस्सा 'अग्नि-गमन' (अग्नि-चलने) की रस्म है। इस दौरान, भक्त, जिन्हें स्थानीय भाषा में 'धोंड' कहा जाता है, देवी के प्रति अपनी अटूट भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता को साबित करने के लिए जलते हुए अंगारों के बिस्तर पर नंगे पैर चलते हैं। यह दृश्य देखने वालों को अचंभित कर देता है और भक्तों की आस्था की गहराई को दर्शाता है।

'धोंड' की तैयारी: अग्नि-गमन से पहले, 'धोंड' एक सख्त धार्मिक प्रक्रिया का पालन करते हैं। वे कई दिनों तक व्रत रखते हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और मंदिर के पास ही रहते हैं। उनका मानना है कि देवी लैराई की कृपा से उन्हें अंगारों पर चलने से कोई हानि नहीं होती।

उत्सव का माहौल: जात्रा के दिन, पूरा गाँव उत्सव के रंग में रंग जाता है। मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ध्वनि और धार्मिक मंत्रों के उच्चारण से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। यह त्योहार केवल शिरगाओ के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गोवा और पड़ोसी राज्यों के भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।

 

A4.
मणिपुर का गौरव: शिरुई लिली महोत्सव
Manipur's Pride: The Shirui Lily

पूर्वोत्तर भारत का खूबसूरत राज्य मणिपुर, अपनी समृद्ध संस्कृति और अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस राज्य के हृदय में एक ऐसा वार्षिक उत्सव मनाया जाता है जो एक दुर्लभ पुष्प, शिरुई लिली, को समर्पित है। यह महोत्सव केवल फूल की सुंदरता का जश्न है, बल्कि उसकी सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास भी है।

प्रमुख बिंदु:

पुष्प और स्थल: शिरुई लिली, जिसका वैज्ञानिक नाम लिलियम मैकलिनिया है, एक ऐसा वनस्पति चमत्कार है जो दुनिया में कहीं और नहीं, बल्कि केवल मणिपुर के उखरुल जिले की शिरुई पहाड़ियों में ही उगता है। यह फूल मणिपुर के राज्य फूल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

उत्सव की तारीख और महत्व: वर्ष 2025 में, इस महोत्सव ने अपना 5वाँ संस्करण मनाया, जो 20 मई से 24 मई तक उखरुल के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया। यह विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह इस अद्वितीय लिली की खोज की 75वीं वर्षगांठ को भी चिन्हित करता है। इस फूल की खोज प्रसिद्ध ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री फ्रैंक किंग्डन-वार्ड ने की थी।

पुष्प की विशिष्टता: शिरुई लिली अपनी घंटे के आकार की पंखुड़ियों के लिए प्रसिद्ध है, और यह केवल मानसून के मौसम में कुछ हफ्तों के लिए ही खिलता है। इसका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक लुप्तप्राय प्रजाति है। यह महोत्सव लोगों को इस दुर्लभ फूल के बारे में शिक्षित करने और इसके प्राकृतिक आवास को बचाने के लिए प्रेरित करता है।

महोत्सव का उद्देश्य और आयोजन: शिरुई लिली महोत्सव का मुख्य उद्देश्य राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देना और इस फूल के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है। इस दौरान, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, लोक गीत, स्वदेशी खेल, और संगीत समारोह आयोजित किए जाते हैं, जो मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।

दो प्रमुख उत्सव: मणिपुर में दो प्रमुख उत्सव हैं जिनका नाम राज्य के प्रतीकों पर रखा गया है। पहला, शिरुई लिली महोत्सव, जो राज्य फूल के नाम पर है, और दूसरा, संगाई महोत्सव, जिसका नाम मणिपुर के भूरे सींग वाले हिरण (संगाई), जो राज्य पशु है, के नाम पर रखा गया है। यह दर्शाता है कि मणिपुर के लोग अपनी प्रकृति और जीव-जंतुओं से कितना गहरा जुड़ाव रखते हैं।

 

A5.
सारनाथ से वियतनाम तक: संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस 2025
From Sarnath to Vietnam: UN Vesak Day 2025

मई महीने की पूर्णिमा का दिन, जिसे 'वैसाक' या 'बुद्ध पूर्णिमा' के नाम से जाना जाता है, दुनिया भर के लाखों बौद्धों के लिए सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भगवान बुद्ध के जीवन के तीन सबसे महत्वपूर्ण क्षणों का एक साथ जश्न है, जो शांति और करुणा के उनके संदेश को पूरी दुनिया में फैलाता है।

प्रमुख बिंदु:

तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ: वैसाक का दिन भगवान बुद्ध के जीवन की तीन महान घटनाओं का साक्षी है। यह वह दिन है जब ढाई सहस्राब्दी पहले (623 ईसा पूर्व) राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म हुआ था। इसी दिन उन्हें बोधगया में 'ज्ञान की प्राप्ति' हुई, जिसके बाद वे 'बुद्ध' कहलाए। और इसी पवित्र दिन, अस्सी वर्ष की आयु में, उन्होंने 'महापरिनिर्वाण' प्राप्त किया, यानी अपने भौतिक शरीर का त्याग किया।

2025 का विशेष आयोजन: संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस, 2025 के भव्य समारोह के दौरान, भारत के संस्कृति मंत्रालय ने वियतनाम में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस प्रदर्शनी में, सारनाथ के पवित्र बुद्ध अवशेषों को पहली बार वियतनाम में प्रदर्शित किया गया, जो भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करता है। सारनाथ वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था।

महापरिनिर्वाण और कुशीनगर: बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले में अपना शरीर त्यागा था। इस घटना को 'महापरिनिर्वाण' कहा जाता है, जिसका अर्थ है जन्म-मृत्यु के चक्र से अंतिम मुक्ति। कुशीनगर आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

वैसाक का वैश्विक महत्व: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1999 में वैसाक दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी। यह दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को याद करने और दुनिया भर में शांति, अहिंसा और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का एक अवसर प्रदान करता है।

 

 

A6.
उत्तराखंड की संस्कृति का प्रतिबिंब: रम्माण उत्सव
A Cultural Reflection of Uttarakhand: The Ramman Festival

उत्तराखंड की गोद में, प्रकृति की सुंदरता और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसी संगम का एक अनूठा उदाहरण है 'रम्माण उत्सव' यह पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा, लोक कला और रामायण की कहानियों का जीवंत प्रदर्शन है।

आइए, इस उत्सव के बारे में कुछ रोचक बातें जानें:

स्थान और समय: यह उत्सव हर साल अप्रैल महीने में उत्तराखंड के चमोली जिले (यहाँ "खौरी" की जगह "चमोली" है) के सलूड़-डुंगरा गाँव में मनाया जाता है। यह गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

उत्सव का सार: रम्माण में गाँव के कलाकार रामायण के प्रसंगों और स्थानीय लोक कथाओं को एक अनोखी शैली में प्रस्तुत करते हैं। इसमें मुखौटा नृत्य, गीत और नाट्य प्रदर्शन शामिल होते हैं। कलाकार मुखौटे पहनकर विभिन्न पात्रों का अभिनय करते हैं, जो दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है।

अद्वितीय शैली: रम्माण की सबसे खास बात इसकी प्रस्तुति की शैली है। इसमें पौराणिक कथाओं को स्थानीय लोक-परंपराओं के साथ मिलाकर दिखाया जाता है। यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान भी है, जिसमें पूरा गाँव उत्साहपूर्वक भाग लेता है।

विश्व विरासत का दर्जा: इस उत्सव की अद्वितीयता और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए, वर्ष 2009 में यूनेस्को (UNESCO) ने इसे 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल किया। यह उत्तराखंड के लिए एक बड़ा सम्मान है और इस उत्सव को विश्व पटल पर पहचान दिलाता है।

अतिरिक्त जानकारी: रम्माण उत्सव का आयोजन सलूड़ गांव के भूमियाल देवता (स्थानीय ग्राम देवता) के प्रांगण में होता है। यह उत्सव कई दिनों तक चलता है और हर दिन नए-नए प्रसंगों का मंचन किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से रामायण के प्रसंगों के साथ-साथ स्थानीय लोक नायक, जैसे गोपीचंद और कृष्ण के जीवन की कहानियों को भी शामिल किया जाता है।

 


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