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13 August 2025 Current Affairs Questions

13 August 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।

  • A1. भारत का हाइपरसोनिक सपना: DRDO की स्कैमजेट इंजन में सफलता
  • A2.  अग्निकुल का अग्निबाण: भारत की अंतरिक्ष में नई उड़ान
  • A3.  इंडिया स्टील 2025: भारत के इस्पात क्षेत्र का नया अध्याय
  • A4. पूर्वोत्तर में उदय: निवेश शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें
  • A5. अमेज़न का अंतरिक्ष में धमाकेदार प्रवेश: प्रोजेक्ट कुइपर!
  • A6.WAVES 2025: मनोरंजन जगत का नया अध्याय 

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m



क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।


A1.
भारत का हाइपरसोनिक सपना: DRDO की स्कैमजेट इंजन में सफलता
India's Hypersonic Leap: DRDO's Scramjet Engine Success

भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में स्कैमजेट इंजन के विकास में एक बड़ी सफलता हासिल की है। यह तकनीक भारत को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के क्षेत्र में एक मज़बूत दावेदार बनाती है।

क्या है यह नई उपलब्धि?

DRDO की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने एक एक्टिव कूल्ड स्कैमजेट इंजन के सबस्केल मॉडल का सफल ग्राउंड टेस्ट किया।

यह परीक्षण 1,000 सेकंड से भी अधिक समय तक चला, जो इस इंजन के लगातार काम करने की क्षमता को दर्शाता है।

इस परीक्षण के लिए DRDL में एक नई स्कैमजेट कनेक्ट टेस्ट सुविधा स्थापित की गई थी।

स्कैमजेट इंजन क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

स्कैमजेट (Scramjet), जिसका पूरा नाम सुपरसोनिक कंबशन रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) है, एक एयर-ब्रीदिंग इंजन है। यह अपने दहन कक्ष (combustion chamber) में ईंधन जलाने के लिए वायुमंडल से ऑक्सीजन लेता है, जिससे यह पारंपरिक रॉकेट इंजनों की तुलना में हल्का और अधिक कुशल होता है।

स्कैमजेट इंजन मैक 5 (ध्वनि की गति से पाँच गुना) से अधिक गति पर काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

कार्यप्रणाली: यह इंजन वायुमंडल से हवा को अत्यधिक गति से लेता है, उसे संपीड़ित (compress) करता है और फिर उसमें ईंधन मिलाकर दहन करता है। यह प्रक्रिया रॉकेट की तरह भारी ऑक्सीडाइजर टैंक की आवश्यकता को समाप्त कर देती है।

अनुप्रयोग: इस तकनीक का उपयोग हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और भविष्य के अंतरिक्ष यानों में किया जा सकता है, जिससे वे 6,100 किमी/घंटा से अधिक की गति से उड़ सकें।

 

 

A2.
अग्निकुल का अग्निबाण: भारत की अंतरिक्ष में नई उड़ान
Agnikul's Agnibaan: India's New Leap into Space

भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में एक रोमांचक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है! चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने एक बड़ा मील का पत्थर पार करते हुए भारत के पहले इलेक्ट्रिक मोटर-चालित सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण किया है। यह इंजन उनके आगामी लॉन्च वाहन, अग्निबाण, को शक्ति देगा।

यह सफलता भारत के तेजी से बढ़ते निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक बड़ी छलांग है, जो अग्निकुल को प्रणोदन प्रौद्योगिकी (Propulsion Technology) के नवाचार में सबसे आगे ले जाती है।

इस इंजन की खासियतें

इलेक्ट्रिक मोटर-चालित थ्रॉटलिंग प्रणाली: इस इंजन की सबसे खास बात इसकी इलेक्ट्रिक मोटर-चालित प्रणाली है। यह मोटर की गति को बदलकर थ्रस्ट (धक्का) पर बहुत सटीक नियंत्रण रखती है।

उच्च सटीकता और तीव्र प्रतिक्रिया: यह क्षमता रॉकेट को उड़ान के दौरान जटिल प्रक्षेप पथ (trajectory) और मिशन की जरूरतों के अनुसार खुद को नियंत्रित करने में मदद करती है।

अतिरिक्त जानकारी: पारंपरिक रॉकेट इंजन अक्सर टर्बोपंप का उपयोग करते हैं, जो अपने स्वयं के ईंधन और ऑक्सीडाइज़र पर चलते हैं। लेकिन, अग्निकुल का यह नया इलेक्ट्रिक मोटर-चालित इंजन पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में अधिक कुशल और हल्का हो सकता है, जिससे रॉकेट का कुल वजन कम होता है और प्रदर्शन बेहतर होता है।

इस नई तकनीक का उपयोग करके, अग्निकुल कॉसमॉस छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low-Earth Orbit) में स्थापित करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयार है। यह सफलता दर्शाती है कि भारतीय निजी कंपनियां अब अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रही हैं।

 

 

A3.
इंडिया स्टील 2025: भारत के इस्पात क्षेत्र का नया अध्याय
India Steel 2025: A New Chapter for India's Steel Sector

भारत, जो कि विश्व में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लगातार इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। इसी कड़ी में, मुंबई में आयोजित हुआ 'इंडिया स्टील 2025' प्रदर्शनी सह सम्मेलन इस्पात उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। आइए, इस आयोजन से जुड़ी कुछ खास बातें जानें:

छठा संस्करण और उद्घाटन: 24 अप्रैल, 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया स्टील के छठे संस्करण का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह आयोजन मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ, जिसने देश भर के इस्पात उद्योग के दिग्गजों को एक साथ लाने का काम किया।

आयोजन का उद्देश्य: इंडिया स्टील प्रदर्शनी सह सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय इस्पात उद्योग की क्षमताओं को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना, नई तकनीकों और नवाचारों को बढ़ावा देना, और वैश्विक व्यापार के अवसरों को खोजना है। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहित करता है।

आयोजनकर्ता: इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के सहयोग से किया था। FICCI, भारत के सबसे बड़े और सबसे पुराने व्यापारिक संगठनों में से एक है, जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पिछले संस्करण: इस प्रदर्शनी की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी। इसका पाँचवाँ संस्करण 19 से 21 अप्रैल, 2023 तक मुंबई में आयोजित हुआ था, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता और महत्व को दर्शाता है।

भारत की वैश्विक स्थिति: चीन के बाद, भारत कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह स्थिति भारत की मजबूत औद्योगिक क्षमता और आर्थिक विकास का प्रमाण है। इस्पात उद्योग देश के बुनियादी ढाँचे के विकास, ऑटोमोबाइल, रक्षा और अन्य कई क्षेत्रों के लिए एक रीढ़ की हड्डी के समान है।

अतिरिक्त जानकारी: भारत सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 (National Steel Policy 2017) जैसी पहल के माध्यम से इस क्षेत्र को और मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। इस नीति का उद्देश्य 2030-31 तक देश में कच्चे इस्पात उत्पादन की क्षमता को 300 मिलियन टन तक बढ़ाना है। यह लक्ष्य केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि इसे वैश्विक इस्पात बाजार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

 

A4.

पूर्वोत्तर में उदय: निवेश शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें

Northeast on the Rise: Key Highlights of the Investors Summit

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 का उद्घाटन किया। 23 और 24 मई, 2025 को आयोजित हुए इस दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों की विशाल व्यापार और निवेश क्षमता को दुनिया के सामने लाना था। इस समिट में अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों ही तरह के निवेशकों को इन राज्यों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें

आयोजक: इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (Ministry of Development of North Eastern Region) द्वारा किया गया था।

उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य संभावित निवेशकों को पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति, प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों और कुशल कार्यबल से परिचित कराना था। यह क्षेत्र केवल बांस और पेट्रोलियम जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, बल्कि अपनी समृद्ध जैव-अर्थव्यवस्था, इको-पर्यटन और हस्तशिल्प के लिए भी जाना जाता है।

निवेश के प्रमुख क्षेत्र: पूर्वोत्तर राज्यों में कई उभरते हुए उद्योग हैं, जिनमें जैव उद्योग, बांस और पेट्रोलियम उद्योग, कौशल विकास और इको-पर्यटन शामिल हैं। इन क्षेत्रों में निवेश के अपार अवसर मौजूद हैं।

अतिरिक्त जानकारी: भारत सरकार की 'एक्ट ईस्ट' नीति ने पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार बना दिया है। इस नीति के तहत, सरकार ने इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी में सुधार से अब पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँचना और व्यापार करना काफी आसान हो गया है।

 

 

A5.

अमेज़न का अंतरिक्ष में धमाकेदार प्रवेश: प्रोजेक्ट कुइपर!

Amazon's Bold Leap into Space: Project Kuiper

अमेज़न ने अंतरिक्ष में इंटरनेट की दुनिया में कदम रख दिया है! 29 अप्रैल, 2025 को फ्लोरिडा के केप केनावेरल से यूनाइटेड लॉन्च एलायंस (ULA) के एटलस रॉकेट की मदद से, अमेज़न ने अपने महत्वाकांक्षी 10 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट कुइपर के तहत 27 सैटेलाइट्स का पहला बैच सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह लॉन्च स्पेसएक्स के स्टारलिंक को कड़ी चुनौती देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

क्या है प्रोजेक्ट कुइपर?

उद्देश्य: दुनिया के दूर-दराज के क्षेत्रों तक कम लागत वाला, उच्च-गति वाला ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुँचाना। यह उन जगहों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है जहाँ पारंपरिक इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुँच पाता।

लॉन्च का सफर: सैटेलाइट्स को शुरू में पृथ्वी से लगभग 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया। अगले कुछ हफ्तों में, ये धीरे-धीरे अपनी अंतिम परिचालन ऊंचाई (लगभग 630 किलोमीटर) तक पहुँचेंगे।

विशालकाय समूह: पूरे प्रोजेक्ट कुइपर समूह में कुल 3,236 उपग्रह होंगे। अमेज़न ने 2026 के मध्य तक कम से कम 1,618 उपग्रहों को तैनात करने का लक्ष्य रखा है।

घोषणा: इस परियोजना की घोषणा पहली बार 2019 में की गई थी, जिसके बाद से अमेज़न ने इस पर काफी काम किया है।

क्या है कुइपर और स्टारलिंक में मुकाबला?

स्टारलिंक पहले से ही इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, जिसके हजारों सैटेलाइट्स पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। कुइपर की एंट्री से अब ग्राहकों के पास विकल्प बढ़ेंगे। दोनों कंपनियों का लक्ष्य समान है - अंतरिक्ष-आधारित इंटरनेट। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी कंपनी बेहतर सेवा और कम कीमत दे पाती है। इस प्रतिस्पर्धा से अंततः उपभोक्ताओं को ही फायदा होगा।

अमेज़न क्यों कर रहा है ऐसा?

अमेज़न अपनी वेब सेवा (AWS) के माध्यम से क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में पहले से ही एक दिग्गज है। प्रोजेक्ट कुइपर के जरिए, अमेज़न अपने नेटवर्क को और मजबूत करना चाहता है। यह सिर्फ इंटरनेट सेवा नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक बड़ा रणनीतिक कदम है, जो -कॉमर्स, क्लाउड और अन्य तकनीकी सेवाओं को और गति देगा।

अतिरिक्त जानकारी:

कुइपर नाम: यह नाम खगोलविद गेरार्ड कुइपर के नाम पर रखा गया है, जो कुइपर बेल्ट की खोज के लिए जाने जाते हैं।

सैटेलाइट निर्माण: अमेज़न अपने सैटेलाइट्स को खुद ही बना रहा है,

 

 

A6.
WAVES 2025: मनोरंजन जगत का नया अध्याय
WAVES 2025: A New Chapter for the Entertainment World

1 मई, 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में पहले 'विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन' (WAVES) का उद्घाटन करके एक ऐतिहासिक कदम उठाया। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मनोरंजन और मीडिया उद्योग के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ, जहाँ दुनिया भर के रचनाकार, निवेशक और तकनीकी विशेषज्ञ एक साथ आए।

यह शिखर सम्मेलन, 15,000 वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ, मनोरंजन के भविष्य को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया। यहाँ कुछ प्रमुख बातें दी गई हैं जो इस सम्मेलन को खास बनाती हैं:

वैश्विक मंच: WAVES 2025 ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग के सभी हितधारकों को एक छत के नीचे लाया। यह पहली बार था जब ऑडियो विजुअल क्षेत्र के लिए इतना बड़ा वैश्विक मंच तैयार किया गया।

भविष्य की तकनीक: सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), वर्चुअल रियलिटी (VR), और मेटावर्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया। इन तकनीकों का उपयोग भविष्य में मनोरंजन के अनुभव को कैसे बदलेगा, इस पर गहन चर्चाएं हुईं।

निवेश और सहयोग: यह शिखर सम्मेलन केवल विचारों के आदान-प्रदान का केंद्र था, बल्कि नए स्टार्टअप्स और परियोजनाओं के लिए निवेश आकर्षित करने का भी एक बेहतरीन अवसर था। कई वैश्विक कंपनियों ने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सहयोग की संभावनाएं तलाशीं।

भारत की भूमिका: इस शिखर सम्मेलन का मुंबई में होना भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर और वैश्विक मनोरंजन उद्योग में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। यह भारत को वैश्विक मीडिया और मनोरंजन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उद्देश्य: WAVES का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन क्षेत्र में नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देना, वैश्विक सहयोग को मजबूत करना और उभरती हुई प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान करना है।

 

उपरोक्त घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न के लिए यहां क्लिक करें ।

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