26 March 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे
- A1. जलवायु परिवर्तन: एक गंभीर चेतावनी
- A2. भारतीय सेना के लिए नई तकनीक
- A3. प्रवाल शिशु का क्रायो-जन्म: एक नई आशा
- A4. दुनिया की सबसे खतरनाक मकड़ी: बिग बॉय
- A5. खतरे में मीठे पानी की प्रजातियाँ: पश्चिमी घाट एक वैश्विक हॉटस्पॉट
- A6. भारत के स्वच्छ समुद्र तट
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 6:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
जलवायु परिवर्तन: एक गंभीर चेतावनी
Climate
Change: A Stark Warning
कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार, 2024 में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है, जो एक चिंताजनक मील का पत्थर है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने पहले ही अनुमान लगाया था कि 2027 से पहले यह सीमा पार हो जाएगी।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से कटौती नहीं की गई तो 2050 तक वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
2024 में वार्षिक औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था, जो रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष है।
यह पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से 1.60 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1991-2020 के औसत से 0.72 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
जनवरी से जून 2024 तक, हर महीने ने पिछले सभी महीनों की तुलना में अधिक गर्मी का अनुभव किया।
22 जुलाई
2024 को अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया, जब वैश्विक तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
2024 में वार्षिक औसत समुद्री सतह का तापमान 20.87 डिग्री सेल्सियस था, जो एक नया रिकॉर्ड है।
अल नीनो की घटना, जो जून 2023 में शुरू हुई, ने 2024 में रिकॉर्ड तापमान में योगदान दिया।
कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) के अनुसार, धरती ने कम से कम 84 वर्षों में अपना सबसे गर्म दिन अनुभव किया, जब 21 जुलाई को वैश्विक औसत तापमान 17.09 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
अतिरिक्त जानकारी:
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में बढ़ते तापमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, अधिक बार और तीव्र गर्मी की लहरें, सूखा, बाढ़ और तूफान शामिल हैं।
इन परिवर्तनों का पारिस्थितिक तंत्र, मानव स्वास्थ्य, कृषि और अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है, और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाना है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार, 2024 में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से कितना अधिक हो गया?
a) 1 डिग्री सेल्सियस
b) 1.5 डिग्री सेल्सियस
c) 2 डिग्री सेल्सियस
d) 2.5 डिग्री सेल्सियस
2. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, किस वर्ष तक वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है?
a) 2025
b) 2027
c) 2030
d) 2035
3. 2024 में वार्षिक औसत वैश्विक तापमान कितना था?
a) 14.1 डिग्री सेल्सियस
b) 15.1 डिग्री सेल्सियस
c) 16.1 डिग्री सेल्सियस
d) 17.1 डिग्री सेल्सियस
4. 22 जुलाई
2024 को दर्ज किया गया वैश्विक तापमान कितना था?
a) 16.16 डिग्री सेल्सियस
b) 16.87 डिग्री सेल्सियस
c) 17.16 डिग्री सेल्सियस
d) 17.87 डिग्री सेल्सियस
5. पेरिस समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) वैश्विक तापमान वृद्धि को 3 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना
b) वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना
c) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पूरी तरह से समाप्त करना
d) वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाना
A2.
भारतीय सेना के लिए नई तकनीक
New
Technology for Indian Army
हिमकवच:
• रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक मल्टी-लेयर क्लोथिंग सिस्टम है।
• यह
+20°C से -60°C तक के तापमान में प्रभावी है।
• यह भारतीय सेना के लिए अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान करेगा।
ECWCS:
• हिमकवच से पहले, भारतीय सेना एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोथिंग सिस्टम (ECWCS) का उपयोग करती थी।
• यह
DRDO के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज द्वारा विकसित एक तीन-परत वाली पोशाक थी।
• ECWCS इन्सुलेशन और वॉटरप्रूफिंग प्रदान करता था और इसमें बर्फीले और गैर-बर्फीले इलाकों में छलावरण के लिए एक प्रतिवर्ती बाहरी परत शामिल थी।
DRDO:
• रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान और विकास शाखा है।
• इसकी स्थापना 1958 में हुई थी।
• इसका गठन भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDES) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) तथा रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के एकीकरण से हुआ था।
टेलीसर्जरी:
• भारत की स्वदेशी सर्जिकल रोबोटिक प्रणाली, एसएसआई मंत्र ने 286 किलोमीटर की दूरी पर टेलीसर्जरी के माध्यम से दो रोबोटिक कार्डियक सर्जरी सफलतापूर्वक की।
• यह सर्जरी जयपुर के मणिपाल अस्पताल में गुरुग्राम से संचालित डॉ. सुधीर श्रीवास्तव द्वारा उन्नत एसएसआई मंत्र 3 सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके दूर से की गई।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
6. हिमकवच किसने विकसित किया है?
a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
b) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
c) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)
d) भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR)
7. हिमकवच किस तापमान सीमा में प्रभावी है?
a) +10°C से -40°C
b) +20°C से -60°C
c) 0°C से -50°C
d) +30°C से -70°C
8. DRDO की स्थापना किस वर्ष में हुई थी?
a) 1947
b) 1958
c) 1965
d) 1971
9. भारत की स्वदेशी सर्जिकल रोबोटिक प्रणाली का नाम क्या है?
a) मंत्र
b) रोबोकार्ड
c) सर्जिकल इंडिया
d) आरोग्य रोबोट
10. टेलीसर्जरी में रोबोटिक कार्डियक सर्जरी कहाँ की गई?
a) दिल्ली
b) मुंबई
c) जयपुर
d) चेन्नई
A3.
प्रवाल शिशु का क्रायो-जन्म: एक नई आशा
Cryo-Born
Coral Babies: A New Hope
विश्व के पहले क्रायो-बॉर्न बेबी कोरल को ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ग्रेट बैरियर रीफ से एकत्र क्रायोप्रिजर्व्ड शुक्राणुओं से कोरल अंडे को निषेचित करने के लिए अत्याधुनिक क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक का उपयोग किया।
क्रायोप्रिजर्वेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोरल कोशिकाओं और ऊतकों को कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है।
इस तकनीक का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री तापमान से प्रवाल भित्तियों की रक्षा के लिए गर्मी-सहिष्णु प्रवाल विकसित करना है।
ऑस्ट्रेलिया में क्रायोडायवर्सिटी बैंक में जमे हुए कोरल शुक्राणुओं का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसमें 32 प्रजातियां शामिल हैं।
यह संग्रह 2011 से हर साल जमा किया जा रहा है।
यह सफलता प्रवाल भित्तियों के संरक्षण और पुनर्स्थापना के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
प्रवाल भित्तियाँ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, और वे कई समुद्री प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करती हैं।
जलवायु परिवर्तन और अन्य खतरों के कारण प्रवाल भित्तियाँ तेजी से नष्ट हो रही हैं, इसलिए उनके संरक्षण के लिए नए तरीकों की आवश्यकता है।
अतिरिक्त जानकारी:
क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक का उपयोग अन्य समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए भी किया जा रहा है, जैसे कि मछली और कछुए।
वैज्ञानिक प्रवाल भित्तियों को पुनर्स्थापित करने के लिए अन्य तरीकों पर भी काम कर रहे हैं, जैसे कि प्रवाल लार्वा को रोपना और प्रवाल भित्तियों को कृत्रिम रूप से बनाना।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
11. विश्व के पहले क्रायो-बॉर्न बेबी कोरल को कहाँ स्थापित किया गया?
a) मालदीव रीफ
b) ग्रेट बैरियर रीफ
c) अंडमान रीफ
d) लक्षद्वीप रीफ
12. क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक में क्या किया जाता है?
a) कोरल को गर्म पानी में रखा जाता है
b) कोरल कोशिकाओं और ऊतकों को कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है
c) कोरल को रसायनों से उपचारित किया जाता है
d) कोरल को उच्च दबाव में रखा जाता है
13. क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) प्रवाल भित्तियों को पर्यटन के लिए आकर्षक बनाना
b) प्रवाल भित्तियों से कीमती धातुएँ निकालना
c) जलवायु परिवर्तन से प्रवाल भित्तियों की रक्षा करना
d) प्रवाल भित्तियों पर मछली पकड़ना बढ़ाना
14. ऑस्ट्रेलिया के क्रायोडायवर्सिटी बैंक में कितनी प्रजातियों के जमे हुए कोरल शुक्राणु हैं?
a) 12
b) 22
c) 32
d) 42
15. क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक का उपयोग और किन समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए किया जा रहा है?
a) केवल मछली
b) केवल कछुए
c) मछली और कछुए दोनों
d) किसी भी समुद्री जीव के लिए नहीं
A4.
दुनिया की सबसे खतरनाक मकड़ी: बिग बॉय
World's
Most Dangerous Spider: Big Boy
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे घातक मकड़ी प्रजातियों में से एक, सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी की एक बड़ी और अधिक विषैली प्रजाति की खोज की है, जिसका उपनाम "बिग बॉय" है।
इस नई प्रजाति का वैज्ञानिक नाम एट्रैक्स क्रिस्टेंसनी है।
इस मकड़ी की लंबाई 3.1 इंच है।
इसे पहली बार सिडनी के उत्तर में 170 किलोमीटर (105 मील) दूर न्यूकैसल के पास ऑस्ट्रेलियाई सरीसृप पार्क में मकड़ी के शौकीन और मकड़ियों के पूर्व प्रमुख केन क्रिस्टेंसन द्वारा खोजा गया था।
सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली सबसे विषैली मकड़ियों में से एक है।
इस मकड़ी के जहर में एट्रैकोटॉक्सिन नामक एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन होता है, जो मनुष्यों के लिए घातक हो सकता है।
इस मकड़ी का जहर इतना खतरनाक होता है कि यह 15 मिनट में एक व्यस्क की जान ले सकता है।
सिडनी फनल-वेब मकड़ी के काटने के इलाज के लिए एंटीवेनम उपलब्ध है।
अतिरिक्त जानकारी:
सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी आमतौर पर नम, छायादार स्थानों में पाई जाती है, जैसे कि बगीचों, जंगलों और झाड़ियों में।
नर मकड़ी अपने जीवनकाल के दौरान साथी की तलाश में घूमती है और इस दौरान वह अक्सर लोगों के संपर्क में आ जाती है।
यदि आपको सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी द्वारा काटा जाता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
16. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने किस मकड़ी की नई प्रजाति की खोज की है?
a) टारेंटयुला
b) ब्लैक विडो
c) सिडनी फ़नल-वेब
d) वुल्फ स्पाइडर
17. नई खोजी गई मकड़ी का वैज्ञानिक नाम क्या है?
a) एट्रैक्स रोबस्टस
b) एट्रैक्स इन्सिग्निस
c) एट्रैक्स क्रिस्टेंसनी
d) एट्रैक्स फॉर्मिडेबिलिस
18. 'बिग बॉय' मकड़ी की लंबाई कितनी है?
a) 1.5 इंच
b) 2.3 इंच
c) 3.1 इंच
d) 4.0 इंच
19. सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी के जहर में कौन सा विषैला पदार्थ पाया जाता है?
a) साइनाइड
b) बोटुलिनम
c) एट्रैकोटॉक्सिन
d) टेट्रोडोटॉक्सिन
20. सिडनी फ़नल-वेब मकड़ी आमतौर पर कहाँ पाई जाती है?
a) रेगिस्तान में
b) पहाड़ों पर
c) नम और छायादार स्थानों में
d) शहरी क्षेत्रों में
A5.
खतरे में मीठे पानी की प्रजातियाँ: पश्चिमी घाट एक वैश्विक हॉटस्पॉट
Endangered
Freshwater Species: Western Ghats a Global Hotspot
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने भारत के पश्चिमी घाट को मीठे पानी की प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण वैश्विक हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना है।
पश्चिमी घाट में 300 से अधिक मीठे पानी की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसे मीठे पानी की जैव विविधता के मामले में सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक बनाती हैं।
हंपबैक्ड महसीर, एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय मेगाफिश, पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली एक प्रतिष्ठित प्रजाति है।
IUCN की रेड डाटा सूची लुप्तप्राय प्रजातियों की एक महत्वपूर्ण सूची है, जो संरक्षण प्रयासों के लिए जानकारी प्रदान करती है।
IUCN की रेड लिस्ट में आनुवंशिक विविधता के पदाधिकारियों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के निर्माण ब्लॉकों का, उनके संरक्षण की स्थिति पर और वितरण के लिए वैश्विक स्तर से स्थानीय तक जैव विविधता के संरक्षण के बारे में सूचित निर्णय करने के लिए जानकारी के लिए आधार प्रदान करता है ।
अन्य वैश्विक हॉटस्पॉट में विक्टोरिया झील, टिटिकाका झील और श्रीलंका के आर्द्र क्षेत्र शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। इसका मुख्यालय स्विटज़रलैंड में स्थित है।
IUCN रेड लिस्ट पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण स्थिति की एक व्यापक सूची है। यह जैव विविधता के लिए खतरों को उजागर करने और वैश्विक संरक्षण प्रयासों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
21. अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने भारत के किस क्षेत्र को मीठे पानी की प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण वैश्विक हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना है?
a) पूर्वी घाट
b) पश्चिमी घाट
c) हिमालय
d) थार रेगिस्तान
22. पश्चिमी घाट में मीठे पानी की लगभग कितनी प्रजातियाँ पाई जाती हैं?
a) 100 से कम
b) 200 से 250
c) 300 से अधिक
d) 500 से अधिक
23. हंपबैक्ड महसीर किस प्रकार की प्रजाति है?
a) पक्षी
b) सरीसृप
c) मेगाफिश
d) उभयचर
24. IUCN की रेड डाटा सूची का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) पर्यटन को बढ़ावा देना
b) लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान करना
c) नई प्रजातियों की खोज करना
d) जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करना
25. IUCN का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
a) पेरिस
b) न्यूयॉर्क
c) जिनेवा
d) स्विट्ज़रलैंड
A6.
भारत के स्वच्छ समुद्र तट
India's
Clean Beaches
केरल के कोझिकोड में कप्पड़ बीच और कन्नूर में चल बीच को ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन मिला है।
यह सर्टिफिकेशन डेनमार्क के फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (एफईई) द्वारा दिया जाता है।
ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन उन बीच को मिलता है जो 33 मानदंडों को पूरा करते हैं, जिसमें सुरक्षा और पर्यावरण के अनुकूल होना शामिल है।
यह सर्टिफिकेशन 1985 में फ्रांस में शुरू हुआ और 2001 में वैश्विक स्तर पर शुरू हुआ।
भारत में अब 13 ब्लू फ्लैग बीच हैं।
दुनिया में 5161 ब्लू फ्लैग बीच हैं, जिनमें स्पेन में सबसे ज्यादा है।
भारत के ब्लू फ्लैग बीच:
कप्पड़ बीच, केरल
चल बीच, केरल
गोल्डन बीच, पुरी, ओडिशा
रुशिकोंडा बीच, आंध्र प्रदेश
कासरकोड बीच, कर्नाटक
शिवराजपुर बीच, द्वारका, गुजरात
राधानगर बीच, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
घोधला बीच, दीव
पदुबिद्री बीच, कर्नाटक
कोवलम बीच, तमिलनाडु
ईडन बीच, पुडुचेरी
धुंडी बीच, मिनिकॉय
कदमत समुद्र, लक्षद्वीप
अतिरिक्त जानकारी:
ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन एक इको-लेबल है जो दुनिया के सबसे साफ बीच को दिया जाता है।
यह सर्टिफिकेशन बीच की स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधाओं को ध्यान में रखकर दिया जाता है।
यह सर्टिफिकेशन बीच के पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
यह सर्टिफिकेशन बीच के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
26. ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन कौन देता है?
a. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
b. संयुक्त राष्ट्र (UN)
c. फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (FEE)
d. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
27. ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन कितने मानदंडों को पूरा करने वाले बीच को मिलता है?
a. 25
b. 30
c. 33
d. 40
28. भारत में कितने ब्लू फ्लैग बीच हैं?
a. 10
b. 12
c. 13
d. 15
29. दुनिया में सबसे ज्यादा ब्लू फ्लैग बीच किस देश में हैं?
a. भारत
b. स्पेन
c. फ्रांस
d. ऑस्ट्रेलिया
30. ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन कब शुरू हुआ?
a. 1975
b. 1985
c. 1995
d. 2005
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नोट: ये बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) वर्तमान घटनाओं पर आधारित हैं। कृपया ध्यान दें कि समय के साथ घटनाओं और जानकारी में बदलाव हो सकता है।
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