28 March 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे
- A1. नाग MK-2: भारत का अचूक टैंक-रोधी हथियार
- A2. इसरो का तीसरा लॉन्चपैड: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान
- A3. भारतीय नौसेना का नया उत्कर्ष: एक बहुउद्देशीय पोत
- A4. पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला
- A5. गिद्धों के लिए ख़तरा: निमेसुलाइड पर प्रतिबंध
- A6. मिशन मौसम: भारत का मौसम पूर्वानुमान में क्रांतिकारी बदलाव
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
नाग
MK-2: भारत का अचूक टैंक-रोधी हथियार
Nag
MK-2: India's Precision Anti-Tank Weapon
• नाग
MK-2 एक स्वदेशी रूप से विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है।
• इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
• 13 जनवरी, 2025 को राजस्थान के पोखरण फील्ड रेंज में इसका सफल फील्ड मूल्यांकन परीक्षण किया गया।
• यह
"दागो और भूल जाओ" (फायर-एंड-फॉरगेट) तकनीक पर काम करती है, यानी इसे दागने के बाद दोबारा निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं होती।
• यह मिसाइल इन्फ्रारेड तकनीक से लैस है, जो लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाती है।
• यह सभी मौसम की स्थितियों में प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम है।
• इसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर तक है और यह 230 मीटर प्रति सेकंड की गति से लक्ष्य को भेदती है।
• यह 17 से 18 सेकंड के भीतर 4 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के टैंकों को नष्ट कर सकती है।
• यह दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को तेजी से नष्ट कर सकती है।
• DRDO
ने इसे लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है।
• नाग मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था।
• हेलिना (सेना संस्करण) और ध्रुवास्त्र (भारतीय वायुसेना संस्करण) तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (नाग मिसाइल सिस्टम) के हेलीकॉप्टर-लॉन्च संस्करण हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
• नाग मिसाइल को NAMICA (नाग मिसाइल कैरियर) से भी लॉन्च किया जा सकता है, जो एक टैंक-रोधी सशस्त्र वाहन है।
• नाग मिसाइल विभिन्न प्रकार के युद्धशीर्षों को ले जाने में सक्षम है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है।
• यह मिसाइल भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. नाग
MK-2 मिसाइल किस प्रकार की मिसाइल है?
a) सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
b) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल
c) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
d) क्रूज मिसाइल
2. नाग MK-2 मिसाइल की मारक क्षमता कितनी है?
a) 2 किलोमीटर
b) 4 किलोमीटर
c) 6 किलोमीटर
d) 8 किलोमीटर
3. नाग MK-2 मिसाइल को किसने विकसित किया है?
a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
b) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
c) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
d) भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)
4. नाग MK-2 मिसाइल किस तकनीक पर काम करती है?
a) लेजर गाइडेड तकनीक
b) रडार गाइडेड तकनीक
c) फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक
d) सैटेलाइट गाइडेड तकनीक
5. हेलिना और ध्रुवास्त्र किस मिसाइल प्रणाली के हेलीकॉप्टर-लॉन्च संस्करण हैं?
a) अग्नि मिसाइल
b) पृथ्वी मिसाइल
c) नाग मिसाइल
d) आकाश मिसाइल
A2.
इसरो का तीसरा लॉन्चपैड: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान
ISRO's
Third Launchpad: India's New Leap in Space
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में इसरो के तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण को मंजूरी दी है।
यह लॉन्च पैड अगली पीढ़ी के रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए बनाया जा रहा है।
इस परियोजना के लिए 3984.86 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
परियोजना के 48 महीनों के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
इसरो का लक्ष्य 2035 तक एक ऑपरेशनल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है।
यह लॉन्च पैड दूसरे लॉन्च पैड (SLP) के लिए भी बैकअप के रूप में कार्य करेगा।
यह नया लॉन्च पैड भविष्य के मानव अंतरिक्ष यान मिशनों के लिए इसरो की क्षमता में काफी वृद्धि करेगा।
अतिरिक्त जानकारी:
कुलसेकरपट्टिनम में एक नया स्पेसपोर्ट छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के प्रक्षेपण के लिए बनाया जा रहा है।
इसरो के पास पहले से ही श्रीहरिकोटा में दो लॉन्च पैड हैं।
तीसरा लॉन्च पैड बनने के बाद ज्यादा संख्या में सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग हो सकेगी।
इसकी क्षमता पहले वाले दोनों लॉन्च पैडों की तुलना में अधिक होगी।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
6. इसरो के तीसरे लॉन्च पैड का निर्माण कहाँ किया जा रहा है?
a. तमिलनाडु
b. केरल
c. आंध्र प्रदेश
d. कर्नाटक
7. इसरो का तीसरा लॉन्च पैड किस प्रकार के रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए बनाया जा रहा है?
a. छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)
b. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)
c. अगली पीढ़ी के रॉकेट
d. भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी)
8. इसरो के तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण के लिए कितनी राशि का बजट आवंटित किया गया है?
a. 2500 करोड़ रुपये
b. 3984.86 करोड़ रुपये
c. 5000 करोड़ रुपये
d. 1000 करोड़ रुपये
9. इसरो का लक्ष्य किस वर्ष तक एक ऑपरेशनल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है?
a. 2025
b. 2030
c. 2035
d. 2040
10. इसरो का लक्ष्य किस वर्ष तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है?
a. 2030
b. 2035
c. 2040
d. 2045
A3.
भारतीय नौसेना का नया उत्कर्ष: एक बहुउद्देशीय पोत
Indian
Navy's New Utkarsh: A Multipurpose Vessel
13 जनवरी,
2025 को, भारतीय नौसेना के लिए लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड द्वारा निर्मित दो मल्टी-पर्पस वेसल्स (MPVs) में से दूसरे वेसल 'उत्कर्ष' को लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड, कट्टुपल्ली, चेन्नई में लॉन्च किया गया।
इस पोत को डॉ. सुष्मिता मिश्रा सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की पत्नी द्वारा लॉन्च किया गया।
यह पोत 107 मीटर लंबा और 18.6 मीटर चौड़ा है, और इसकी विस्थापन क्षमता 3,750 टन से अधिक है।
दो मल्टी-पर्पस वेसल्स का अनुबंध 25 मार्च, 2022 को रक्षा मंत्रालय और M/s L&T शिपयार्ड के बीच हस्ताक्षरित किया गया था।
पहला MPV
INS समर्थक पहले ही लॉन्च किया जा चुका है।
यह पोत जहाजों को टो करने, विभिन्न लक्ष्यों को लॉन्च और रिकवर करने, मानव रहित स्वायत्त वाहनों का संचालन करने और विभिन्न स्वदेशी हथियारों और संवेदनाओं के परीक्षण के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।
यह भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने और स्वदेशी जहाज निर्माण के प्रयासों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस जहाज का नाम 'उत्कर्ष' रखा गया है, जिसका अर्थ है 'आचरण में श्रेष्ठ' और यह जहाज के बहुआयामी भूमिका का प्रतीक है।
यह परियोजना भारतीय नौसेना के स्वदेशी जहाज निर्माण के प्रयासों के साथ-साथ भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहल के दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह उपलब्धि रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी नवाचार में बढ़ती क्षमताओं को उजागर करती है।
यह पोत समुद्री निगरानी, मानवीय सहायता और समुद्री प्रदूषण से निपटने जैसे कार्यों में भी उपयोगी है। सतह और हवाई संपत्तियों की लॉन्च और रिकवरी की क्षमता आदि का काम भी करेगा।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
11. भारतीय नौसेना के लिए लॉन्च किए गए दूसरे मल्टी-पर्पस वेसल (MPV) का क्या नाम है?
a. समर्थक
b. उत्कर्ष
c. विक्रांत
d. विक्रमादित्य
12. 'उत्कर्ष' को किस शिपयार्ड में लॉन्च किया गया था?
a. कोचीन शिपयार्ड
b. हिंदुस्तान शिपयार्ड
c. लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड, कट्टुपल्ली
d. गोवा शिपयार्ड
13. 'उत्कर्ष' की विस्थापन क्षमता कितनी है?
a. 2,500 टन
b. 3,750 टन से अधिक
c. 4,000 टन
d. 3,000 टन
14. 'उत्कर्ष' को किसने लॉन्च किया?
a. रक्षा मंत्री
b. नौसेना प्रमुख
c. डॉ. सुष्मिता मिश्रा सिंह
d. प्रधानमंत्री
15. मल्टी-पर्पस वेसल्स के लिए रक्षा मंत्रालय और किस शिपयार्ड के बीच अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया था?
a. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
b. हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड
c. लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड
d. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड
A4.
पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला
Eastern
India's First Astronomical Observatory
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस.एन. बोस सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (SNBCBS) ने पूर्वी भारत की पहली और देश की छठी खगोलीय वेधशाला का उद्घाटन किया है।
यह वेधशाला पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के गरपंचकोट क्षेत्र में पंचेत पहाड़ी पर स्थित है।
यह लद्दाख, नैनीताल (उत्तराखंड), माउंट आबू (राजस्थान), पुणे में गिरबानी हिल्स और तमिलनाडु में कवलूर के बाद भारत की छठी ऐसी वेधशाला है।
यह वेधशाला प्रसिद्ध वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर स्थापित की गई है।
वेधशाला चलाने और संसाधनों को साझा करने के लिए सिद्ध कानू बिरसा विश्वविद्यालय, पुरुलिया के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया है।
वेधशाला की स्थापना 2018 से शुरू हुई थी।
वर्तमान में वेधशाला में 14 इंच व्यास की दूरबीन है और जल्द ही एक और 1 मीटर व्यास की दूरबीन स्थापित की जाएगी।
वेधशाला समुद्र तल से 600 मीटर की ऊँचाई पर और लगभग 86 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थापित की गई है।
यह वेधशाला एक गैर-प्रदूषित क्षेत्र में और शहर की रोशनी से दूर स्थापित की गई है, जो खगोलीय अवलोकन के लिए आदर्श है।
इस केंद्र में एक स्वचालित मौसम पूर्वानुमान केंद्र भी स्थापित किया गया है जो वर्षा को मापने में सहायक होगा।
यह अत्याधुनिक वेधशाला क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान में क्रांति लाने के लिए तैयार है, खासकर अंतरिक्ष विज्ञान में।
अतिरिक्त जानकारी:
खगोलीय वेधशालाएँ खगोलविदों को ग्रहों, तारों और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने में मदद करती हैं।
यह वेधशाला पूर्वी भारत में खगोल विज्ञान के अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देगी।
यह वेधशाला छात्रों और आम जनता के लिए खगोल विज्ञान के बारे में जानने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन होगी।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
16. पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला कहाँ स्थापित की गई है?
a) लद्दाख
b) नैनीताल
c) पुरुलिया
d) माउंट आबू
17. पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला किस प्रसिद्ध वैज्ञानिक के नाम पर स्थापित की गई है?
a) सी.वी. रमन
b) ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
c) सत्येंद्र नाथ बोस
d) विक्रम साराभाई
18. वर्तमान में पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला में कितने इंच व्यास की दूरबीन है?
a) 10 इंच
b) 12 इंच
c) 14 इंच
d) 16 इंच
19. पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला समुद्र तल से कितनी ऊँचाई पर स्थित है?
a) 400 मीटर
b) 500 मीटर
c) 600 मीटर
d) 700 मीटर
20. पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला चलाने और संसाधनों को साझा करने के लिए किस विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया है?
a) कलकत्ता विश्वविद्यालय
b) सिद्ध कानू बिरसा विश्वविद्यालय
c) जादवपुर विश्वविद्यालय
d) विश्व भारती विश्वविद्यालय
A5.
गिद्धों के लिए ख़तरा: निमेसुलाइड पर प्रतिबंध
Danger
to Vultures: Nimesulide Banned
भारत सरकार ने पशुओं में दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली दवा निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यह फैसला गिद्धों की घटती आबादी के संरक्षण के लिए लिया गया है।
वैज्ञानिक अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि निमेसुलाइड गिद्धों के लिए बेहद जहरीला है।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली के वैज्ञानिकों ने इस दवा के विषाक्त प्रभावों की पुष्टि की है।
हरियाणा में किए गए प्रयोगों में हिमालयन ग्रिफन गिद्धों को निमेसुलाइड देने पर नकारात्मक परिणाम देखे गए.
गिद्धों के लिए सुरक्षित विकल्प के रूप में मेलोक्सिकैम और टोलफेनामिक एसिड जैसी दवाओं की पहचान की गई है।
गिद्धों की आबादी में गिरावट का मुख्य कारण पशुओं के इलाज में डाइक्लोफेनेक नामक दवा का उपयोग था।
डाइक्लोफेनेक के अलावा एसीक्लोफेनाक और कीटोप्रोफेन भी गिद्धों के लिए जहरीली पाई गई है।
अतिरिक्त जानकारी:
गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे मृत जानवरों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं।
गिद्धों की संख्या में कमी से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें सुरक्षित दवाओं का उपयोग और गिद्ध अभयारण्यों की स्थापना शामिल है।
भारत में गिद्धों की संख्या में 90 प्रतिशत से भी अधिक की कमी आई है।
गिद्धों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा "गिद्ध कार्य योजना 2020-2025" चलाई जा रही है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
21. भारत सरकार ने हाल ही में किस पशु दर्द निवारक दवा पर प्रतिबंध लगाया है?
a. मेलोक्सिकैम
b. टोलफेनामिक एसिड
c. निमेसुलाइड
d. डाइक्लोफेनेक
22. निमेसुलाइड का गिद्धों पर विषाक्त प्रभाव किस संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया?
a. भारतीय वन्यजीव संस्थान
b. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई)
c. राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान
d. भारतीय विज्ञान संस्थान
23. गिद्धों के लिए सुरक्षित पाए जाने वाले दो दर्द निवारक कौन से हैं?
a. डाइक्लोफेनेक और निमेसुलाइड
b. एसीक्लोफेनाक और कीटोप्रोफेन
c. मेलोक्सिकैम और टोलफेनामिक एसिड
d. कोई भी दर्द निवारक सुरक्षित नहीं है
24. गिद्धों की आबादी में गिरावट का मुख्य कारण कौन सी दवा थी?
a. निमेसुलाइड
b. मेलोक्सिकैम
c. डाइक्लोफेनेक
d. टोलफेनामिक एसिड
25. गिद्धों के संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा कौन सी योजना चलाई जा रही है?
a. प्रोजेक्ट टाइगर
b. गिद्ध कार्य योजना 2020-2025
c. राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण योजना
d. पर्यावरण सुरक्षा योजना
A6.
मिशन मौसम: भारत का मौसम पूर्वानुमान में क्रांतिकारी बदलाव
Mission
Mausam: India's Revolutionary Change in Weather Forecasting
परिचय:
15 जनवरी,
2025 को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे किए।
इस अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "मिशन मौसम" का उद्घाटन किया।
मिशन मौसम का लक्ष्य मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।
मिशन मौसम के प्रमुख उद्देश्य:
पूर्वानुमान सटीकता में 5-10% की वृद्धि करना।
10-15 दिन की लीड टाइम के साथ पंचायत स्तर तक पूर्वानुमान का विस्तार करना।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे में अपनी तरह का पहला क्लाउड चैंबर स्थापित करना।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए मौसम पूर्वानुमान में सुधार करना है।
मौसम की निगरानी करने वाली तकनीकों को आधुनिक बनाना है।
मिशन मौसम का महत्व:
यह मिशन भारत को मौसम के प्रति अधिक लचीला और जलवायु-स्मार्ट राष्ट्र बनाने में मदद करेगा।
यह कृषि, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह भारत को मौसम के प्रति तैयार और जलवायु के प्रति जागरूक राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अतिरिक्त जानकारी:
मिशन मौसम का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
आईएमडी, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), नोएडा जैसे संस्थान इस मिशन में भागीदार हैं।
इस मिशन का मुख्य उदेश्य है मौसम की जानकारी को और भी ज्यादा सटीक बनाना और मौसम के बदलावों को और भी पहले से जनता तक पहुँचाना।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
26. मिशन मौसम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) अंतरिक्ष अन्वेषण को बढ़ावा देना
b) मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार करना
c) शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना
d) स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाना
27. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने किस वर्ष में अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे किए?
a) 2020
b) 2022
c) 2025
d) 2030
28. मिशन मौसम का नेतृत्व किस मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है?
a) गृह मंत्रालय
b) रक्षा मंत्रालय
c) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
d) वित्त मंत्रालय
29. मिशन मौसम के तहत, किस संस्थान में पहला क्लाउड चैंबर स्थापित किया जा रहा है?
a) राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), नोएडा
b) भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे
c) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), बैंगलोर
d) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), नई दिल्ली
30. मिशन मौसम का एक लक्ष्य पंचायत स्तर तक मौसम पूर्वानुमान का विस्तार करना है, जिसके लिए कितनी लीड टाइम निर्धारित है?
a) 1-2 दिन
b) 5-7 दिन
c) 10-15 दिन
d) 20-25 दिन
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नोट: ये बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) वर्तमान घटनाओं पर आधारित हैं। कृपया ध्यान दें कि समय के साथ घटनाओं और जानकारी में बदलाव हो सकता है।
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