11 May 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे
- A1. पॉइंट निमो: भारतीय नौसेना की ऐतिहासिक यात्रा
- A2. नया चमगादड़ कोरोना वायरस: चिंताएं और निगरानी
- A3. हिंद महासागर सम्मेलन: समुद्री सहयोग का नया अध्याय
- A4. कार्बन बाज़ार: भविष्य की राह
- A5. कृत्रिम सूर्य: चीन की नई उपलब्धि
- A6.अंतरिक्ष में जापान की नई उड़ान: मिचिबिकी-6
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
पॉइंट निमो: भारतीय नौसेना की ऐतिहासिक यात्रा
Point Nemo: A Historic Voyage by the Indian Navy
भारतीय नौसेना की नौका INSV तारिणी, जिसका संचालन लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा कर रही हैं, ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
30 जनवरी, 2025 को, नाविका सागर परिक्रमा II के तीसरे चरण के दौरान, INSV तारिणी ने पॉइंट निमो को सफलतापूर्वक पार कर लिया। यह यात्रा लिटलटन, न्यूजीलैंड से पोर्ट स्टेनली, फ़ॉकलैंड द्वीप समूह की ओर थी।
पॉइंट निमो पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ स्थान है, जिसे दुर्गमता का महासागरीय ध्रुव भी कहा जाता है।
इसका निर्देशांक 48°52.6'S 123°23.6'W है (आपके द्वारा दिए गए निर्देशांक में कुछ सुधार किया गया है)।
यह बिंदु निकटतम भूभाग से लगभग 2,688 किलोमीटर (1,670 मील) दूर दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है।
पॉइंट निमो का नाम प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक जूल्स वर्न के उपन्यास ट्वेंटी थाउजेंड लीग्स अंडर द सी के रहस्यमयी नाविक कैप्टन निमो के नाम पर रखा गया है।
INSV तारिणी को 02 अक्टूबर, 2024 को गोवा से नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने हरी झंडी दिखाई थी।
नाविका सागर परिक्रमा II एक पूर्णतः महिला चालक दल द्वारा विश्व की परिक्रमा करने का दूसरा प्रयास है। यह भारतीय नौसेना की सागर परिक्रमा पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नौसेना अधिकारियों को समुद्र में नौकायन और समुद्री कौशल का प्रशिक्षण देना है, साथ ही नारी शक्ति का प्रदर्शन करना है।
INSV तारिणी एक स्वदेश निर्मित सेलबोट (पाल नौका) है, जिसे भारतीय नौसेना के लिए गोवा में बनाया गया है। यह चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों में लंबी दूरी की यात्राओं के लिए डिज़ाइन की गई है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. INSV तारिणी का संचालन कौन कर रहा है?
a) लेफ्टिनेंट कमांडर शिखा और लेफ्टिनेंट किरण
b) लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाति और लेफ्टिनेंट प्रिया
c) लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा
d) लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका और लेफ्टिनेंट पायल
2. INSV तारिणी ने पॉइंट निमो को कब पार किया?
a) 30 नवंबर, 2024
b) 30 दिसंबर, 2024
c) 30 जनवरी, 2025
d) 30 फरवरी, 2025
3. पॉइंट निमो को और किस नाम से जाना जाता है?
a) शांति का महासागर
b) दुर्गमता का महासागरीय ध्रुव
c) नाविकों का स्वर्ग
d) रहस्यमय बिंदु
4. जूल्स वर्न का कौन सा उपन्यास पॉइंट निमो के नाम का स्रोत है?
a) अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज़
b) जर्नी टू द सेंटर ऑफ द अर्थ
c) ट्वेंटी थाउजेंड लीग्स अंडर द सी
d) द आइलैंड ऑफ मिस्टीरियस
5. INSV तारिणी को कहाँ से हरी झंडी दिखाई गई थी?
a) मुंबई
b) चेन्नई
c) गोवा
d) कोच्चि
A2.
नया चमगादड़ कोरोना वायरस: चिंताएं और निगरानी
New Bat Coronavirus Identified: Concerns and Surveillance
चीनी शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों में एक नए कोरोना वायरस की पहचान की है, जिसे HKUS-CoV-2 नाम दिया गया है।
यह वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, जो चिंता का विषय है।
HKUS-CoV-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए ACE2 रिसेप्टर का उपयोग करता है। यह वही मार्ग है जिसका उपयोग SARS-CoV-2 (कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस) भी करता है।
इस खोज से जूनोटिक संचरण (जानवरों से मनुष्यों में वायरस का फैलना) की संभावनाओं को लेकर चिंता बढ़ गई है।
यह खोज चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरसों की निरंतर निगरानी के महत्व पर जोर देती है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वैज्ञानिक डॉ. शी झेंगली के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने इस वायरस की पहचान की है। डॉ. शी कोरोना वायरस पर अपने व्यापक शोध के लिए "बैटवुमन" के रूप में जानी जाती हैं।
HKUS-CoV-2 मेरबेकोवायरस (Merbecovirus) उपप्रकार से संबंधित है। इस उपप्रकार में मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS) वायरस भी शामिल है, जो मनुष्यों में गंभीर श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है।
अतिरिक्त जानकारी: कोरोना वायरस वायरसों का एक बड़ा परिवार है जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में बीमारी का कारण बन सकता है। कुछ कोरोना वायरस मनुष्यों में केवल हल्की बीमारी का कारण बनते हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी, जबकि अन्य अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि SARS, MERS और COVID-19.
चमगादड़ कई प्रकार के वायरसों के प्राकृतिक जलाशय हैं, जिनमें कोरोना वायरस भी शामिल हैं। इसलिए, नए वायरसों के संभावित उद्भव और प्रसार को समझने के लिए चमगादड़ों में वायरस की निगरानी महत्वपूर्ण है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
6. हाल ही में चीनी शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों में किस नए कोरोना वायरस की पहचान की है?
a. SARS-CoV-2
b. MERS-CoV
c. HKUS-CoV-2
d. COVID-19
7. HKUS-CoV-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए किस रिसेप्टर का उपयोग करता है?
a. CD4 रिसेप्टर
b. ACE2 रिसेप्टर
c. TLR-7 रिसेप्टर
d. MHC क्लास I रिसेप्टर
8. डॉ. शी झेंगली, जिन्होंने HKUS-CoV-2 की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, किस संस्थान से जुड़ी हैं?
a. बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
b. शंघाई एकेडमी ऑफ साइंसेज
c. वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी
d. हांगकांग विश्वविद्यालय
9. मेरबेकोवायरस उपप्रकार में निम्नलिखित में से कौन सा वायरस शामिल है?
a. राइनोवायरस
b. इन्फ्लूएंजा वायरस
c. मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS) वायरस
d. हेपेटाइटिस सी वायरस
10. चमगादड़ों को कई प्रकार के वायरसों का क्या माना जाता है?
a. अंतिम मेजबान
b. मध्यवर्ती वाहक
c. प्राकृतिक जलाशय
d. कृत्रिम स्रोत
A3.
हिंद महासागर सम्मेलन: समुद्री सहयोग का नया अध्याय
Indian Ocean Conference: A New Chapter in Maritime Cooperation
नवीनतम सम्मेलन: 8वाँ हिंद महासागर सम्मेलन (IOC) 16-17 फरवरी, 2025 को मस्कट, ओमान में आयोजित किया गया।
मुख्य भाषण: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 15 फरवरी, 2025 को मस्कट में इस सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया।
सम्मेलन की थीम: इस वर्ष के सम्मेलन की थीम "समुद्री साझेदारी के नए क्षितिज की यात्रा" (Journeying New Horizons of Maritime Partnerships) थी।
पिछला संस्करण: 7वाँ हिंद महासागर सम्मेलन 9-10 फरवरी, 2024 को पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था।
स्थापना और महत्व: हिंद महासागर सम्मेलन की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। तब से, यह हिंद महासागर क्षेत्र में संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। यह क्षेत्र की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गतिशीलता पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है।
प्रमुख भागीदार देश: भारत, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, ओमान और सिंगापुर जैसे देशों ने इस सम्मेलन की गतिविधियों में सक्रिय और केंद्रीय भूमिका निभाई है। इन देशों के अलावा, इस क्षेत्र के कई अन्य महत्वपूर्ण देश भी नियमित रूप से भाग लेते हैं।
हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA): हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की स्थापना वास्तव में 1997 में हुई थी। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक एकीकरण को मजबूत करना है। हिंद महासागर सम्मेलन IORA के तत्वावधान में आयोजित होने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है, जो समुद्री सुरक्षा, व्यापार, निवेश, आपदा जोखिम प्रबंधन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न :
11. 8वाँ हिंद महासागर सम्मेलन कहाँ आयोजित हुआ?
a. पर्थ, ऑस्ट्रेलिया
b. कोलंबो, श्रीलंका
c. मस्कट, ओमान
d. सिंगापुर
12. हिंद महासागर सम्मेलन का 7वाँ संस्करण कब आयोजित किया गया था?
a. 9-10 फरवरी, 2025
b. 16-17 फरवरी, 2024
c. 9-10 फरवरी, 2024
d. 15-16 फरवरी, 2023
13. वर्ष 2025 के हिंद महासागर सम्मेलन की मुख्य थीम क्या थी?
a. क्षेत्रीय सहयोग और विकास
b. समुद्री सुरक्षा और चुनौतियाँ
c. समुद्री साझेदारी के नए क्षितिज की यात्रा
d. हिंद महासागर में भू-राजनीतिक स्थिरता
14. हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
a. 2016
b. 1997
c. 2005
d. 1987
15. निम्नलिखित में से किस देश ने हिंद महासागर सम्मेलन की गतिविधियों में केंद्रीय भूमिका निभाई है?
a. चीन
b. पाकिस्तान
c. ओमान
d. इंडोनेशिया
A4.
कार्बन बाज़ार: भविष्य की राह
Carbon Markets: Charting the Future
यह भारत में कार्बन मार्केट पर आयोजित पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन था, जिसका नाम 'प्रकृति' था।
इसका आयोजन नई दिल्ली में 24 और 25 फरवरी, 2025 को हुआ।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट ट्रेडिंग के विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग जगत के अग्रणी, शोधकर्ता, और व्यवसायी एक साथ आए। यह विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने का एक सराहनीय प्रयास था।
कार्बन मार्केट्स-प्रकृति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया। यह दर्शाता है कि सरकार इस विषय को कितनी गंभीरता से ले रही है।
इस सम्मेलन का आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा किया गया था। बीईई भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है, जो ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। उनका इस सम्मेलन का आयोजन करना स्वाभाविक है।
सम्मेलन का पूरा नाम कार्बन बाज़ारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रकृति - 2025 (परिवर्तनकारी पहलों को एकीकृत करने के लिए लचीलापन, जागरूकता, ज्ञान और संसाधनों को बढ़ावा देना) था। यह नाम सम्मेलन के व्यापक उद्देश्यों को दर्शाता है, जिसमें लचीलापन, जागरूकता, ज्ञान और संसाधनों को बढ़ावा देना शामिल है ताकि परिवर्तनकारी पहलें एकीकृत की जा सकें।
सम्मेलन दो दिनों तक चला और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित किया गया जब भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। कार्बन बाजार इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
कार्बन मार्केट क्या है? कार्बन मार्केट एक व्यापारिक प्रणाली है जहाँ कार्बन क्रेडिट का आदान-प्रदान होता है। एक कार्बन क्रेडिट एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या समकक्ष ग्रीनहाउस गैस को वातावरण से हटाने या उत्सर्जित न करने का प्रतिनिधित्व करता है।
कार्बन क्रेडिट का महत्व: कंपनियां और संगठन अपने उत्सर्जन को कम करने या ऑफसेट करने के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदते हैं। यह उन परियोजनाओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती हैं, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं, वनीकरण, और ऊर्जा दक्षता पहल।
भारत और कार्बन मार्केट: भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्बन मार्केट के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। 'प्रकृति' जैसे सम्मेलन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो ज्ञान साझा करने, सहयोग को बढ़ावा देने और नीतियों को आकार देने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
16. कार्बन मार्केट पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'प्रकृति' कब आयोजित किया गया था?
a) 2023
b) 2024
c) 2025
d) 2026
17. कार्बन मार्केट्स-प्रकृति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किसने किया था?
a) नरेंद्र मोदी
b) अमित शाह
c) मनोहर लाल खट्टर
d) राजनाथ सिंह
18.कार्बन मार्केट पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'प्रकृति' का आयोजन निम्नलिखित में से किसके द्वारा किया गया था?
a) नीति आयोग
b) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
c) ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई)
d) भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA)
19. भारत ने किस वर्ष तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है?
a) 2050
b) 2060
c) 2070
d) 2080
20. कार्बन क्रेडिट मुख्य रूप से किसका प्रतिनिधित्व करता है?
a) नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन
b) ऊर्जा दक्षता में सुधार
c) एक टन कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने या उत्सर्जित न करना
d) कार्बन कैप्चर तकनीकों का विकास
A5.
कृत्रिम सूर्य: चीन की नई उपलब्धि
Artificial Sun: China's New Achievement
चीन ने कृत्रिम सूर्य के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है! उनका प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक (Experimental Advanced Superconducting Tokamak - EAST) नामक उपकरण एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहा है। इस उपलब्धि के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
ऐतिहासिक अवधि: EAST 1000 सेकंड से भी अधिक समय तक जलता रहा। सटीक रूप से कहें तो, इसने 1066 सेकंड तक स्थिर अवस्था उच्च-परिसीमा प्लाज्मा संचालन बनाए रखा। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
अत्यधिक तापमान: इस दौरान, कृत्रिम सूर्य ने 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक का तापमान प्राप्त किया। यह सूर्य के आंतरिक भाग के तापमान के लगभग छह गुना अधिक है!
वैज्ञानिक संस्थान: यह उल्लेखनीय उपलब्धि चीनी विज्ञान अकादमी (Chinese Academy of Sciences - CAS) के तहत प्लाज्मा भौतिकी संस्थान (Institute of Plasma Physics - ASIPP) के वैज्ञानिकों द्वारा हासिल की गई है।
नया बेंचमार्क: यह सफलता संलयन (फ्यूजन) अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित करती है। संलयन वह प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य तारों को शक्ति प्रदान करती है, और इसे पृथ्वी पर दोहराना स्वच्छ ऊर्जा का एक संभावित स्रोत हो सकता है।
पिछला रिकॉर्ड: इसी EAST परियोजना ने पहले 403 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया था, जिसे अब काफी अंतर से तोड़ दिया गया है। यह प्रगति की गति को दर्शाता है।
परिचालन इतिहास: EAST ने 2006 में परिचालन शुरू किया था और तब से यह चीनी और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के लिए संलयन से जुड़े प्रयोगों और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है।
अन्य प्रयास: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अन्य देशों ने भी इस क्षेत्र में प्रगति की है। उदाहरण के लिए, कोरिया गणराज्य के सुपरकंडक्टिंग टोकामक एडवांस्ड रिसर्च (Korea Superconducting Tokamak Advanced Research - KSTAR) फ्यूजन डिवाइस ने दिसंबर 2020 में 20 सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस के प्लाज्मा तापमान तक पहुँचा था। हालांकि, EAST द्वारा हासिल की गई अवधि कहीं अधिक लंबी है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
21. चीन के कृत्रिम सूर्य, EAST ने कितने सेकंड से अधिक समय तक प्लाज्मा संचालन बनाए रखा?
a. 500 सेकंड
b. 750 सेकंड
c. 1000 सेकंड
d. 1200 सेकंड
22. EAST द्वारा प्राप्त किया गया अधिकतम तापमान कितना था?
a. 50 मिलियन डिग्री सेल्सियस
b. 75 मिलियन डिग्री सेल्सियस
c. 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस
d. 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस
23. EAST परियोजना किस वैज्ञानिक संस्थान के तहत काम कर रही है?
a. कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामक एडवांस्ड रिसर्च
b. चीनी विज्ञान अकादमी के तहत प्लाज्मा भौतिकी संस्थान
c. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी
d. संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन
24. EAST परियोजना ने पहले कितने सेकंड का रिकॉर्ड बनाया था?
a. 200 सेकंड
b. 303 सेकंड
c. 403 सेकंड
d. 503 सेकंड
25. कोरिया के KSTAR फ्यूजन डिवाइस ने दिसंबर 2020 में कितने सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस का प्लाज्मा तापमान प्राप्त किया था?
a. 10 सेकंड
b. 20 सेकंड
c. 30 सेकंड
d. 40 सेकंड
A6.
अंतरिक्ष में जापान की नई उड़ान: मिचिबिकी-6
Japan's New Flight in Space: Michibiki-6
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने नए फ्लैगशिप H-3 रॉकेट का सफलतापूर्वक उपयोग करते हुए एक नया नेविगेशन सैटेलाइट, 'मिचिबिकी-6' लॉन्च किया है।
यह लॉन्च दक्षिण-पश्चिमी जापानी द्वीप पर स्थित तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से किया गया।
मिचिबिकी सैटेलाइट से मिलने वाले संकेतों का उपयोग मुख्य रूप से अमेरिकी GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के पूरक के तौर पर किया जाता है। इसका लक्ष्य स्मार्टफोन, कारों, समुद्री जहाजों और ड्रोन जैसे उपकरणों के लिए पोजिशनिंग डेटा की सटीकता को और बेहतर बनाना है।
'मिचिबिकी-6' इस नेटवर्क का पाँचवाँ उपग्रह है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मिचिबिकी प्रणाली, जिसे क्वासी-जेनिथ सैटेलाइट सिस्टम (QZSS) के नाम से भी जाना जाता है, में उपग्रहों की एक विशिष्ट कक्षा होती है जो जापान और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के ऊपर लगभग सीधे उड़ान भरते हुए पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। इससे उन क्षेत्रों में सिग्नल की उपलब्धता और सटीकता बढ़ जाती है जहाँ ऊँची इमारतें या पहाड़ GPS सिग्नल को बाधित कर सकते हैं।
जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी के अनुसार, जापान की योजना मार्च 2026 तक सात उपग्रहों वाली प्रणाली बनाने के लिए दो और नेविगेशन उपग्रहों को लॉन्च करने की है। इस विस्तार का मुख्य उद्देश्य अमेरिका जैसी विदेशी सेवाओं पर निर्भरता कम करते हुए अधिक सटीक और स्वतंत्र वैश्विक पोजिशनिंग क्षमता हासिल करना है।
दीर्घकालिक लक्ष्य के तहत, जापान 2030 के दशक के अंत तक 11 उपग्रहों का एक मजबूत नेटवर्क स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। यह उन्नत प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों में और भी बेहतर नेविगेशन और पोजिशनिंग सेवाएं प्रदान करेगी।
बहुविकल्पीय प्रश्न
26. जापान ने हाल ही में किस नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया है?
a) मिचिबिकी-5
b) मिचिबिकी-7
c) मिचिबिकी-6
d) मिचिबिकी-4
27. 'मिचिबिकी-6' को किस रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था?
a) H-2B
b) H-IIA
c) H-3
d) Epsilon
28. मिचिबिकी प्रणाली मुख्य रूप से किसका पूरक है?
a) रूस का GLONASS
b) चीन का BeiDou
c) यूरोपीय संघ का Galileo
d) अमेरिकी GPS
29. जापान की योजना किस वर्ष तक सात उपग्रहों वाली नेविगेशन प्रणाली बनाने की है?
a) 2024
b) 2025
c) मार्च 2026
d) 2030
30. 2030 के दशक के अंत तक जापान कितने उपग्रहों का नेटवर्क बनाने की योजना बना रहा है?
a) 7
b) 9
c) 10
d) 11
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