9 May 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे
- A1. प्रकृति का अद्भुत अनुभव: एक्सपेरियम पार्क
- A2. एम्स का नया रूप
- A3. भारत का दूसरा सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार
- A4. बुवाई का पर्व: असम की मिसिंग संस्कृति
- A5. हिमाचल में भांग की खेती: विकास की नई राह
- A6.सूरजकुंड मेला: कला और संस्कृति का संगम
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
प्रकृति का अद्भुत अनुभव: एक्सपेरियम पार्क
Experium
Park: An Immersive Nature Experience
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हाल ही में हैदराबाद के बाहरी इलाके में प्रोद्दुतुर गाँव में एक विश्व स्तरीय इमर्सिव एक्सपेरियम पार्क का उद्घाटन किया है। यह पार्क प्रकृति और विज्ञान का एक अद्भुत संगम है।
यह पार्क 150 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
इस पार्क को बनाने में लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत आई है।
पार्क में 25,000 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के पौधे हैं, जो इसे जैव विविधता का एक अनूठा केंद्र बनाते हैं।
यह पार्क आगंतुकों को प्रकृति के साथ एक इमर्सिव अनुभव प्रदान करता है, जहाँ वे विभिन्न प्रकार के पौधों और पारिस्थितिक तंत्रों के बारे में जान सकते हैं।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने राज्य में इको-टूरिज्म, मंदिर पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता जताई है।
एक्सपेरियम पार्क इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगा।
यह पार्क बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक शैक्षिक और मनोरंजक स्थल है।
यह पार्क तेलंगाना में पर्यटन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह पार्क हमें प्रकृति के महत्व को समझने और उसका संरक्षण करने के लिए प्रेरित करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
• इमर्सिव एक्सपेरियम पार्क में इंटरैक्टिव डिस्प्ले, वर्चुअल रियलिटी अनुभव और शैक्षिक कार्यक्रम भी शामिल हैं।
• यह पार्क स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
• यह पार्क वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने हाल ही में किस पार्क का उद्घाटन किया?
a. नेशनल बॉटनिकल गार्डन
b. एक्सपेरियम पार्क
c. नेहरू जूलॉजिकल पार्क
d. कसौ ब्रह्मानंद रेड्डी नेशनल पार्क
2. एक्सपेरियम पार्क कितने एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है?
a. 100 एकड़
b. 125 एकड़
c. 150 एकड़
d. 200 एकड़
3. एक्सपेरियम पार्क को बनाने में लगभग कितनी लागत आई है?
a. 50 करोड़ रुपये
b. 100 करोड़ रुपये
c. 150 करोड़ रुपये
d. 200 करोड़ रुपये
4. एक्सपेरियम पार्क में लगभग कितनी दुर्लभ प्रजातियों के पौधे हैं?
a. 10,000 से अधिक
b. 15,000 से अधिक
c. 25,000 से अधिक
d. 30,000 से अधिक
5. रेवंत रेड्डी की सरकार किस प्रकार के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है?
a. साहसिक पर्यटन
b. शहरी पर्यटन
c. इको-टूरिज्म, मंदिर पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन
d. कृषि पर्यटन
A2.
एम्स का नया रूप
AIIMS
Transformation
समिति का गठन: नीति आयोग ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली को विश्व स्तर का चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा संस्थान बनाने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया है।
नेतृत्व: इस महत्वपूर्ण समिति का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल कर रहे हैं।
उद्देश्य: समिति का मुख्य लक्ष्य एम्स, नई दिल्ली को अनुसंधान (research) और अभ्यास (practice) के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए एक विस्तृत योजना (road map) तैयार करना है।
नीति आयोग की भूमिका: नीति आयोग, भारत सरकार का एक प्रमुख नीति निर्धारण संस्थान है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और विकास के लिए रणनीतियाँ बनाता है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को वैश्विक स्तर पर ले जाने की यह पहल महत्वपूर्ण है।
वैश्विक स्तर पर पहचान: इस आधुनिकीकरण का उद्देश्य एम्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में एक बेंचमार्क के रूप में स्थापित करना है। इससे भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी।
संभावित बदलाव: इस आधुनिकीकरण प्रक्रिया में बुनियादी ढांचे में सुधार, नवीनतम तकनीकों का समावेश, अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देना और शिक्षा के स्तर को और উন্নত करना शामिल हो सकता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
6. एम्स, नई दिल्ली को वैश्विक स्तर का संस्थान बनाने के लिए किस संस्था ने समिति का गठन किया है?
a) स्वास्थ्य मंत्रालय
b) नीति आयोग
c) शिक्षा मंत्रालय
d) रक्षा मंत्रालय
7. एम्स के आधुनिकीकरण के लिए गठित समिति का नेतृत्व कौन कर रहा है?
a) डॉ. हर्षवर्धन
b) वी. के. पॉल
c) नरेंद्र मोदी
d) अमित शाह
8. एम्स के आधुनिकीकरण
के लिए समिति का गठन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) एम्स में मरीजों की संख्या बढ़ाना
b) एम्स को अनुसंधान और अभ्यास के लिए एक प्रमुख संस्थान के रूप में विकसित करने की योजना बनाना
c) एम्स के कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना
d) एम्स का नाम बदलना
9. नीति आयोग किस प्रकार की संस्था है?
a) एक वित्तीय संस्थान
b) एक कानूनी संस्थान
c) एक नीति निर्धारण संस्थान
d) एक नियामक संस्थान
10. एम्स के आधुनिकीकरण से किस क्षेत्र को मजबूती मिलने की संभावना है?
a) कृषि क्षेत्र
b) औद्योगिक क्षेत्र
c) स्वास्थ्य सेवा प्रणाली
d) शिक्षा प्रणाली
A3.
भारत का दूसरा सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार
India's
Second Largest Tribal Festival
पवित्र आयोजन: तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के केसालापुर गाँव में नागोबा जतरा, मैसराम बागीका का आठ दिवसीय पवित्र तीर्थ आयोजन है। यह एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है।
दूसरा सबसे बड़ा: यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार है। पहला स्थान तेलंगाना के ही सम्मक्का सरलम्मा जतरा का है, जो लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
आदिवासी समुदायों का संगम: इस त्योहार में मुख्य रूप से मंसाराम कबीले के आदिवासी लोग शामिल होते हैं। ये श्रद्धालु महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों से केसालापुर आते हैं और नाग देवता (नागोबा) से प्रार्थना करते हैं।
नाग देवता की पूजा: 'नागोबा' का अर्थ है 'नाग देवता'। इस जतरा में नाग देवता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जो आदिवासी संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
पवित्र शुरुआत: वार्षिक तीर्थयात्रा कार्यक्रम की शुरुआत एक अनूठी और पारंपरिक रस्म के साथ होती है। इसमें चींटी के टीले (बांबी) की पवित्र मिट्टी से नागोबा देवता की मूर्ति बनाई जाती है। यह मिट्टी प्रकृति और देवता के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है।
आस्था और परंपरा: नागोबा जतरा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह आदिवासी लोगों की गहरी आस्था और सदियों पुरानी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन है। यह समुदाय के लोगों को एक साथ आने, अपनी संस्कृति को मनाने और अपनी धार्मिक मान्यताओं को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
सांस्कृतिक महत्व: इस जतरा में पारंपरिक नृत्य, संगीत और आदिवासी कला रूपों का प्रदर्शन भी होता है, जो इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। यह युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
11. नागोबा जतरा मुख्य रूप से किस राज्य में मनाया जाता है?
a. महाराष्ट्र
b. छत्तीसगढ़
c. तेलंगाना
d. ओडिशा
12. भारत का दूसरा सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार कौन सा है?
a. सम्मक्का सरलम्मा जतरा
b. नागोबा जतरा
c. बस्तर दशहरा
d. होर्नबिल त्योहार
13. नागोबा जतरा में किस देवता की पूजा की जाती है?
a. भगवान शिव
b. भगवान विष्णु
c. नाग देवता
d. देवी दुर्गा
14. नागोबा जतरा कितने दिनों तक चलने वाला पवित्र आयोजन है?
a. पाँच दिन
b. सात दिन
c. आठ दिन
d. दस दिन
15. नागोबा जतरा की वार्षिक तीर्थयात्रा की शुरुआत किस पारंपरिक रस्म से होती है?
a. पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन
b. भव्य जुलूस
c. चींटी के टीले की मिट्टी से नागोबा देवता की मूर्ति बनाना
d. विशेष प्रार्थना सभा
A4.
बुवाई का पर्व: असम की मिसिंग संस्कृति
The
Festival of Sowing: Missing Culture of Assam
उत्सव का नाम: अली ऐ लिगांग
कौन मनाता है: असम की मिसिंग जनजाति
महत्व: यह उत्सव कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है, जो मिसिंग समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है।
समय: यह फाल्गुन महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है। कृपया ध्यान दें कि फाल्गुन आमतौर पर फरवरी-मार्च के महीने में आता है, इसलिए उत्सव की तिथि हर साल थोड़ी बदल सकती है।
उद्देश्य: इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य सूर्य और चंद्रमा देवताओं, जिन्हें स्थानीय भाषा में डोनी पोली कहा जाता है, का सम्मान करना है। मिसिंग जनजाति प्रकृति की शक्तियों में गहरा विश्वास रखती है और अच्छी फसल के लिए उनकी प्रार्थना करती है।
अनुष्ठान: उत्सव में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं जिनमें देवताओं को अफेंग (चावल की बीयर) और पारंपरिक भोजन अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद कृतज्ञता व्यक्त करने और आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है।
अर्थ: "अली ऐ" का अर्थ 'बीज' है, और "लिगांग" का अर्थ 'बुवाई' है। इस प्रकार, 'अली ऐ लिगांग' सीधे तौर पर बुवाई की शुरुआत से जुड़ा हुआ है।
महत्व: यह त्योहार मिसिंग लोगों और उनकी भूमि के बीच अटूट बंधन को दर्शाता है। यह उनकी कृषि पर निर्भरता को मजबूत करता है और समुदाय को एक साथ लाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
• इस उत्सव में पारंपरिक नृत्य और संगीत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोग रंगीन पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और खुशी के साथ नाचते-गाते हैं।
• यह त्योहार नई फसल के मौसम की शुरुआत का उत्साह और उम्मीद लेकर आता है।
• मिसिंग जनजाति की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इस उत्सव के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
16. अली ऐ लिगांग मुख्य रूप से किस राज्य की मिसिंग जनजाति द्वारा मनाया जाता है?
a. मेघालय
b. असम
c. मणिपुर
d. त्रिपुरा
17. अली ऐ लिगांग त्योहार किस कृषि गतिविधि की शुरुआत का प्रतीक है?
a. कटाई
b. सिंचाई
c. बुवाई
d. निराई
18. मिसिंग जनजाति अली ऐ लिगांग उत्सव में किन देवताओं का सम्मान करती है?
a. लक्ष्मी और विष्णु
b. शिव और पार्वती
c. डोनी पोली (सूर्य और चंद्रमा)
d. इंद्र और अग्नि
19. अली ऐ लिगांग आम तौर पर किस महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है?
a. चैत्र
b. वैशाख
c. फाल्गुन
d. आषाढ़
20. अली ऐ लिगांग उत्सव में देवताओं को पारंपरिक रूप से क्या अर्पित किया जाता है?
a. फल और फूल
b. मिठाई और मेवे
c. अफेंग (चावल की बीयर) और पारंपरिक भोजन
d. कपड़े और आभूषण
A5.
हिमाचल में भांग की खेती:
विकास की नई राह
Cannabis
Cultivation in Himachal Pradesh: A New Path to Growth
हिमाचल प्रदेश अब उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे प्रगतिशील राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो औद्योगिक और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को कानूनी रूप से विनियमित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह निर्णय राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
इस नए व्यवसाय से हिमाचल प्रदेश के राजस्व में प्रति वर्ष लगभग ₹500 करोड़ की वृद्धि होने का अनुमान है। यह अतिरिक्त आय राज्य के विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने सरकारी दिशानिर्देशों के तहत बड़े पैमाने पर औद्योगिक भांग की खेती को अनुमति दी है। हिमाचल प्रदेश इस अनुभव से सीख सकता है और एक सुदृढ़ नियामक ढांचा तैयार कर सकता है।
कुल्लू, मनाली, मंडी, चंबा, शिमला और सिरमौर जैसे क्षेत्र भांग की खेती के लिए आदर्श जलवायु परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं। यहाँ की मिट्टी और वातावरण भांग के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए अनुकूल हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त की जा सकती है।
हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो सरकार की दूरदर्शिता और राज्य की आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नियंत्रित भांग की खेती की जिम्मेदारी दो प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालयों - चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ. वाई. एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन को संयुक्त रूप से सौंपी गई है। यह सुनिश्चित करेगा कि खेती वैज्ञानिक तरीकों से हो और गुणवत्ता के मानकों का पालन किया जाए।
कृषि विभाग को इस पूरी पहल के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। यह विभाग भांग की खेती से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करेगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भांग और मारिजुआना एक ही पौधे (Cannabis sativa) की दो अलग-अलग किस्में हैं। औद्योगिक भांग में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल
(THC) की मात्रा बहुत कम होती है, जो इसे मादक प्रभावों से मुक्त करती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से फाइबर, बीज और तेल के लिए किया जाता है। वहीं, मारिजुआना में THC की मात्रा अधिक होती है और इसका उपयोग औषधीय और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। हिमाचल प्रदेश मुख्य रूप से औद्योगिक और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित कर रहा है।
भांग के पौधे के विभिन्न हिस्सों का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है, जैसे कपड़ा, कागज, निर्माण सामग्री, ऑटोमोबाइल, भोजन और सौंदर्य प्रसाधन। इसके बीजों में उच्च पोषण मूल्य होता है और यह प्रोटीन, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है।
चिकित्सा क्षेत्र में, भांग का उपयोग दर्द, सूजन, मिर्गी और अन्य बीमारियों के इलाज में संभावित लाभों के लिए अध्ययन किया जा रहा है। नियंत्रित चिकित्सा उपयोग से रोगियों को राहत मिल सकती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
21. हिमाचल प्रदेश किन उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करेगा?
a) केवल औद्योगिक उद्देश्य
b) केवल चिकित्सा उद्देश्य
c) औद्योगिक और चिकित्सा दोनों उद्देश्य
d) मनोरंजक उद्देश्य
22. अनुमान के अनुसार, भांग की खेती से हिमाचल प्रदेश के राजस्व में प्रति वर्ष कितनी वृद्धि होने की उम्मीद है?
a) ₹100 करोड़
b) ₹250 करोड़
c) ₹500 करोड़
d) ₹1000 करोड़
23. भारत का पहला राज्य कौन सा है जिसने बड़े पैमाने पर औद्योगिक भांग की खेती की अनुमति दी?
a) हिमाचल प्रदेश
b) गुजरात
c) उत्तराखंड
d) मध्य प्रदेश
24. हिमाचल प्रदेश के किन क्षेत्रों में भांग की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियाँ हैं?
a) केवल कुल्लू और मनाली
b) केवल शिमला और सिरमौर
c) कुल्लू, मनाली, मंडी, चंबा, शिमला और सिरमौर
d) पूरे हिमाचल प्रदेश में
25. नियंत्रित भांग की खेती हिमाचल प्रदेश के किन कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से की जाएगी?
a) चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, सोलन
b) डॉ. वाई. एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
c) चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ. वाई. एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन
d) हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला और चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
A6.
सूरजकुंड मेला:
कला और संस्कृति का संगम
Surajkund
Mela: A Confluence of Art and Culture
उद्घाटन: 38वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का भव्य उद्घाटन 7 फरवरी, 2025 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उपस्थित थे।
भागीदार राज्य: इस वर्ष के मेले के लिए दो विशेष भागीदार राज्य चुने गए हैं: मध्य प्रदेश और ओडिशा। यह इन राज्यों की समृद्ध कला और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर है।
उद्देश्य: मेले का मुख्य उद्देश्य देश भर से आए कुशल शिल्पकारों को एक मंच प्रदान करना और हस्तशिल्प तथा हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देना है। यह पारंपरिक कला रूपों को जीवित रखने और उन्हें नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: इस वर्ष मेले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली। मिस्र, इथियोपिया, सीरिया, अफगानिस्तान, बेलारूस, म्यांमार और बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों - बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड - के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह वैश्विक स्तर पर भारतीय कला और शिल्प की लोकप्रियता को दर्शाता है।
विम्सटेक का महत्व: बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों का एक क्षेत्रीय समूह है। इसकी भागीदारी इस मेले को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र बनाती है।
अतिरिक्त जानकारी: सूरजकुंड मेला भारत के सबसे बड़े शिल्प मेलों में से एक है। यह हर साल फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है और लगभग दो सप्ताह तक चलता है। मेले में विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्मित उत्पाद, लोक कला प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वादिष्ट व्यंजन आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह न केवल शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मंच है, बल्कि कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए भी एक जीवंत अनुभव है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
26. 38वां सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला कब आयोजित हुआ?
a. जनवरी 2025
b. फरवरी 2025
c. मार्च 2025
d. अप्रैल 2025
27. वर्ष 2025 के सूरजकुंड मेले के भागीदार राज्य कौन से थे?
a. राजस्थान और गुजरात
b. पंजाब और हरियाणा
c. मध्य प्रदेश और ओडिशा
d. महाराष्ट्र और कर्नाटक
28. सूरजकुंड मेले का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना
b. हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देना
c. औद्योगिक उत्पादों का प्रदर्शन करना
d. कृषि उत्पादों की बिक्री करना
29. निम्नलिखित में से कौन सा देश 38वें सूरजकुंड मेले में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी था?
a. चीन
b. जापान
c. मिस्र
d. जर्मनी
30. बिम्सटेक में कितने सदस्य देश शामिल हैं?
a. पांच
b. छह
c. सात
d. आठ
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