10 August 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।
- A1. भारत-स्विट्जरलैंड सहयोग से हिमालयी जलवायु केंद्र
- A2. विश्व का पहला पूर्णतः नवीकरणीय ऊर्जा शहर: अमरावती
- A3. डॉ. बी. आर. अंबेडकर वन्यजीव अभयारण्य: प्रकृति को एक नई श्रद्धांजलि
- A4. दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज: भारत की एक नई पहचान
- A5. ब्लैक बॉक्स लैब: हवाई सुरक्षा का नया अध्याय
- A6. तेलंगाना का ऐतिहासिक कदम: एससी वर्गीकरण कानून
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।
A1.
भारत-स्विट्जरलैंड सहयोग से हिमालयी जलवायु केंद्र
India-Switzerland
Collaboration Gives Birth to Himalayan Climate Center
क्या आपने कभी सोचा है कि हिमालय की विशाल चोटियों पर मौसम और जलवायु का सटीक पूर्वानुमान लगाना कितना महत्वपूर्ण हो सकता है? अब यह संभव है! जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के चेनानी के नथाटॉप में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहाँ भारत के पहले "हिमालयी उच्च ऊँचाई वायुमंडलीय और जलवायु केंद्र" का उद्घाटन किया है। यह केंद्र न केवल हमारे मौसम पूर्वानुमानों को अधिक सटीक बनाएगा, बल्कि यह हिमालय के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में भी मदद करेगा।
यह पहल भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक मजबूत वैज्ञानिक सहयोग का परिणाम है। इस केंद्र के माध्यम से, हम हिमालय क्षेत्र की अद्वितीय उच्चाई स्थितियों पर गहन अनुसंधान और अध्ययन कर सकेंगे।
इस केंद्र की कुछ महत्वपूर्ण बातें:
स्थान और ऊँचाई: यह केंद्र जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के चेनानी में नथाटॉप नामक स्थान पर स्थित है, जो समुद्र तल से 2,250 मीटर की ऊँचाई पर है।
उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य हिमालय क्षेत्र के लिए सटीक जलवायु और मौसम पूर्वानुमान प्रदान करना है, जिससे इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों और यहाँ की अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सके।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह केंद्र भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ-साथ स्विस नेशनल साइंस फाउंडेशन (SNSF) के सहयोग से स्थापित किया गया है।
प्रारंभिक अनुसंधान: शुरुआती चरण में, 'ICE-CRUNCH' नामक एक परियोजना के तहत भारतीय और स्विस वैज्ञानिक मिलकर बर्फ-न्यक्लिएटिंग कणों (ice-nucleating particles) और बादल संघनन नाभिकों (cloud condensation nuclei)
का अध्ययन करेंगे। यह अध्ययन बादलों के बनने और वर्षा के पैटर्न को समझने में महत्वपूर्ण होगा।
वैश्विक मान्यता: यह केंद्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के 'वैश्विक वायुमंडलीय निगरानी' (GAW) कार्यक्रम से संबद्ध एक दीर्घकालिक अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह इसे वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से जोड़ता है और इसके डेटा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
क्यों महत्वपूर्ण है यह केंद्र? हिमालयी क्षेत्र, जिसे अक्सर 'तीसरा ध्रुव' कहा जाता है, जलवायु परिवर्तन के प्रति बहुत संवेदनशील है। यहाँ के ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे नदियाँ प्रभावित हो रही हैं और लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ रहा है। यह केंद्र इन बदलावों की निगरानी और अध्ययन करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य की नीतियों और अनुकूलन रणनीतियों को तैयार किया जा सकेगा।
'बर्फ-न्यक्लिएटिंग कण' क्या हैं? ये छोटे कण होते हैं (जैसे धूल, पराग या बैक्टीरिया) जो वायुमंडल में मौजूद होते हैं और बादलों में पानी की बूंदों को बर्फ के क्रिस्टल में बदलने में मदद करते हैं। इनका अध्ययन करके वैज्ञानिक यह समझ सकते हैं कि बर्फबारी कैसे होती है।
'वैश्विक वायुमंडलीय निगरानी' (GAW) कार्यक्रम क्या है? यह WMO का एक वैश्विक कार्यक्रम है जो वायुमंडल में होने वाले रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों की निगरानी करता है। इस नेटवर्क का हिस्सा बनकर, नथाटॉप केंद्र वैश्विक जलवायु अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
A2.
विश्व का पहला पूर्णतः नवीकरणीय ऊर्जा शहर: अमरावती
Amaravati:
The World's First 100% Renewable Energy City
क्या आपने कभी ऐसे शहर की कल्पना की है जो पूरी तरह से सूरज, हवा और पानी की शक्ति से चले? भारत का आंध्र प्रदेश राज्य इसी सपने को हकीकत में बदलने की तैयारी कर रहा है। आंध्र प्रदेश की नई राजधानी, अमरावती, विश्व का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है, जो पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) पर चलेगा। यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल शहरी विकास (Eco-friendly urban
development) का एक नया मॉडल है।
अमरावती की अनूठी पहल: मुख्य बिंदु
अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य: अमरावती ने सौर, पवन और जलविद्युत स्रोतों से कुल 2,700 मेगावाट (MW) या 2.7 गीगावाट (GW) स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, जो 2050 तक शहर की अनुमानित बिजली की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
जीवाश्म ईंधन से मुक्ति: इस परियोजना का सबसे बड़ा उद्देश्य जीवाश्म ईंधन (Fossil fuels) पर निर्भरता को पूरी तरह से खत्म करना है। इससे शहर में कार्बन उत्सर्जन (Carbon emissions) में भारी कमी आएगी, जिससे अमरावती एक प्रदूषण-मुक्त शहर बन सकेगा।
विस्तार और लागत: यह नियोजित ग्रीनफील्ड शहर कृष्णा नदी के तट पर लगभग 217 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला होगा। इस आधुनिक 'जनता की राजधानी' (People's Capital) को बनाने में लगभग 65,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।
कृष्णा और गुंटूर के बीच का स्थान: अमरावती विजयवाड़ा और गुंटूर जैसे महत्वपूर्ण शहरों के बीच स्थित है। इसका रणनीतिक स्थान और पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन इसे शहरी नियोजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनाता है।
सार्वजनिक परिवहन: अमरावती की परिवहन प्रणाली भी हरित होगी। यहाँ की मेट्रो और इलेक्ट्रिक बसें भी पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा से संचालित होंगी, जिससे परिवहन क्षेत्र में भी कार्बन फुटप्रिंट कम होगा।
अतिरिक्त जानकारी: यह क्यों महत्वपूर्ण है?
अमरावती का यह कदम वैश्विक जलवायु परिवर्तन (Global Climate Change) के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। जब दुनिया भर के शहर प्रदूषण और बढ़ती ऊर्जा मांगों से जूझ रहे हैं, तब अमरावती एक रास्ता दिखा रहा है कि कैसे विकास और पर्यावरण संरक्षण (Environmental
conservation) एक साथ चल सकते हैं।
A3.
डॉ.
बी.
आर.
अंबेडकर वन्यजीव अभयारण्य: प्रकृति को एक नई श्रद्धांजलि
Dr.
B.R. Ambedkar Wildlife Sanctuary: A New Tribute to Nature
14 अप्रैल,
2025 को डॉ. बी. आर. अंबेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर, मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक घोषणा की है, जिसने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। सागर जिले में 258.64 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैले एक नए वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना की गई है, जिसका नाम 'डॉ. बी. आर. अंबेडकर वन्यजीव अभयारण्य' रखा गया है।
यह पहल न केवल डॉ. अंबेडकर को एक अनूठी और सार्थक श्रद्धांजलि है, बल्कि मध्य प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता को और भी मजबूत करती है।
इस नई पहल से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण बातें:
अभयारण्यों की संख्या में वृद्धि: इस नए अभयारण्य के निर्माण से मध्य प्रदेश में वन्यजीव अभयारण्यों की कुल संख्या अब 25 हो गई है। यह राज्य के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थान और क्षेत्रफल: यह नया अभयारण्य सागर जिले में स्थित है और इसका क्षेत्रफल 258.64 वर्ग किलोमीटर है। यह विशाल क्षेत्र कई प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित और प्राकृतिक आवास प्रदान करेगा।
प्रस्तावित जीव-जंतु: हालांकि अभी आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है, लेकिन इस क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, भालू, और विभिन्न प्रकार के हिरणों के निवास करने की संभावना है। साथ ही, यह अभयारण्य कई स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण निवास स्थान बन सकता है।
संरक्षण का महत्व: मध्य प्रदेश को 'टाइगर स्टेट' के रूप में जाना जाता है। इस नए अभयारण्य से बाघों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए नए कॉरिडोर और सुरक्षित प्रजनन क्षेत्र बनेंगे, जिससे उनकी संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
पर्यटन को बढ़ावा: यह नया अभयारण्य सागर जिले और आस-पास के क्षेत्रों में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और साथ ही लोगों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
बाबासाहेब को श्रद्धांजलि: डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने समानता और न्याय के लिए जीवन भर संघर्ष किया। यह अभयारण्य प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति न्याय और संरक्षण के उनके सिद्धांतों को एक नई दिशा देता है।
A4.
दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज: भारत की एक नई पहचान
World's
Highest Railway Arch Bridge: A New Identity for India
19 अप्रैल,
2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) के कटरा-सांगलदान खंड का उद्घाटन किया, जो 272 किलोमीटर लंबी परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस ऐतिहासिक अवसर ने भारत को दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे आर्च ब्रिज, प्रतिष्ठित चिनाब रेल ब्रिज, का गौरव प्रदान किया है। यह पुल सिर्फ एक ढाँचा नहीं, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है, जो कश्मीर घाटी को पहली बार रेल मार्ग से शेष भारत से जोड़ रहा है।
चिनाब रेलवे ब्रिज की खास बातें:
अद्वितीय ऊँचाई: यह पुल चिनाब नदी के तल से 359 मीटर (1,178 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज बनाता है। इसकी ऊँचाई पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टॉवर से भी अधिक है।
रणनीतिक महत्व: यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर में परिवहन और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है। यह पुल नई दिल्ली से कटरा के रास्ते सीधे कश्मीर को जोड़ेगा, जिससे व्यापार, पर्यटन और स्थानीय जीवन में बड़ा बदलाव आएगा।
कठोर मौसम का सामना: यह ब्रिज 250 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से चलने वाली हवाओं को भी आसानी से झेल सकता है। इसका निर्माण कठोर भूभाग और भूकंपीय गतिविधि वाले क्षेत्र में किया गया है, जिसके लिए विशेष सुरक्षा मापदंड अपनाए गए हैं।
निर्माण सामग्री: इस पुल के निर्माण में लगभग 30,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है। इसका डिजाइन और निर्माण इस तरह से किया गया है कि यह अपनी विशालता के साथ-साथ स्थिरता और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है।
रेल कनेक्टिविटी का सपना: इस पुल के चालू होने से जम्मू-कश्मीर के निवासियों का सालों पुराना सपना पूरा हुआ है। यह पुल इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और लोगों के आवागमन में एक नई क्रांति लेकर आएगा।
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है; यह एक ऐसा पुल है जो भौगोलिक बाधाओं को पार करता है, और पूरे देश को एक साथ जोड़ता है। यह इंजीनियरिंग का एक ऐसा अद्भुत उदाहरण है जो भारत को विश्व मानचित्र पर एक विशेष स्थान दिलाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
परियोजना का इतिहास: USBRL परियोजना की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, लेकिन इसका काम विभिन्न चुनौतियों के कारण रुक-रुक कर चलता रहा। चिनाब ब्रिज का निर्माण 2004 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में कई साल लगे।
सुरक्षा तकनीक: पुल में भूकंप, विस्फोट और हवा के दबाव का सामना करने के लिए विशेष सेंसर लगाए गए हैं, जो किसी भी खतरे की स्थिति में स्वचालित रूप से चेतावनी देते हैं।
वातावरण संरक्षण: पुल के निर्माण के दौरान पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुँचाने के लिए सख्त नियम और तकनीकें अपनाई गई हैं।
A5.
ब्लैक बॉक्स लैब:
हवाई सुरक्षा का नया अध्याय
Black
Box Lab: A New Chapter in Air Safety
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, राम मोहन नायडू, ने हाल ही में नई दिल्ली में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) में एक अत्याधुनिक 'ब्लैक बॉक्स लैब' का उद्घाटन किया है। यह नई सुविधा भारत में हवाई दुर्घटनाओं की जाँच के तरीके में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है।
इस 'ब्लैक बॉक्स लैब' का पूरा नाम 'डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (DFDR & CVR) प्रयोगशाला' है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से ₹9 करोड़ की लागत से बनी यह लैब, हवाई दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
ब्लैक बॉक्स लैब की मुख्य विशेषताएं और महत्व:
तेज़ और सटीक जाँच: यह लैब हवाई जहाजों के ब्लैक बॉक्स से प्राप्त महत्वपूर्ण डेटा को डिकोड करने में मदद करेगी। इससे दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाने में लगने वाला समय कम होगा और जाँच अधिक सटीक बनेगी।
लागत और समय की बचत: पहले, ब्लैक बॉक्स डेटा को विश्लेषण के लिए विदेश भेजना पड़ता था, जिसमें काफी समय और पैसा खर्च होता था। अब यह काम भारत में ही संभव होगा, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
महत्वपूर्ण डेटा का विश्लेषण: ब्लैक बॉक्स में दो मुख्य हिस्से होते हैं - डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। DFDR उड़ान से संबंधित तकनीकी डेटा जैसे गति, ऊँचाई और इंजन के प्रदर्शन को रिकॉर्ड करता है, जबकि CVR कॉकपिट में पायलटों के बीच की बातचीत और अन्य आवाज़ों को रिकॉर्ड करता है। यह लैब इन दोनों प्रकार के डेटा का कुशलता से विश्लेषण करेगी।
सुरक्षा मानक में सुधार: इस लैब से प्राप्त जानकारी का उपयोग भविष्य में विमानन सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने और ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किया जाएगा।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम: यह पहल भारत को विमानन सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब हम अपनी विशेषज्ञता और क्षमताओं का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जाँच कर सकेंगे।
ब्लैक बॉक्स लैब सिर्फ एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह हवाई यात्रा को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह हवाई सुरक्षा के एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ हर उड़ान सुरक्षित होगी और हर जाँच पारदर्शी।
अतिरिक्त जानकारी:
ब्लैक बॉक्स क्या है? यह नारंगी रंग का होता है, न कि काले रंग का, जैसा कि इसके नाम से लगता है। इसका रंग इसे आसानी से खोजने के लिए चमकीला रखा जाता है।
ब्लैक बॉक्स की मजबूती: ब्लैक बॉक्स को अत्यधिक दबाव, तापमान और पानी में भी सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 11,000 मीटर की गहराई तक पानी में भी 30 दिनों तक डेटा सुरक्षित रख सकता है।
विश्वसनीयता: ब्लैक बॉक्स का निर्माण इस तरह किया जाता है कि यह किसी भी विमान दुर्घटना में लगभग हमेशा सुरक्षित रहता है, जिससे जाँचकर्ताओं को दुर्घटना के पीछे के कारणों को समझने में मदद मिलती है।
A6.
तेलंगाना का ऐतिहासिक कदम: एससी वर्गीकरण कानून
Telangana's
Landmark Move: The SC Sub-categorization Act
तेलंगाना ने 14 अप्रैल, 2025 को डॉ. बी.आर. अंबेडकर की जयंती पर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'अनुसूचित जाति (आरक्षण का मुक्तिकरण) अधिनियम, 2025' को लागू कर दिया। यह अधिनियम सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद आया है और तेलंगाना को देश का पहला राज्य बनाता है जिसने अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण को प्रभावी ढंग से लागू किया है।
पृष्ठभूमि और कानूनी आधार
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 1 अगस्त,
2024 को 'दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य' मामले में सुप्रीम कोर्ट की 7-न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया। इस फैसले ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत राज्य सरकारों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। यह फैसला लंबे समय से चल रही बहस को समाप्त करता है और राज्यों को अधिक वंचित समुदायों को लक्षित लाभ देने की शक्ति प्रदान करता है।
तेलंगाना का विधेयक: न्यायमूर्ति शमीम अख्तर की रिपोर्ट और अनुभवजन्य डेटा के आधार पर, तेलंगाना सरकार ने राज्य विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा की स्वीकृति के बाद, यह कानून बन गया और 14 अप्रैल, 2025 को इसे अधिसूचित किया गया।
प्रमुख विशेषताएँ और वर्गीकरण मॉडल
इस नए कानून के तहत, राज्य में अनुसूचित जातियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिसका उद्देश्य आरक्षण के लाभों का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है।
समूह I: इसमें 15 सबसे वंचित समुदाय शामिल हैं, जिन्हें 1% आरक्षण दिया गया है।
समूह II: इसमें 18 मध्यम रूप से लाभान्वित समुदाय शामिल हैं, जिन्हें 9% आरक्षण दिया गया है।
समूह III: इसमें 26 अपेक्षाकृत बेहतर समुदाय शामिल हैं, जिन्हें 5% आरक्षण दिया गया है।
परिणाम और भविष्य की योजनाएँ
यह नया वर्गीकरण मॉडल भविष्य में होने वाली सभी सरकारी नौकरियों की भर्तियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर लागू होगा। यह हाशिए पर पड़े समुदायों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को संबोधित करने वाला एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय है।
वर्तमान स्थिति: 59 उप-जातियों में से 33 उसी समूह में बनी हुई हैं, जबकि 26 उप-जातियों में बदलाव किया गया है, जो अनुसूचित जाति की आबादी का 3.43% हिस्सा है।
आगे का रास्ता: तेलंगाना सरकार ने 2026 की जनगणना के बाद प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को और बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया है।
उपरोक्त घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न के लिए यहां क्लिक करें ।
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