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16 August 2025 Current Affairs Questions

 16 August 2025 Current Affairs Questions

हैलो दोस्तों ! 

आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे. दी गई घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न नीचे दिए गए हैं।

  • A1. पुनः प्रारंभ हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025
  • A2. विलुप्त होते पौधों का घर: साइकैड गार्डन 
  • A3.  डिजिटल युग में भारतीय सहकारी ब्रांडों का उदय
  • A4. आयात-निर्यात का नया रिकॉर्ड: 2024-25 में भारतीय बंदरगाहों की शानदार प्रगति
  • A5. लेवल 5 कार्बन मान्यता: क्या है इसका मतलब और क्यों महत्वपूर्ण है?
  • A6. गन्ने की मिठास और अर्थव्यवस्था का स्वाद: जानिए FRP के बारे में

आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf  डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।
Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m



क्विज खेलने के फायदे:

क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?
क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।


A1.
पुनः प्रारंभ हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025
The Sacred Kailash Yatra is Back in 2025

कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY), जो भारत और चीन के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है, एक बार फिर तीर्थयात्रियों के लिए शुरू होने जा रही है। 2025 में, जून से अगस्त के बीच यह पवित्र यात्रा आयोजित की जाएगी, जिसमें दो मार्गों का उपयोग किया जाएगा।

यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

दो मार्ग: तीर्थयात्री दो रास्तों से इस यात्रा पर जा सकते हैं:

    उत्तराखंड में धारचूला से लिपुलेख दर्रे के माध्यम से।

    सिक्किम में गंगटोक से नाथू ला दर्रे के माध्यम से।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: इस यात्रा की शुरुआत 1981 में भारत और चीन के बीच एक द्विपक्षीय समझौते के तहत हुई थी। यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है।

यात्रा का उद्देश्य: यह तीर्थयात्रा भगवान शिव के निवास स्थान, कैलाश पर्वत, और पवित्र मानसरोवर झील की परिक्रमा के लिए की जाती है। इस यात्रा को हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायी अत्यंत पवित्र मानते हैं।

यात्रा की तैयारी: यह यात्रा शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण होती है, इसलिए तीर्थयात्रियों को विशेष तैयारी करनी पड़ती है। विदेश मंत्रालय इस यात्रा का आयोजन करता है और सुरक्षा तथा अन्य व्यवस्थाओं का ध्यान रखता है।

अतिरिक्त जानकारी:

कैलाश पर्वत: इसे "विश्व की धुरी" माना जाता है। यह पर्वत 21,778 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।

मानसरोवर झील: यह दुनिया की सबसे ऊंची मीठे पानी की झीलों में से एक है। इसका पानी इतना साफ है कि तल तक देखा जा सकता है। माना जाता है कि इस झील में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

 

 

A2.
विलुप्त होते पौधों का घर: साइकैड गार्डन
A Sanctuary for Endangered Plants: The Cycad Garden

क्या आप जानते हैं कि हमारे उत्तराखंड में एक ऐसा अनोखा बगीचा है जहाँ लाखों साल पुराने 'जीवित जीवाश्म' पौधे सुरक्षित रखे गए हैं? जी हाँ, उत्तराखंड वन विभाग ने हल्द्वानी में राज्य का पहला साइकैड गार्डन स्थापित किया है, जो प्रकृति के अद्भुत इतिहास को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस उद्यान से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

विविधता का केंद्र: यह उद्यान साइकैड की कुल 31 विभिन्न प्रजातियों का घर है। इनमें से 17 प्रजातियों को संकटग्रस्त (Endangered) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो इस उद्यान के संरक्षण प्रयासों के महत्व को दर्शाता है।

भारत की धरोहर: इन 31 प्रजातियों में से 9 प्रजातियां भारत की मूल निवासी हैं। पूरे देश में साइकैड की केवल 14 प्रजातियाँ ही पाई जाती हैं, जिससे यह उद्यान भारतीय साइकैड के लिए एक महत्वपूर्ण संरक्षण स्थल बन जाता है।

प्रमुख देशी प्रजातियाँ: इस उद्यान में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख भारतीय साइकैड प्रजातियाँ हैं:

    साइकस अंडमानिका (Cycas andamanica): यह प्रजाति अंडमान द्वीप समूह में पाई जाती है।

    साइकस बेडोमी (Cycas beddomei): यह प्रजाति आंध्र प्रदेश की एक स्थानीय प्रजाति है।

    साइकस ज़ेलेनिका (Cycas zeylanica): यह श्रीलंका और भारत के कुछ हिस्सों में मिलती है।

    साइकस पेक्टिनटा (Cycas pectinata): यह पूर्वोत्तर भारत और आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है।

    साइकस सर्किनेलिस (Cycas circinalis): इसे मालाबार साइकैड के नाम से भी जाना जाता है और यह दक्षिण भारत में बहुतायत से मिलती है।

आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व: साइकैड को प्राचीन काल से ही मानव द्वारा विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जाता रहा है। इनका उपयोग भोजन (कुछ प्रजातियों के बीज से आटा बनाया जाता है), पारंपरिक दवाएं और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में किया जाता है।

संरक्षण की आवश्यकता: साइकैड धीमी गति से बढ़ने वाले और कम प्रजनन दर वाले पौधे हैं। इसी वजह से ये आवासों के विनाश और अत्यधिक दोहन के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। इनका सजावटी मूल्य बहुत अधिक है, जिसके कारण इनका अवैध व्यापार भी होता है। यह उद्यान इनके संरक्षण के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है।

वित्तीय सहायता: इस महत्वपूर्ण परियोजना को जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) से वित्तीय सहायता मिली है, जो वैश्विक स्तर पर संरक्षण प्रयासों को दर्शाती है। यह उद्यान 3 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।

'जीवित जीवाश्म' क्यों? साइकैड को 'जीवित जीवाश्म' इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये पौधे डायनासोर के युग से भी पहले के हैं। ये लगभग 300 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर मौजूद थे और तब से इनमें बहुत कम बदलाव आया है। ये आज भी प्राचीन काल के पौधों की कई विशेषताओं को बनाए हुए हैं।

 

 

A3.
डिजिटल युग में भारतीय सहकारी ब्रांडों का उदय
Rise of Indian Cooperative Brands in the Digital Age

सहकारी क्षेत्र, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है, अब डिजिटल युग में एक बड़ा कदम उठा रहा है। हाल ही में, सहकारिता मंत्रालय और प्रसिद्ध ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी इंस्टामार्ट के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते का उद्देश्य सहकारी डेयरी और अन्य उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाना है, जिससे सहकारी ब्रांडों को एक नया और बड़ा बाज़ार मिल सके।

इस समझौते से जुड़ी कुछ खास बातें:

समझौते का उद्देश्य: इस साझेदारी का मुख्य लक्ष्य सहकारी ब्रांडों को ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर लाना है। सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने इस पहल को भारत के सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

स्विगी की भूमिका: स्विगी इंस्टामार्ट इस मिशन में एक महत्वपूर्ण साझेदार की भूमिका निभाएगा। यह सहकारी ब्रांडों को कई तरह से मदद करेगा:

    विपणन और प्रचार: स्विगी अपने प्लेटफॉर्म और मार्केटिंग चैनलों का उपयोग करके सहकारी उत्पादों का प्रचार करेगा।

    उपभोक्ता प्रौद्योगिकी: यह सहकारी संस्थाओं को अपनी तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा ताकि वे डिजिटल दुनिया में आसानी से प्रवेश कर सकें।

    क्षमता निर्माण: स्विगी, सहकारी संगठनों के कर्मचारियों को ऑनलाइन व्यापार की बारीकियों को समझने में मदद करेगा, जैसे कि इन्वेंट्री प्रबंधन और ऑर्डर पूर्ति।

समर्पित 'सहकारी' श्रेणी: स्विगी के ऐप पर एक विशेष 'सहकारी' श्रेणी बनाई जाएगी। यह श्रेणी उपयोगकर्ताओं के लिए सहकारी उत्पादों को खोजना और खरीदना आसान बना देगी।

उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला: इस श्रेणी में केवल डेयरी उत्पाद ही नहीं, बल्कि कई अन्य सहकारी उत्पाद भी शामिल होंगे, जैसे:

    जैविक उत्पाद (ऑर्गेनिक्स)

    बाजरा आधारित उत्पाद

    हस्तशिल्प

    अन्य पारंपरिक और स्थानीय उत्पाद जो सहकारी संगठनों द्वारा बनाए और बेचे जाते हैं।

सहकारी आंदोलन को बढ़ावा: यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' (Cooperation to Prosperity) के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह छोटे किसानों, कारीगरों और सहकारी समूहों को सीधे बड़े बाज़ार तक पहुँचने में मदद करेगा, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

उपभोक्ताओं को लाभ: उपभोक्ताओं को भी इस समझौते से लाभ होगा। उन्हें अब घर बैठे ही उच्च गुणवत्ता वाले, विश्वसनीय और स्थानीय सहकारी उत्पाद खरीदने का मौका मिलेगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

 

 

A4.
आयात-निर्यात का नया रिकॉर्ड: 2024-25 में भारतीय बंदरगाहों की शानदार प्रगति
Record-breaking Cargo Handling: Major Ports' Stellar Performance in 2024-25

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का व्यापार समुद्र के रास्ते कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है? 2024-25 के वित्तीय वर्ष के आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय बंदरगाह देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आइए, इन शानदार उपलब्धियों पर एक नज़र डालते हैं।

मुख्य बातें:

रिकॉर्ड तोड़ कार्गो हैंडलिंग: भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों ने 2024-25 में कुल 855 मिलियन टन कार्गो संभाला, जो पिछले वर्ष (2023-24) के 819 मिलियन टन की तुलना में 4.3% की उल्लेखनीय वृद्धि है। यह दिखाता है कि देश का आयात-निर्यात व्यापार लगातार नई ऊँचाइयों को छू रहा है।

दो बंदरगाहों की ऐतिहासिक उपलब्धि: पहली बार, पारादीप पोर्ट (ओडिशा) और दीनदयाल पोर्ट (गुजरात) ने 150 मिलियन टन से अधिक कार्गो संभालकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह उनकी बढ़ती क्षमता और कुशल संचालन का परिचायक है।

कंटेनर और उर्वरक में तेज़ी:

    कंटेनर हैंडलिंग में सबसे अधिक 10% की वृद्धि दर दर्ज की गई। यह आधुनिक व्यापार और पैकेज्ड सामान की बढ़ती मांग को दर्शाता है।

    उर्वरक कार्गो हैंडलिंग में भी 13% की शानदार वृद्धि हुई, जो देश में कृषि क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में इन बंदरगाहों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।

पीओएल (POL) का वर्चस्व: प्रमुख बंदरगाहों पर संभाले जाने वाले कार्गो में पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक (कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, और एलपीजी/एलएनजी) सबसे ऊपर रहे। इनकी मात्रा 254.5 मिलियन टन थी, जो कुल कार्गो का लगभग 29.8% है। यह भारत की ऊर्जा ज़रूरतों और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार की विशालता को दर्शाता है।

सरकार का ध्यान: सभी 12 प्रमुख बंदरगाह केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। इन बंदरगाहों का कुशल प्रबंधन और विकास सुनिश्चित करने के लिए, 12 प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण (Major Port Authorities) कार्यरत हैं।

भविष्य की ओर एक कदम: देश में बंदरगाहों की बढ़ती मांग को देखते हुए, महाराष्ट्र के वधवन में 13वें प्रमुख बंदरगाह का निर्माण कार्य चल रहा है। यह नया बंदरगाह भविष्य की व्यापारिक ज़रूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

A5.
लेवल 5 कार्बन मान्यता: क्या है इसका मतलब और क्यों महत्वपूर्ण है?
Level 5 Carbon Accreditation: What Makes India's Airports Sustainable?

हाल ही में भारतीय हवाई अड्डों ने पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। दो प्रमुख हवाई अड्डोंकैंपेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेंगलुरु और हुबली हवाई अड्डा, कर्नाटकको उनकी असाधारण हरित पहलों के लिए सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि केवल भारत के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हमारा देश सतत विकास के प्रति कितना गंभीर है।

कैंपेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ऐतिहासिक उपलब्धि:

एशिया का पहला और एकमात्र: कैंपेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (BLR) अब एशिया में एकमात्र ऐसा हवाई अड्डा बन गया है जिसे एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) के एयरपोर्ट कार्बन एक्रेडिटेशन (ACA) कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च लेवल 5 मान्यता प्राप्त हुई है।

क्या है लेवल 5 मान्यता? यह मान्यता हवाई अड्डे के कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से नियंत्रित करने और शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसका मतलब है कि हवाई अड्डा अपने परिचालन से होने वाले कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के साथ-साथ अपनी सप्लाई चेन (आपूर्ति श्रृंखला) और अन्य हितधारकों को भी इसमें शामिल कर रहा है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है? लेवल 5 की मान्यता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हवाई अड्डों को केवल अपने पर्यावरण प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि अन्य हवाई अड्डों के लिए भी एक बेंचमार्क स्थापित करता है।

हुबली हवाई अड्डे को मिला प्लेटिनम सम्मान:

सर्वोच्च सम्मान: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संचालित हुबली हवाई अड्डे को ACI एशिया-प्रशांत और मध्य पूर्व द्वारा ग्रीन एयरपोर्ट्स रिकॉग्निशन, 2025 में सर्वोच्च स्तर का प्लेटिनम रिकॉग्निशन सम्मान दिया गया है।

ग्रीन पहलें: हुबली हवाई अड्डे ने सौर ऊर्जा के उपयोग, वर्षा जल संचयन, कुशल अपशिष्ट प्रबंधन और हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) के विकास जैसी कई हरित पहलें शुरू की हैं, जिनके कारण यह सम्मान मिला।

एएआई का योगदान: यह सम्मान एएआई की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपने हवाई अड्डों को अधिक पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ बनाने के लिए काम कर रहा है।

 

 

A6.
गन्ने की मिठास और अर्थव्यवस्था का स्वाद: जानिए FRP के बारे में
Sugarcane and the Economy: A Look at the New FRP

हाल ही में, 30 अप्रैल, 2025 को, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने गन्ना किसानों के लिए नए FRP को मंजूरी दे दी है। यह नया मूल्य 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा, जो 2025-26 के नए चीनी सीजन की शुरुआत है।

आइए, इस महत्वपूर्ण घोषणा के मुख्य बिंदुओं को समझते हैं:

 

बढ़ी हुई कीमत: इस बार, 10.25% की मूल रिकवरी दर के लिए, मिलें किसानों को ₹355 प्रति क्विंटल का भुगतान करेंगी।

कितनी वृद्धि? यह कीमत पिछले 2024-25 चीनी सीजन के मुकाबले 4.41% की बढ़ोतरी दर्शाती है। यह वृद्धि गन्ना किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी।

लागू कब से? यह नया FRP 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होगा।

अधिकार किसके पास? केंद्र सरकार के पास गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत FRP तय करने की शक्ति है।

FRP से अधिक दाम: कुछ राज्य, जैसे कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड, अपने किसानों के लिए राज्य परामर्शित मूल्य (SAP) भी तय करते हैं। यह मूल्य अक्सर केंद्र सरकार के FRP से अधिक होता है, जिससे इन राज्यों के किसानों को और भी बेहतर कीमत मिलती है।

RP क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

FRP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलें किसानों से गन्ना खरीदने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य गन्ना किसानों को उनकी उपज का उचित और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। यह गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हें खेती जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।

क्या आप जानते हैं?

चीनी का उत्पादन केवल गन्ने की मिठास पर निर्भर नहीं करता, बल्कि रिकवरी दर पर भी निर्भर करता है। रिकवरी दर का मतलब है कि गन्ने से कितनी मात्रा में चीनी निकाली जा सकती है। 10.25% की रिकवरी दर एक बेंचमार्क है, और यदि रिकवरी दर इससे अधिक होती है, तो किसानों को अतिरिक्त भुगतान भी मिलता है। यह एक वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीका है, जो किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाला गन्ना उगाने के लिए प्रेरित करता है।

 

उपरोक्त घटनाओं पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न के लिए यहां क्लिक करें ।

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