3 June 2025 Current Affairs Questions
हैलो दोस्तों !
आज हम current affairs के इन बिंदुओं पर गहराई से विचार करेंगे और उम्मीद करेंगे कि आप इन बिंदुओं को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमारे साथ 30 से अधिक प्रश्नों की क्विज जरूर खेलेंगे
- A1. जयपुर में 3R और C-3: शहरी स्थिरता का नया अध्याय
- A2. पेरोव्स्काइट LED: अगली पीढ़ी का प्रकाश!
- A3. अंतरिक्ष में भारत की स्वदेशी शक्ति: विक्रम और कल्पना 3201
- A4. डेनमार्क में मिला 4,000 साल पुराना 'लकड़ी का स्टोनहेंज'!
- A5. मंगल का लाल रहस्य: पानी और फेरिहाइड्राइट
- A6. प्रकृति के रहस्य: नई किलिफ़िश और 'उनियाला केरलेंसिस'
आप प्रतिदिन हमारी वेबसाइट SelfStudy Meter पर 30 करंट अफेयर प्रश्नों को पढ़ सकते हैं और अगले दिन सुबह 7:00 बजे इन पढ़े हुए प्रश्नों की क्विज खेल सकते हैं हमारे YouTube channel - Mission: CAGS पर, जबकि प्रतिदिन 45 से अधिक करंट अफेयर प्रश्नों की क्विज खेलने के लिए व pdf डाउनलोड करने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो कर सकते हैं ।Our Telegram channel - Mission: CAGS
Quiz time on Telegram is 7:30 p.m
क्विज खेलने के फायदे:
क्विज खेलने से आपकी रीडिंग स्किल इंप्रूव होगी, लर्निंग स्किल बढ़ेगी और आप अपनी तैयारी का स्वमूल्यांकन कर सकेंगे मतलब आप अपना याद किया हुआ चेक कर सकेंगे कि आपके द्वारा पढ़ा हुआ आपको कितना याद है?क्विज खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी तैयारी को एक दिशा दे पाएंगे।

A1.
जयपुर में
3R और
C-3: शहरी स्थिरता का नया अध्याय
3R
and C-3 in Jaipur: A New Chapter in Urban Sustainability
शहरीकरण और औद्योगिक विकास की तीव्र गति के साथ, अपशिष्ट प्रबंधन और संसाधनों का सतत उपयोग दुनिया भर के शहरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इसी चुनौती से निपटने और एक स्थायी भविष्य की ओर बढ़ने के लिए, "सिटीज और सर्कुलरिटी (C-3)" नामक एक महत्वाकांक्षी बहु-राष्ट्र गठबंधन की घोषणा की गई है।
C-3 क्या है?
C-3, जिसका पूरा नाम "सिटीज और सर्कुलरिटी" है, एक शहर-दर-शहर सहयोग और निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बनाया गया एक बहु-राष्ट्र गठबंधन है। इसे शहरी नियोजन, अपशिष्ट प्रबंधन और संसाधन उपयोग में स्थायी प्रथाओं को एकीकृत करके शहरी केंद्रों में सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को अपनाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य उद्देश्य:
C-3 का मुख्य उद्देश्य निम्न बिंदुओं पर केंद्रित है:
अपशिष्ट उत्पादन में कमी: पृथक्करण, खाद बनाने और पुनर्चक्रण के माध्यम से अपशिष्ट उत्पादन को कम करना।
संसाधन दक्षता में वृद्धि: पुनः उपयोग और साझा सामग्रियों को बढ़ावा देकर संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करना।
स्थायी बुनियादी ढाँचे का समर्थन: सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को एकीकृत करने वाले टिकाऊ शहरी बुनियादी ढाँचे का विकास और समर्थन करना।
जयपुर में महत्वपूर्ण घोषणाएँ और घटनाएँ:
12वें क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का उद्घाटन: हाल ही में जयपुर में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का उद्घाटन किया गया, जहाँ C-3 की घोषणा की गई।
मनोहर लाल (केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री) द्वारा घोषणा: केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने सिटीज और सर्कुलरिटी (C-3) गठबंधन की घोषणा की।
3R इंडिया पवेलियन का उद्घाटन: मनोहर लाल ने राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ 3R इंडिया पवेलियन का उद्घाटन किया। इस पवेलियन में अंतर्राष्ट्रीय 3R व्यापार और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी शामिल थी, जिसमें अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी समाधानों पर काम करने वाले 40 से अधिक भारतीय और जापानी व्यवसाय और स्टार्ट-अप प्रदर्शित किए गए।
OTIS 2.0 समझौता: जयपुर में एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें 14 राज्यों के 15 शहरों के लिए ₹1,800 करोड़ की राशि आवंटित की गई। इन शहरों को शहरी स्थिरता के आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।
वैश्विक प्रभाव:
एम्स्टर्डम, कोपेनहेगन और टोक्यो जैसे दुनिया भर के कई शहर पहले से ही C-3 ढांचे के तहत सर्कुलर अर्थव्यवस्था नीतियों को लागू कर चुके हैं, जो इस गठबंधन की वैश्विक प्रासंगिकता और प्रभाव को दर्शाता है।
क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का इतिहास:
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की शुरुआत वर्ष 2009 में की गई थी। इसका उद्देश्य तेजी से शहरीकृत और औद्योगिक होते एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी पहलों के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था। हनोई 3R घोषणा (2013-2023) ने अधिक संसाधन कुशल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए 33 लक्ष्यों को रेखांकित किया था, जो इस क्षेत्र में किए गए पिछले प्रयासों को दर्शाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. C-3 गठबंधन का पूरा नाम क्या है?
a. कॉमनवेल्थ ऑफ सिटीज एंड सर्कुलरिटी
b. सिटीज एंड सर्कुलरिटी
c. क्लाइमेट कंट्रोल एंड कंसर्वेशन
d. कार्बन क्रेडिट्स एंड कंसल्टेंसी
2. C-3 गठबंधन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a. केवल अपशिष्ट उत्पादन को कम करना
b. शहरी केंद्रों में सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को अपनाना
c. सिर्फ निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना
d. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना
3. जयपुर में 14 राज्यों के 15 शहरों के लिए OTIS 2.0 समझौते के तहत कितनी राशि आवंटित की गई थी?
a. ₹1,500 करोड़
b. ₹1,800 करोड़
c. ₹2,000 करोड़
d. ₹2,500 करोड़
4. एशिया और प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की शुरुआत किस वर्ष की गई थी?
a. 2013
b. 2009
c. 2023
d. 2015
5. C-3 गठबंधन की घोषणा किसने की थी?
a. राजस्थान के मुख्यमंत्री
b. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन के अध्यक्ष
c. केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल
d. जापानी व्यवसाय प्रतिनिधि
A2.
पेरोव्स्काइट LED: अगली पीढ़ी का प्रकाश!
Perovskite
LEDs: The Next Lighting Revolution!
पेरोव्स्काइट LED
(PeLEDs) इसी सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं! हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (ARCI) के शोधकर्ता इस क्षेत्र में लगातार महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं।
क्या हैं पेरोव्स्काइट LED?
ये ऐसे प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) हैं जो पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल का उपयोग करते हैं। पेरोव्स्काइट एक विशेष क्रिस्टल संरचना वाले यौगिकों का एक वर्ग है, जो अपने अद्वितीय गुणों के कारण विभिन्न अनुप्रयोगों में शोध का विषय है।
इन नैनोक्रिस्टल में आयनों (ions) के अनावश्यक अभिगमन (migration) को कम करने की एक विधि ARCI के शोधकर्ताओं ने विकसित की है, जिससे PeLEDs की स्थिरता और प्रदर्शन में सुधार होता है।
अद्वितीय लाभों का संगम:
PeLEDs, ऑर्गेनिक LED (OLED) और क्वांटम डॉट LED (QLED) दोनों के सर्वोत्तम गुणों को एक साथ लाते हैं।
OLED के लाभ: PeLEDs भी OLEDs की तरह लचीले और हल्के होते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न सतहों पर आसानी से एकीकृत किया जा सकता है।
QLED के लाभ: ये QLEDs के समान ही उच्च रंग शुद्धता (high color purity) प्रदान करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे बहुत जीवंत और सटीक रंग उत्पन्न कर सकते हैं।
बेहतर दक्षता और लागत-प्रभावशीलता: इन विशेषताओं के संयोजन के साथ-साथ, PeLEDs बेहतर दक्षता (efficiency) और लागत-प्रभावशीलता (cost-effectiveness)
भी प्रदान करते हैं, जो उन्हें बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए आकर्षक बनाता है।
सुरक्षित और हरित भविष्य की ओर:
ARCI ने ऑर्गेनिक इनऑर्गेनिक हैलाइड पेरोव्स्काइट फोटोडिटेक्टर (organic inorganic
halide perovskite photodetector) विकसित किए हैं।
इनमें सीसे (lead) के आंशिक विकल्प के रूप में मैग्नीशियम (magnesium) का उपयोग किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि सीसा एक जहरीला पदार्थ है और इसके उपयोग को कम करना पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
यह नवाचार सुरक्षित सौर ऊर्जा उत्पादन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
6. पेरोव्स्काइट LED (PeLED) के विकास में कौन सा भारतीय संस्थान महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है?
a. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc)
b. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली
c. इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (ARCI)
d. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC)
7. PeLEDs किस प्रकार की LED प्रौद्योगिकियों के सर्वोत्तम गुणों का संयोजन करते हैं?
a. केवल ऑर्गेनिक LED (OLED)
b. केवल क्वांटम डॉट LED (QLED)
c. ऑर्गेनिक LED (OLED) और क्वांटम डॉट LED (QLED)
d. पारंपरिक LED
8. ARCI द्वारा विकसित पेरोव्स्काइट फोटोडिटेक्टर में सीसे के आंशिक विकल्प के रूप में किस धातु का उपयोग किया गया है?
a. चांदी (Silver)
b. तांबा (Copper)
c. मैग्नीशियम (Magnesium)
d. एल्यूमीनियम (Aluminum)
9. PeLEDs की स्थिरता और प्रदर्शन में सुधार के लिए ARCI के शोधकर्ताओं ने पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल में क्या कम करने की विधि विकसित की है?
a. इलेक्ट्रॉन का प्रवाह
b. आयनों (ions) का अनावश्यक अभिगमन (migration)
c. प्रकाश का अवशोषण
d. सामग्री की लागत
10. निम्न में से कौन सा PeLEDs का एक लाभ नहीं है?
a. उच्च रंग शुद्धता
b. लचीलापन
c. उच्च लागत
d. बेहतर दक्षता
A3.
अंतरिक्ष में भारत की स्वदेशी शक्ति: विक्रम और कल्पना 3201
India's
Indigenous Prowess in Space: Vikram & Kalpana 3201
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसरों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL) के साथ मिलकर, ISRO ने दो उन्नत 32-बिट माइक्रोप्रोसेसरों - विक्रम 3201 और कल्पना 3201 का सफलतापूर्वक विकास किया है।
ये प्रोसेसर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा बढ़ावा देते हैं, विशेष रूप से लॉन्च वाहनों और उपग्रहों के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के क्षेत्र में।
जानें इन माइक्रोप्रोसेसरों के बारे में:
विक्रम
3201 और कल्पना 3201: ये दोनों ही 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर हैं। 32-बिट का मतलब है कि ये एक साथ 32 बिट डेटा को प्रोसेस कर सकते हैं, जो इन्हें जटिल गणनाओं के लिए शक्तिशाली बनाता है।
विशेष रूप से अंतरिक्ष के लिए डिज़ाइन: इन प्रोसेसरों को अंतरिक्ष के कठोर वातावरण को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। इसका मतलब है कि वे विकिरण (radiation) और अत्यधिक तापमान जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं, जो अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वदेशी विकास: इनका विकास भारत में ही हुआ है, जो "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने और अपनी स्वयं की क्षमताओं को मजबूत करने में मदद करता है।
लॉन्च वाहनों में अनुप्रयोग: इन प्रोसेसरों का उपयोग मुख्य रूप से ISRO के लॉन्च वाहनों में उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के लिए किया जाएगा। ये लॉन्च वाहन के विभिन्न प्रणालियों को नियंत्रित करने, नेविगेशन और मिशन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को संभालने में मदद करेंगे।
आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम: इन स्वदेशी प्रोसेसरों के विकास से भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बन रहा है। यह हमें भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अपनी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और अनुकूलित करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
11. ISRO ने सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL) के साथ मिलकर कितने उन्नत 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए हैं?
a. एक
b. दो
c. तीन
d. चार
12. विक्रम
3201 और कल्पना 3201 माइक्रोप्रोसेसरों को मुख्य रूप से किसके लिए डिज़ाइन किया गया है?
a. सामान्य घरेलू उपकरण
b. मोबाइल फोन
c. अंतरिक्ष अनुप्रयोग
d. व्यक्तिगत कंप्यूटर
13. 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर का क्या अर्थ है?
a. यह एक साथ 32 GB डेटा प्रोसेस कर सकता है।
b. यह एक साथ 32 बिट डेटा प्रोसेस कर सकता है।
c. इसमें 32 कोर होते हैं।
d. इसका आकार 32 वर्ग मिलीमीटर है।
14. ISRO के इन स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसरों का विकास किस सरकारी पहल के अनुरूप है?
a. मेक इन इंडिया
b. स्वच्छ भारत अभियान
c. डिजिटल इंडिया
d. आत्मनिर्भर भारत
15. अंतरिक्ष में उपयोग के लिए इन प्रोसेसरों के डिज़ाइन में किस चुनौती का ध्यान रखा गया है?
a. जल प्रदूषण
b. विकिरण
(radiation)
c. वायुमंडलीय दबाव
d. ध्वनि प्रदूषण
A4.
डेनमार्क में मिला 4,000 साल पुराना 'लकड़ी का स्टोनहेंज'!
4,000-Year-Old
'Wooden Stonehenge' Unearthed in Denmark!
पुरातत्व की दुनिया में एक रोमांचक खोज ने हमें 4,000 साल पीछे नवपाषाण काल में पहुँचा दिया है। डेनमार्क में पुरातत्वविदों ने एक विशालकाय वुडन सर्कल (लकड़ी का घेरा) खोजा है, जो इंग्लैंड के प्रसिद्ध स्टोनहेंज से काफी मिलता-जुलता है। यह खोज प्राचीन सभ्यताओं के जीवन, विश्वासों और अनुष्ठानों को समझने में एक नया आयाम जोड़ती है।
एक प्राचीन रहस्य: यह वुडन सर्कल लगभग 4,000 वर्ष पुराना है, जो इसे नवपाषाण काल (Neolithic period) का बनाता है। यह वही समय था जब मानव समाज शिकारी-संग्राहक जीवन शैली से कृषि और स्थायी बस्तियों की ओर बढ़ रहा था।
स्टोनहेंज से समानता: इसकी संरचना इंग्लैंड के प्रसिद्ध पाषाणकालीन स्मारक स्टोनहेंज (जो लगभग 3100-1600 ईसा पूर्व का है) से काफी मिलती जुलती है। दोनों ही स्थान विशालकाय घेरे के रूप में व्यवस्थित हैं, जो संभवतः खगोलीय घटनाओं या अनुष्ठानों से जुड़े थे।
संरचना और उद्देश्य:
इस विशाल संरचना का व्यास लगभग 30 मीटर है।
इसमें 45 लकड़ी के खंभे (wooden piles) व्यवस्थित रूप से गाड़े गए थे।
पुरातत्वविदों का अनुमान है कि इस वुडन सर्कल का उपयोग संभवतः अनुष्ठानों, समारोहों या सूर्य पूजा जैसे धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता था। यह उस समय के लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं और ब्रह्मांडीय समझ को दर्शाता है।
निकटवर्ती कांस्य युगीन बस्ती: इस वुडन सर्कल के पास ही एक कांस्य युगीन (Bronze Age) बस्ती भी मिली है, जो लगभग 1700-1500 ईसा पूर्व की है। इस बस्ती में एक कब्र (grave) और एक कांस्य तलवार (bronze sword) भी पाई गई है, जो उस समय की दफन प्रथाओं और धातु विज्ञान के विकास पर प्रकाश डालती है।
कांस्य युग क्या था?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, कांस्य युग लगभग 2,000 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व तक का वह समय था जब मानव समाज ने पत्थर के औजारों के बजाय कांस्य (तांबा और टिन की मिश्र धातु) का उपयोग करना शुरू कर दिया था।
इस अवधि में धातुओं का काम, कृषि पद्धतियों और व्यापार में महत्वपूर्ण प्रगति हुई, जिससे अधिक जटिल समाजों का उदय हुआ।
इस खोज का महत्व:
यह खोज डेनमार्क में प्राचीन सभ्यताओं के जीवन और उनके धार्मिक विश्वासों को समझने में एक महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ती है। यह हमें यह कल्पना करने का अवसर देती है कि हजारों साल पहले लोग कैसे रहते थे, वे क्या मानते थे और वे अपने ब्रह्मांड के साथ कैसे जुड़ते थे। यह वुडन सर्कल और उससे जुड़ी कांस्य युगीन बस्ती निश्चित रूप से भविष्य में और अधिक शोध और गहन अध्ययन का विषय होंगी।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
16. हाल ही में डेनमार्क में खोजा गया वुडन सर्कल कितने वर्ष पुराना है?
a. 3,100 वर्ष
b. 1,700 वर्ष
c. 4,000 वर्ष
d. 2,000 वर्ष
17. डेनमार्क में मिले इस वुडन सर्कल की संरचना किस प्रसिद्ध पाषाणकालीन स्मारक से मिलती-जुलती है?
a. गीज़ा के पिरामिड
b. स्टोनहेंज
c. कोलोसियम
d. माचू पिच्चू
18. डेनमार्क में खोजे गए वुडन सर्कल में लकड़ी के कितने खंभे (wooden piles) पाए गए हैं?
a. 30
b. 45
c. 15
d. 60
19. वुडन सर्कल के पास मिली कांस्य युगीन बस्ती लगभग किस अवधि की है?
a. 2,000-700 ईसा पूर्व
b. 3,100-1,600 ईसा पूर्व
c. 1,700-1,500 ईसा पूर्व
d. 4,000 ईसा पूर्व
20. कांस्य युग की मुख्य पहचान क्या थी?
a. पत्थर के औजारों का उपयोग
b. लोहे के औजारों का उपयोग
c. कांस्य (तांबा और टिन की मिश्र धातु) का उपयोग
d. कृषि का अभाव
A5.
मंगल का लाल रहस्य: पानी और फेरिहाइड्राइट
Mars'
Red Secret: Ferrihydrite's Tale
क्या आपने कभी सोचा है कि मंगल ग्रह इतना लाल क्यों दिखाई देता है? यह ब्रह्मांड के सबसे मनमोहक रहस्यों में से एक है! हाल ही में नासा द्वारा समर्थित एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन ने इस गूढ़ प्रश्न पर एक नई रोशनी डाली है।
मंगल के लाल रंग का रहस्य:
मुख्य अपराधी: अध्ययन से पता चलता है कि मंगल का प्रतिष्ठित लाल रंग संभवतः लौह खनिज फेरिहाइड्राइट (Fe, OH.nH₂O) के कारण है।
पानी की भूमिका: सबसे दिलचस्प बात यह है कि फेरिहाइड्राइट को बनने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यह खोज मंगल के प्राचीन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण है।
स्पेक्ट्रोस्कोपिक सबूत: शोधकर्ताओं ने स्पेक्ट्रोस्कोपिक विश्लेषण का उपयोग किया। इससे पता चला कि फेरिहाइड्राइट, बेसाल्ट (एक प्रकार की ज्वालामुखी चट्टान) और सल्फेट का एक अत्यंत महीन मिश्रण मंगल ग्रह की धूल के अवलोकन से सबसे अच्छा मेल खाता है।
शुष्क अतीत का संकेत? फेरिहाइड्राइट की उपस्थिति यह संकेत देती है कि मंगल का अतीत आज की तुलना में अधिक शुष्क रहा होगा। यह पहले की धारणाओं के विपरीत है जो अक्सर मंगल के अधिक आर्द्र और संभवतः अधिक रहने योग्य अतीत की कल्पना करते थे। हालाँकि, "रहने योग्य" का अर्थ केवल पानी की उपस्थिति नहीं है, बल्कि अन्य आवश्यक तत्व और उपयुक्त परिस्थितियाँ भी हैं। यह अध्ययन मंगल के जल इतिहास को और अधिक जटिल बनाता है।
परसिवियरेंस रोवर और भविष्य:
नमूना संग्रह: नासा का परसिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) इस रहस्य को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह वर्तमान में मंगल ग्रह से नमूने एकत्र कर रहा है। इन नमूनों के पृथ्वी पर विश्लेषण से फेरिहाइड्राइट की पुष्टि और मंगल के अतीत के बारे में और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है।
मिशन की जानकारी: परसिवियरेंस रोवर को जुलाई, 2020 में लॉन्च किया गया था और यह फरवरी, 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा था। यह जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में काम कर रहा है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह कभी एक प्राचीन नदी डेल्टा था, जो पानी की उपस्थिति के लिए एक और संकेत है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
21. मंगल ग्रह का लाल रंग मुख्य रूप से किस लौह खनिज के कारण माना जाता है?
a) हेमेटाइट
b) मैग्नेटाइट
c) फेरिहाइड्राइट
d) गोएथाइट
Answer and Explanation
22. फेरिहाइड्राइट के निर्माण के लिए किस तत्व की आवश्यकता होती है?
a) ऑक्सीजन
b) कार्बन डाइऑक्साइड
c) मीथेन
d) पानी
23. परसिवियरेंस रोवर मंगल ग्रह पर कब उतरा था?
a) फरवरी, 2020
b) जुलाई, 2020
c) फरवरी, 2021
d) जुलाई, 2021
24. फेरिहाइड्राइट की उपस्थिति मंगल के अतीत के बारे में क्या संकेत देती है?
a) यह अधिक आर्द्र था।
b) यह अधिक शुष्क था।
c) इसमें बर्फ की बड़ी चादरें थीं।
d) इसमें सक्रिय ज्वालामुखी थे।
25. नासा का परसिवियरेंस रोवर मंगल ग्रह पर क्या प्राथमिक कार्य कर रहा है?
a) वायुमंडलीय दबाव मापना
b) भूकंपीय गतिविधि का अध्ययन करना
c) मंगल ग्रह से नमूने एकत्र करना
d) प्राचीन जीवन के सीधे प्रमाण खोजना
A6.
प्रकृति के रहस्य: नई किलिफ़िश और
'उनियाला केरलेंसिस'
Nature's
Unveiling: A New Killifish and 'Uniyala keralensis'
हाल ही में, किलिफ़िश की एक नई प्रजाति और केरल में एक अनोखे पौधे की खोज ने जैव विविधता के क्षेत्र में नई रोशनी डाली है।
केन्या के गोंगोनी वन में नई किलिफ़िश: नोयोब्रांचियस सिल्वेटिकस
केन्या के गोंगोनी वन, जो लगभग 7.09 मिलियन वर्ष पुराना है, एक असाधारण खोज का गवाह बना है। यहाँ किलिफ़िश की एक बिल्कुल नई प्रजाति, नोयोब्रांचियस सिल्वेटिकस(Nothobranchius sylvaticus) की पहचान की गई है।
वन-निवासी किलिफ़िश: यह पहली ज्ञात स्थानिक वन-निवासी किलिफ़िश है, जो इसे और भी खास बनाती है। आमतौर पर, किलिफ़िश ऐसे जलीय वातावरण में पाई जाती हैं जो मौसमी रूप से सूखते और भरते रहते हैं, लेकिन इस प्रजाति का वन में पाया जाना अद्वितीय है।
स्थानिक और गंभीर रूप से लुप्तप्राय: यह प्रजाति केवल केन्या में ही पाई जाती है, यानी यह केन्या के लिए स्थानिक है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा इसे 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' (Critically Endangered) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो इसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।
किलिफ़िश क्या हैं? किलिफ़िश छोटी, अंडे देने वाली (ओविपेरस) मछलियाँ हैं। ये 'साइप्रिनोडोंटिफॉर्मेंस'
(Cyprinodontiformes) गण से संबंधित हैं, जिन्हें आमतौर पर 'दूधकाप्र्स' (Toothcarps) के नाम से जाना जाता है। इनकी सबसे खास विशेषताओं में से एक यह है कि कई किलिफ़िश प्रजातियों के अंडे सूखे का सामना करने में सक्षम होते हैं और अनुकूल परिस्थितियों के लौटने पर ही विकसित होते हैं।
केरल की नई पौध प्रजाति: उनियाला केरलेंसिस
केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व में प्रकृति प्रेमियों को एक और उपहार मिला है। हल्के बैंगनी फूलों वाली एक घनी झाड़ी को उनियाला(Uniyala) जीनस की एक अलग प्रजाति के रूप में पुष्टि की गई है।
27 साल बाद पहचान: इस पौधे का नमूना पहली बार 27 साल पहले शोधकर्ताओं द्वारा एकत्र किया गया था, लेकिन इसकी सटीक पहचान और वर्गीकरण अब जाकर हुआ है।
केरल के नाम पर: शोधकर्ताओं ने इस नई प्रजाति का नाम केरल राज्य के नाम पर उनियाला केरलेंसिस(Uniyala keralensis) रखा है। यह एस्टेरेसी (Asteraceae) परिवार से संबंधित है, जिसमें सूरजमुखी और डेज़ी जैसे पौधे भी शामिल हैं।
खोजकर्ता: जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिक गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (JNTBGRI), पालोडे के ई.एस. संतोष कुमार और एस.एम. शरीफ ने वर्ष 1998 में अपनी एक फील्ड एक्सप्लोरेशन ट्रिप के दौरान यह नमूना एकत्र किया था। यह खोज उन शोधकर्ताओं की कड़ी मेहनत और धैर्य का प्रमाण है जो वर्षों तक एक नमूने पर काम करते हैं ताकि उसे पहचान मिल सके।
बहुविकल्पीय प्रश्न :
26. हाल ही में खोजी गई किलिफ़िश की नई प्रजाति नोयोब्रांचियस सिल्वेटिकसकिस वन में पाई गई है?
a. अमेज़न वन
b. सुंदरवन
c. गोंगोनी वन
d. ब्लैक फ़ॉरेस्ट
27. नोयोब्रांचियस सिल्वेटिकसको IUCN द्वारा किस श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है?
a. कम चिंताजनक (Least Concern)
b. संकटग्रस्त
(Endangered)
c. गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered)
d. विलुप्त
(Extinct)
28. उनियाला केरलेंसिसनामक नए पौधे की प्रजाति का नमूना पहली बार किस वर्ष एकत्र किया गया था?
a. 1998
b. 2025
c. 1971
d. 2001
29. उनियाला केरलेंसिसकिस परिवार से संबंधित है?
a. रोज़ेसी
(Rosaceae)
b. लिलीएसी
(Liliaceae)
c. एस्टेरेसी
(Asteraceae)
d. ऑर्किडेसी
(Orchidaceae)
30. किलिफ़िश को आमतौर पर किस नाम से जाना जाता है?
a. गोल्डफिश
b. टूथकार्प्स
(Toothcarps)
c. कैटफिश
d. सीहॉर्स
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